शिशु मंदिर के दिए संस्कार जीवन भर काम आते हैं: नारायणसिंह पंवार
राजगढ़, 31 जनवरी (हि.स.)। ये बच्चे अभी कच्ची मिट्टी के समान हैं। इनको संस्कारवान बनाना हमारी जिम्मेदारी है। शिक्षा के साथ इनके गुणों का विकास भी होना चाहिए। यह कार्य कई सालों से सरस्वती शिशु मंदिर कर रहा है, जहां आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाया जाता है।
यह बात बुधवार को सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित वार्षिकोत्सव में राज्यमंत्री नारायणसिंह पंवार ने कही। उन्होंने कहा कि शिशु मंदिर के बच्चों ने इतिहास रचा है। यह सब हमारे विचारों का परिणाम है। गुलामी के कालखंड में शिक्षा पद्धति को बदला गया और शिक्षा को व्यवसाय बनाया गया, लेकिन सरस्वती शिशु मंदिर ने पीढ़ी को संस्कारित एवं राष्ट्रभक्त बनाया। अंग्रेजों की शिक्षा नीति कम्युनिष्ट विचारों से प्रभावित थी। अब पुनःशिक्षा नीति से बदलाव होगा। प्राचीन काल में भारत की शिक्षा पद्धति पूज्यनीय थी,जहां अन्य देशों के विधार्थी अध्ययन के लिए आते थे।
उन्होंने कहा कि संस्कार से ही मानव जीवन चलता है। विद्यालय में चल रहे निर्माण कार्य के लिए राज्यमंत्री नारायणसिंह पंवार ने पांच लाख रुपए देने की घोषणा की। कार्यक्रम में नन्हे बच्चों ने नृत्य,नाटिका, एवं अन्य सांस्कतिक प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में संत नीलेशजी महाराज मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय सहसचिव चंद्रकांत त्रिपाठी ने की। अतिथियों का स्वागत सचिव अशोक दांगी एवं प्राचार्य संजय मकराडिया ने किया, जबकि अतिथियों का परिचय सहसचिव मुकेश सेन व संचालन बरखा पंवार ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ मनोज पाठक
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