अनूपपुर: शहडोल संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनावों में अब तक का इतिहास
अनूपपुर, 23 मार्च (हि.स.)। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट शहडोल संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनावों का अब तक का इतिहास बड़ा रोचक रहा है। चुनाव में मतदाताओं की पहली पंसद पाठ (पहाड़ी) क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के आदिवासी उम्मीदवार ही रहे हैं। भाजपा कांग्रेस व अन्य किसी दल से चुनाव लड़ने वाले पाठ से ही जीतकर संसद तक पहुंचे हैं। यही कारण है कि दोनों बड़े दल भाजपा कांग्रेस यहीं से ही प्रत्याशियों का चयन करती आ रही है। यहां के आदिवासी उम्मीदवार पर संसदीय क्षेत्र की जनता सर्वाधिक विश्वास करती है, जबकि संसदीय क्षेत्र में शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और कटनी की आठ विधानसभाएं आती हैं, लेकिन जब उम्मीदवार के चयन की बात आती है तो मतदाताओं की पसंद को ध्यान में रखते हुए अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ से ही चयन किया जाता है।
ज्ञान सिंह रहे अपवाद
ज्ञान सिंह को छोड़ दें तो अब तक सबसे अधिक सांसद पाठ से चुने गए हैं। दलवीर सिंह तो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। लोकसभा का पूरा राजनीतिक समीकरण यहीं से तय होता है। शहडोल के नाम से संसदीय क्षेत्र है, लेकिन लोकसभा चुनाव में रिटर्निंग आफिसर के दायित्व में अनूपपुर होता है। अनूपपुर जिले में ही पुष्पराजगढ़ क्षेत्र आता है। पुष्परागढ़ क्षेत्र की पहचान पाठ के रूप है। यह पहचान आज से नहीं वर्षों पुरानी है, जो आज भी उसी तरह है। पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के आदिवासी आज भी पहाड़ी और जंगलों के बीच दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं। अब यहां के गांवों तक सड़के पहुंचने लगी है, लेकिन आज भी कई गांव विकास से काफी दूर हैं।
इस बार भी पुष्पराजगढ़ से उम्मीदवार
शहडोल संसदीय क्षेत्र में इस बार भी पुष्पराजगढ़ से ही दोनों बड़े दल भाजपा-कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने सांसद हिमाद्री सिंह को लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस से पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह ने नामांकन भर दिया है। पिछले 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार का चयन दूसरे क्षेत्र से पूर्व भाजपा विधायक प्रमिला सिंह के रूप में उतारा था, लेकिन जीत नहीं मिली। प्रमिला सिंह ने भाजपा से बगावत करके कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा था। मोदी लहर में उन्हें हिमाद्री सिंह हराया था।
अबतक का प्रतिनिधित्व
पुष्पराजगढ़ की हिमाद्री 2019 में लोकसभा पहुंची और इस बार 2024 मैं भी चुनाव मैदान में हैं। इसके पहले हिंमाद्री सिंह की मां कांग्रेस से 2002 से 2014 तक सांसद रहीं। इसी तरह 1991 से 1996 और 1980 से 1984 फिर 1984 से 1989 तक कांग्रेस के दलवीर सिंह सांसद रहे जो हिमाद्री सिंह के पिता हैं। यानी हिमाद्री सिंह ने अपने माता-पिता की विरासत को भाजपा में जाकर संभाल लिया है, 2016 का उपचुनाव कांग्रेस से लड़ा था तो भाजपा के ज्ञान सिंह से हार गई थीं। इसके बाद 2019 में पार्टी बदला और प्रतिनिधित्व मिल गया। दलवीर, राजेश नंदनी और हिमांद्री के बाद पुष्पराजगढ़ क्षेत्र से ही दलपत सिंह परस्ते ने भी लंबे समय तक नेतृत्व किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला
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