अनूपपुर: शहडोल लोकसभा क्षेत्र में पसरा सन्ना्टा, गांव से लेकर शहर तक नहीं हैं चुनावी महौल

अनूपपुर: शहडोल लोकसभा क्षेत्र में पसरा सन्ना्टा, गांव से लेकर शहर तक नहीं हैं चुनावी महौल
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अनूपपुर: शहडोल लोकसभा क्षेत्र में पसरा सन्ना्टा, गांव से लेकर शहर तक नहीं हैं चुनावी महौल


अनूपपुर: शहडोल लोकसभा क्षेत्र में पसरा सन्ना्टा, गांव से लेकर शहर तक नहीं हैं चुनावी महौल


अनूपपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए मतदान के लिए अब गिनती के दिन ही शेष रह गए हैं। शहडोल लोकसभा में 19 अप्रैल को मतदान हैं जहां दोनों चिर प्रतिद्वंदी राजनीति दल जीत का दंभ तो भर रहे हैं, लेकिन इसके लिए लोकसभा क्षेत्र में इनकी मेहनत कहीं नजर नहीं आ रही है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इनकी सक्रियता न के बराबर ही दिख रही है। चुनावी शोरगुल बिलकुल सुनाई नहीं दे रहा। शहर से लेकर गांव तक सन्नाटा पसरा हुआ है। झंडे, बैनर, पोस्टर, प्रचार वाहन सहित अन्य गतिविधियां कुछ ही क्षेत्रों में देखने मिल रहा है। पार्टी प्रत्याशी हों या फिर पदाधिकारी और कार्यकर्ता सभी स्टार प्रचारकों व बड़े नेताओं की सभा में ही नजर आ रहे हैं। इसके अलावा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार-प्रसार में इनकी रुचि अब तक देखने नहीं मिली है। चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों लेकिन चुनाव की सरगर्मी कहीं भी नजर नहीं आ रही है। पदाधिकारी और कार्यकर्ता पूरी तरह अराम के मूड में दिखाई दे रहें हैं।

नजर नहीं आ रह प्रचार-प्रसार

शहडोल लोकसभा के तीनों प्रमुख जिले अनूपपुर, शहडोल एवं उमरिया में किसी भी राजनीतिक दलों की सक्रियता व प्रचार-प्रसार की दिखाई नहीं दे रहा। क्षेत्रफल में भ्रमण करने के दौरान देखने में आया कि एक-दुक्का पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता के घरों में झंडे दिखई दे रहें हैं। लेकिन पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता नदारद रहें। दो दशक पहले का चुनावी माहौल और प्रचार-प्रसार का तरीका कुछ अलग ही रहता था। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ जाती थी और मतदान का समय नजदीक आते-आते प्रचार-प्रसार और रफ्तार पकड़ लेता था। राजनीति दलों के नेता घर-घर पहुंचते थे। बैनर, पोस्टर व झंडों से पूरा क्षेत्र पट जाता था। प्रचार वाहन के आने के साथ ही बच्चों की टोली पम्पलेट के लिए उनके पीछे सरपट दौड़ती थी। परिवार का जो मुखिया होता था वह तय करता था कि किस दल के पक्ष में मतदान करना है। मुखिया का निर्णय सर्वमान्य होता था। पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता पूरी ताकत के साथ प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने अंतिम दिन तक जुटा रहता था।

कार्यालय में सन्नाटा, पोस्टर बैनर गायब

भाजपा उम्मीदवार व पदाधिकारी सीमित क्षेत्र तक सिमट कर रह गए हैं। कार्यालय तो खोल रखा है लेकिन पूरा दिन यहां सन्नाटा पसरा रहता है। शहडोल में स्टार प्रचारकों के दौरे को लेकर जो बैनर पोस्टर लगे थे उनके अलावा शहर में कोई झंडा बैनर नजर नहीं आ रहा है। वहीं अनूपपुर उमरिया में वह भी कहीं नहीं हैं। वहीं कांग्रेस में पूरी तरह से खामोशी छाई हुई है। पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ उम्मीदवार भी सिर्फ अपने क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गए हैं। पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ इनके झंडे, बैनर, पोस्टर भी गायब हैं।

पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर नहीं भरोसा

दोनों ही राजनीति दल के प्रत्याशी स्टार प्रचारकों के दम पर चुनावी वैतरणी पार उतरने की जुगत में हैं। संसदीय के शहडोल मुख्यालय में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। इधर कांग्रेस से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष की चुनावी सभा शहडोल मुख्यालय में हुई है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री उमरिया व अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा के करपा में आयोजित भाजपा की चुनावी सभा को संबोधित किया हैं। दोनों ही राजनीति दलों ने पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर जोश भरने पूरी ताकत झोंकी है लेकिन यह जोश उनके जाने के बाद कहीं नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस व भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त में बताया पार्टी उम्मीदवार किसी को प्रचार के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं सौपीं हैं ऐसी स्थिति में कैसे चुनाव प्रसार होगा। जब पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को प्रसार के लिए कोई पूछ नहीं रहा तो कैसे जायें। पार्टी उम्मीदवार को हम पर भरोसा नहीं हैं। भाजपा उम्मीदवार को मोदी मैजिक का सहारा हैं तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार विधानसभा जीत से लबरेज कुछ लोगों के भरोसेजीत की आस लगा रखी हैं।

आईटी विंग भी नहीं सक्रिय

बदलते दौर के साथ चुनाव प्रचार प्रसार के तरीकों में भी बदलाव हुआ है। राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी आईटी विंग बना रखी है और सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मदद से ही मतदाताओं तक पहुंच बना रहे हैं। संसदीय सीट शहडोल की बात की जाए जो यहां संगठनों की आईटी विंग भी एक्टिव नजर नहीं आ रही है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म में भी प्रत्याशियों को लेकर गतिवधियां बहुत कम देखने मिली है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला

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