मप्र विस चुनाव : यह चुनाव सरकार के कार्यकलापों और जनता में उसके असर के बीच होगा

मप्र विस चुनाव : यह चुनाव सरकार के कार्यकलापों और जनता में उसके असर के बीच होगा
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मप्र विस चुनाव : यह चुनाव सरकार के कार्यकलापों और जनता में उसके असर के बीच होगा


रतलाम, 15 नवंबर (हि.स.)। विधानसभा चुनाव की घड़ी नजदीक आ गई है। इस बार भी युवा मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इस चुनाव में यह भी निर्णय होगा कि मध्यप्रदेश सरकार के कार्यकलापों और केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकलापों का जनता में कितना असर है, हालांकि यह विधानसभा चुनाव है। इसमें मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा सरकार के कार्यकलापों का मुल्यांकन ही मतदाता करेंगे। इसके साथ ही 16 वीं विधानसभा के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चेतन्य काश्यप तीसरी बार लगातार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे है। पिछले दो चुनाव वे अच्छे मतों से विजयी हुए। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी तथा पूर्व निर्दलीय विधायक रहे पारस सकलेचा के बीच है। इस चुनाव में रतलाम शहर में 8 उम्मीदवार मैदान में है।

श्री सकलेचा 2003 में भाजपा के हिम्मत कोठारी के हाथों कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में पराजित हुए थे। उसके बाद 2008 में वे निर्दलीय विधायक के रुप में चुनाव लड़े और लगभग 31 हजार वोटों से श्री कोठारी को पराजित कर विजयी हुए। 2013 में पारस सकलेचा को चेतन्य काश्यप ने काफी मतों से हराकर इनकी जमानत जप्त करवा दी थी। श्री काश्यप को 57.7 प्रतिशत (76 हजार 184) मत मिले थे तथा कांग्रेस उम्मीदवार अदिति दवेसर को 27.17 प्रतिशत (35 हजार 879 )मत मिले थे। निर्दलीय चुनाव लड़े पारस सकलेचा को मात्र 11.34 प्रतिशत (14 हजार 969) मत मिले थे। कांग्रेसी और निर्दलीय रहकर चुनाव लडऩे वाले पारस सकलेचा भी अब कांग्रेस का दामन थाम चुके है। उनका सीधा मुकाबला इस बार भाजपा के श्री काश्यप से है। श्री काश्यप जहां जीत के प्रति आश्वस्त है, वहीं श्री सकलेचा भी इस बार उन्हें अच्छी टक्कर देने के मुड़ में है। उन्हें भी अच्छा समर्थन मिल रहा है। जहां यह चुनाव काश्यप के लिए राज्य सरकार के कार्यकलापों की मदद करेगा वहीं विकास योजनाओं के प्रति उनकी ललक भी उनकी जीत का आधार बन सकती है।

समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणीय नाम चेतन्य काश्यप का

श्री काश्यप समाज सेवा में अग्रणीय है। अहिंसा ग्राम की स्थापना इन्होंने की। काश्यप स्वीट्नर्स के नाम से बदनावर तथा गुजरात में दवा उद्योग की स्थापना की है। चेतना मीडिया समूह से भी उनका नाता रहा। खेल चेतना मेला तथा प्रतिभा सम्मान समारोह प्रारंभ करके उन्होंने युवाओं को आगे आने के अवसर प्रदान किए। भारतीय भाषायी संगठन इलना के भी आप सदस्य रह चुके है। जब वे चेतना मीडिया समूह से जुडे थे। क्रीड़ा भारती खेल संगठन के भी आप कार्याध्यक्ष है। इस नाते खेल जगत में भी आपकी पहचान है। आपने अपने दस वर्षीय कार्यकाल का लेखा जोखा प्रस्तुत कर जहां लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। वहीं नए रतलाम का संकल्प पत्र जारी करके भावी योजनाओं से भी मतदाताओं को अवगत करवाया है।

जादूई भाषा शैली से प्रभावित करते है पारस सकलेचा

दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी पारस सकलेचा युवाम के संस्थापक है। जिन्होंने अनेक बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में अहम भूमिका अदा की है। कई सामाजिक संगठनों से जुड़े होकर युवाओं में काफी लोकप्रिय है। आपकी जादूई भाषण शैली से लोगों को प्रभावित करते है। अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों को भाषण शैली से घायल करना भी आपकी अपनी एक शैली है। इस बार भी आपने शहर में कोई स्टार प्रचारक न आने के कारण स्वयं सभाएं आयोजित कर अपनी वाणी का शिकार बनाने का प्रयास किया। कांग्रेस के जारी वचन पत्र को आपने अपना एजेण्डा बताते हुए मतदाताओं को आश्वास्त किया है कि वह रतलाम की विकास योजनाओं को गति देने के साथ कांग्रेस के वचन पत्र के माध्यम से जनता जनार्दन की सेवा करेंगे और उन लोगों के सपने साकार करेंगे जो आज तक रोजगार पाने और रतलाम के विकास का सपना सजाए हुए है।

भाजपा का गढ़ रहा है रतलाम

भारतीय जनता पार्टी ने 57 से लगाकर 2018 तक अनेक बार विधानसभा सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। भाजपा के हिम्मत कोठारी 1977 में अकबर अली आरिफ को चुनाव में पराजित कर विजयी हुए है। वे छ: बार विधायक रहे। सन 80,85,90 में वे विधायक चुने गए। 1993 में शिवकुमार झालानी के हाथों पराजित हुए उसके बाद उन्होंने 1998 में झालानी को पराजित किया। 2003 में उन्होंने निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा को पराजित किया और 2008 में वे सकलेचा के हाथों पराजित हुए। उसके बाद 2013 और 2018 में भाजपा के टिकिट पर चेतन्य काश्यप चुने गए। इसके पूर्व 1957 में सुमन जैन ने साम्यवादी पार्टी के कामरेड बद्रीलाल माहेश्वरी को पराजित किया तथा 1962 में निर्दलीय बाबुलाल पालीवाल ने डा. देवीसिंह को पराजित किया था। 1967 में डा. देवीसिंह ने जनसंघ के मदनलाल जलधारी को तथा 1972 में कांग्रेस के अकबर अली आरिफ ने जनसंघ के ठाकुर लोकेंद्रसिंह को पराजित किया था। इस प्रकार दो बार निर्दलीय विधायक शहर विधानसभा सीट से जीते, तीन बार कांग्रेस ने कब्जा किया और 11 बार भाजपा विजयी रही।

जिले को कई बार मिला राज्यमंत्री मंडल में महत्वपूर्ण स्थान

कांग्रेस की ओर से डा. देवीसिंह तथा भाजपा की ओर से हिम्मत कोठारी को मंत्रीमंडल में शामिल होने का मौका मिला, जिन्होंने रतलाम के विकास के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। श्री कोठारी के पास तो परिवहन, सहकारिता और गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग रहे, जबकि डा.देवीसिंह भी स्वास्थ्य और जेल मंत्री रहे। यह बात अलग है कि रतलाम ग्रामीण से कांग्रेस से विजयी रहे मोतीलाल दवे, सैलाना के विधायक रहे प्रभुदयाल गेहलोत तथा रतलाम ग्रामीण के भाजपा विधायक रहे धुलजी चौधरी को भी राज्यमंत्री मंडल मेंं रहने का मौका मिला। वहीं जावरा से एक बार विजयी रहे डा. कैलाशनाथ काटजू को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था और यह मौका उनके साथ ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहरलाल नेहरू के अभिन्न मित्र होने के नाते मिला था और जावरा के ही डा. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय को जनसंघ के प्रत्याशी के रुप में मुख्यमंत्री काटजू को हराने का सौभाग्य भी मिला। यह भी उल्लेखनीय प्रसंग है जो रतलाम कौ गौरवान्वित करता है।

कहने का मतलब यह है कि जिले की पांचों विधानसभा के प्रत्याशियों को राज्यमंत्री मंडल में मंत्री का दर्जा मिलना गौरव की बात है। इनमें आलोट के भाजपा विधायक रहे थावरचंद गेहलोत, जावरा के भारत सिंह चौहान जो राज्यमंत्री मंडल में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे। महेन्द्रसिंह कालुखेड़ा भी जावरा के ही होकर राज्यमंत्री मंडल में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी

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