देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर में स्थापित होगी शोध पीठः मुख्यमंत्री
- लोकमाता के सम्मान में होगा आयोजन, देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व व कृतित्व को समग्र रूप से नई पीढ़ी के सामने लाया जाए
- मंत्रि-परिषद की अगली बैठक महेश्वर में होगी, मध्यप्रदेश पुलिस की बटालियन का नाम भी देवी अहिल्याबाई पर रखा जाएगा
भोपाल, 13 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के 300वें जन्म शताब्दी वर्ष में उनके प्रति सम्मान के प्रकटीकरण के लिए मंत्रि-परिषद की बैठक महेश्वर में आयोजित की जाएगी। देवी अहिल्या की न्यायप्रियता, शासन-प्रशासन में नवाचार, लोक कल्याण सहित उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व पर शोध केलिए देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर में शोध पीठ स्थापित की जाएगी। देवी अहिल्या से जुड़ी ऐतिहासिक सामग्री के संकलन के लिए अभियान चलाया जाएगा। मध्यप्रदेश पुलिस की बटालियन का नाम भी देवी अहिल्याबाई पर रखा जाएगा। उन्होंने बटालियनों के नाम महापुरूषों के नाम पर रखने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के 300वें जन्मशताब्दी के आयोजन के लिए गठित समारोह समिति की सुशासन भवन में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, परिवहन तथा स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, मुख्य सचिव वीरा राणा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में समिति के सदस्यगण ने आयोजन के संबंध में सुझाव रखे।
विधवा विवाह को प्रोत्साहन, खासगी प्रथा तथा माहेश्वरी साड़ी निर्माण में महिलाओं को जोड़ना महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर प्रसिद्ध तीर्थों और धार्मिक स्थानों में मंदिर, घाट, कुंए और बावड़ियों का निर्माण कराया तथा अन्न क्षेत्र का भी संचालन किया। उनका शासनकाल न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी प्रासंगिक हैं। भारतीय जनमानस में उनके श्रेष्ठ, उत्तम और धर्म प्रधान गुणों की छाप विद्यमान है। विधवा विवाह को प्रोत्साहन व खासगी प्रथा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य के उदाहरण हैं। माहेश्वरी साड़ियां बनाने से स्थानीय महिलाओं को जोड़कर उन्होंने महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वें जन्मशताब्दी वर्ष पर उत्सवों के आयोजन के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का प्रकटीकरण किया जाए। इसके लिए शाला, महाविद्यालय, सार्वजनिक स्थलों पर गतिविधियों के साथ-साथ मीडिया के विभिन्न माध्यमों से देवी अहिल्याबाई होलकर से संबंधित जानकारियों का प्रसार किया जाए। लोकमाता देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व व कृतित्व को समग्र रूप से नई पीढ़ी के सामने लाया जाए।
जन्म शताब्दी वर्ष के लिए प्राप्त हुए समिति सदस्यों के सुझाव
बैठक में आगामी गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम लोकमाता देवी अहिल्याबाई को समर्पित करने, ग्रामीण स्तर पर महिला नेतृत्व को चिन्हित कर पंचायत स्तर पर देवी अहिल्याबाई के नाम पर उन्हें सम्मानित करने, देवी अहिल्या की मोढ़ी लिपि में विद्यमान प्रशासनिक व साहित्यिक सामग्री का हिंदी व अंग्रेजी में अनुवाद करवाने, उन पर केन्द्रित स्मारिका प्रकाशित करवाने, शाला और महाविद्यालय स्तर पर देवी अहिल्याबाई पर केन्द्रित अकादमिक गतिविधियां संचालित करने, पाठ्यक्रम में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर पाठ का समावेश करने, शालाओं में छात्राओं के लिए आत्मरक्षा का पीरियड आरंभ करने, देवी अहिल्याबाई पर जाणता राजा के समान भव्य नाट्य प्रस्तुति तैयार कराने संबंधी सुझाव प्राप्त हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर
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