भोपाल में भू-अतिक्रमण एवं समान नागरिक संहिता विषय पर परिसंवाद शनिवार को

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भोपाल में भू-अतिक्रमण एवं समान नागरिक संहिता विषय पर परिसंवाद शनिवार को


भोपाल में भू-अतिक्रमण एवं समान नागरिक संहिता विषय पर परिसंवाद शनिवार को


भोपाल में भू-अतिक्रमण एवं समान नागरिक संहिता विषय पर परिसंवाद शनिवार को


भोपाल, 26 जुलाई (हि.स.)। हम सभी जानते हैं कि देश में इस वक्त समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की बार-बार चर्चा हो रही है। समान नागरिक संहिता भारत के लिए क्यों जरूरी है और भू-अतिक्रमण के खतरे क्या हैं, इस विषय पर ज्ञान चर्चा के अंतर्गत इस शनिवार, 27 जुलाई को भोपाल में एक परिसंवाद का आयोजन रखा गया है। यह आयोजन बहुभाषी न्‍यूज एजेंसी 'हिन्‍दुस्‍थान समाचार' एवं 'धर्म संस्‍कृति समिति' के तत्‍वावधान में शाम 4.30 बजे आहूत किया गया है।

यह एक दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम राजधानी भोपाल के श्‍यामला हिल्‍स स्थित मानस भवन के तुलसी मानस प्रतिष्‍ठान सभागार में आयोजित होगा। कार्यक्रम में सर्वोच्‍च न्‍यायालय नई दिल्‍ली के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता एवं संविधान विशेषज्ञ (पीआईएल मैन ऑफ इंडिया) अश्विनी उपाध्‍याय मुख्‍य वक्‍ता के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा करेंगे। मध्‍यप्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा विशिष्‍ट अतिथि के रूप में रहेंगी। डॉ. शर्मा बाल अधिकार से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों को लेकर कार्य करती हैं। वे महिलाओं के हक में भी लगातार सक्रिय रहती हैं। वहीं, कार्यक्रम में भोपाल दक्षिण-पश्चिम के विधायक भगवानदास सबनानी मुख्‍य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि भारत में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने वाले कानूनों में एक जैसी समानता हो, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में निहित है। इसका उद्देश्य पूरे देश में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना था। विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए, यह संहिता इस सिद्धांत पर आधारित है कि आधुनिक सभ्यता में मत, मजहब, र‍िल‍िजन और कानून के बीच कोई संबंध नहीं होना चाहिए। लेक‍िन भारत में, जाति और धर्म पर आधारित कानूनों और विवाह अधिनियमों ने एक खंडित सामाजिक संरचना को जन्म दिया है। इसलिए, एक समान नागरिक संहिता की बढ़ती मांग है जो सभी जातियों, धर्मों, वर्गों और समुदायों को एक ही प्रणाली में एकीकृत करती है और असमान कानूनों का अस्तित्व न्यायिक प्रणाली को भी प्रभावित करता है, उसे समाप्‍त करती है।

वर्तमान में, व्यक्ति विवाह और तलाक जैसे मुद्दों के समाधान के लिए व्यक्तिगत कानून बोर्डों का सहारा लेते हैं। यूसीसी का एक आवश्यक उद्देश्य कमजोर समूहों को सुरक्षा प्रदान करना है जैसा कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने कहा था कि एकता के माध्यम से राष्ट्रवादी उत्साह को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस समान नागर‍िक संहिता को लागू किया जाना चाहिए। एक बार लागू होने के बाद, इस संहिता से उन कानूनों को सरल बनाने की उम्मीद है जो वर्तमान में धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भिन्न हैं, जैसे हिंदू कोड बिल, शरिया कानून और अन्य।

अभी हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तीन तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर टिप्पणी भी की । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) केवल कागजों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे वास्तविकता बनना चाहिए। इसी तरह से एक व‍िषय भू-अत‍िक्रमण का है। इस विषय की गंभीरता को भी सभी को आज समझने की आवश्‍यकता है। 'धर्म संस्‍कृति समिति' और 'हिन्‍दुस्‍थान समाचार' ने नागरिकों से आग्रह किया है कि परिसंवाद में उपस्थित होकर आप और हम साथ बैठकर विमर्श करें, विचारों का आदान-प्रदान करें और अपने-अपने ज्ञान का विस्तार करें।

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत / मुकेश तोमर

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