रतलाम: घोड़ारोज व जंगली सुअर कर रहे खेती बर्बाद, शासन उठाए जरूरी कदम
रतलाम, 29 जनवरी (हि.स.)।जिले के अनेक ग्रामीण इलाकों में घोड़ारोज एवं जंगली सुअरों द्वारा किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो रही है। कई किसानों ने अपनी बागवानी की खेती करना बंद कर दी है। पूरे प्रदेश में किसान इन जानवरों के कारण आंदोलनरत है, परन्तु इसका निदान नहीं हो पा रहा है।
किसान नेता डीपी धाकड़ ने बताया कि वन्यप्राणी अधिनियम 2000के मुताबिक घोड़ारोज (नील गाय) को मारने की अनुमति अनुविभागीय अधिकारी को देना प्रस्तावित है, परन्तु आज दिन तक इन नील गायों को मारने का आदेश नहीं दिया गया है।
धाकड़ ने बताया कि किसानों ने इस संबंध में जावरा के एसडीओ को भी ज्ञापन दिया है और भी कई स्थानों पर प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया गया है। इन जंगली जानवरों से हमारी खेती नहीं बच रही है और सरकार इसके समाधान का कोई कदम नहीं उठा रही है तो किसानों को खेती छोडऩे पर मजबूर होना पड़ेगा। इसलिए हमारी मांग है कि शासन स्तर पर इस समस्या के निदान की व्यवस्था की जाए। जिस तरीके से किसानों को घोड़ारोज को मारने की अनुमति का नियम बनाया है वह भी दोषपूर्ण है, क्योंकि किसान के पास हथियार नहीं है और जिनके पास है वह किसान मारने में सक्षम और दक्ष नहीं है, जिससे कई दुर्घटनाएं घट रही है।
वर्तमान समय में सडक़ों पर वाहन चलाते वक्त भी घोड़ारोज से दुर्घटनाएं घट रही है जिससे कई लोगों के अंग-भंग हो गए है और कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। खेती किसानी बचाने के लिए प्रदेश सरकार जंगली सुअर व घोड़ारोज से किसान को मुक्ति दिलाए।
धाकड़ ने गत वर्ष का फसल बीमा भी चुनाव के पहले किसानों को देने की तैयारी की थी, परन्तु आचार संहिता के कारण किसानों को उससे भी वंचित रखा गया। इसलिए तत्काल फसल बीमा करवाकर किसानों को लाभ दिया जाए।
किसान नेता राजेश भरावा बामनखेड़ी, निमिष आम्बा, विवेक धाकड़़ रियावन, देवीलाल धाकड़ रियावन, डी.पी.धाकड़ जावरा, रमेश धाकड़ जावरा ने भी जावरा एसडीएम को दिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। यह समस्या केवल जावरा क्षेत्र की नहीं बल्कि पिपलौदा, रतलाम ग्रामीण के अनेक ग्राम में विद्यमान है, जहां के किसान भी घोड़ारोज व अन्य जानवरों के कारण परेशानहै, उनकी फसलें चौपट हो रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी
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