रतलाम: कछुएं की चाल समान बन रही सागौद रेल पुलिया दुर्घटनाओं को दे रही है निमंत्रण

रतलाम: कछुएं की चाल समान बन रही सागौद रेल पुलिया दुर्घटनाओं को दे रही है निमंत्रण
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रतलाम: कछुएं की चाल समान बन रही सागौद रेल पुलिया दुर्घटनाओं को दे रही है निमंत्रण


रतलाम: कछुएं की चाल समान बन रही सागौद रेल पुलिया दुर्घटनाओं को दे रही है निमंत्रण


रतलाम, 28 नवंबर (हि.स.)। सुभाष नगर, सागोद रेल पुलिया का निर्माण कार्य वर्षों से चल रहा है। इन पुलियाओं की लागत कितनी थी और अब कितनी हो गई इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ठेकेदार और प्रशासन की लापरवाही के कारण लागत तो बड़ी ही लेकिन इससे जनता को कितनी परेशानी हो रही है इसका अंदाजा न तो जनप्रतिनिधियों को है और ना ही शासन-प्रशासन, पक्ष-विपक्ष को है। सागौद पुलिया पर कितनी दुर्घटनाएं हो रही है इसका अंदाजा भी हमारे कर्णधारों को नहीं है।

सागौद रेल पुलिया राजस्थान को जोडऩे वाला मार्ग है। शिवगढ़-बाजना भी इसी मार्ग पर है। इसके बाद राजस्थान की सीमा लगती है। एक जमाने में बाजना क्षेत्र को कालापानी कहा जाता था। यदि किसी को सजा देनी होती तो उस अधिकारी,कर्मचारी का तबादला बाजना कर दिया जात था। उबड़-खाबड़ सडक़ों के कारण आज भी बाजना किसी कालापानी से कम नहीं है। टुकड़ों-टुकड़ों में सडक़ बनती है और जो दूसरा टुकड़ा बनता है तब तक बनी सडक जर्जर हो जाती है, जिसके कारण रतलाम-बाजना मार्ग हमेशा ही उबड़-खाबड़ और पगडंडीनुमा बना रहता है।

चमत्कारी मंदिर है इसी मार्ग पर...

इसी मार्ग पर गढख़ंखई माताजी का एतिहासिक और चमत्कारिक मंदिर स्थापित है। वर्ष भर इस मंदिर पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर क्षेत्र भी उपेक्षा का शिकार है। न तो पर्याप्त बिजली है और ना ही सडक़ें। सैलाना विधानसभा क्षेत्र का यह इलाका है। लेकिन कभी विधायकों ने भी इस क्षेत्र की सुध नहीं ली। गढख़ंखई माताजी उस स्थान पर बना है जहां पर कभी उच्चानगढ़ का किला था और काफी आबादी थी। आज भी इस किले के अवशेष इधर-उधर बिखरे है। कई पुरातत्वविदों ने यहां पर शौध भी किया है।

परिवहन और यातायात विभाग ध्यान ही नहीं देते...

इस सडक़ मार्ग की बदहाल स्थिति के कारण आए दिन दुर्घटना होती रहती है। इस सडक़ मार्ग पर काफी मोड़ है। सीमा से अधिक यात्रियों को बिठाने के कारण कई दो-तीन-चार पहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त भी होते है,लेकिन न तो परिवहन विभाग ध्यान देता है और ना ही यातायात विभाग। इसी मार्ग पर एक समय लूट-पाट की घटनाएं भी काफी होती रही इस कारण रात 8 बजे बाद इस मार्ग से कोई जाता नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे आबादी बड़ी वैसे-वैसे यातायता भी बड़ा और लूटपाट की घटनाओं में कमी आई है। लेकिन आज भी लोग इस मार्ग से रात्रि को गुजरने में भयभीत रहते है।

दुर्घटनाओं का पर्याय बन गई है सागौद रेल पुलिया

जहां तक सागोद पुलिया का सवाल है इस पुलिया के चौड़ीकरण के लिए वर्षों से काम चल रहा है, लेकिन पता नहीं कब इस पुलिया का चौड़़ीकरण होगा और मार्ग भी चौड़ा होगा। हमारे कर्णधारों को शहर में फोरलेन बनाने की फुर्सत है लेकिन शहर के आसपास की सडक़ों की ओर ध्यान देने की चिंता नहीं है। इस पुलिया पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। स्कूल से आ रही एक बच्ची का पुलिया पर ही एक्सीडेंट हो गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी, लेकिन किसी को इसका असर नहीं पड़ा। आए दिन इस प्रकार की घटनाएं होती रहती है लेकिन पुलिया के चौड़ीकरण और मार्ग के चौड़ीकरण की ओर किसी का ध्यान नहीं है, केवल आश्वासनों के भरोसे पर ही इस मार्ग का भविष्य तय किया जा रहा है।

सागौद पुलिया के बाद कई मांगलिक और धार्मिक स्थल है

इस मार्ग पर कई मांगलिक भवन, धार्मिक स्थल है, जहां प्रतिदिन लोगों की आवाजाही बनी रहती है। किसी भी सामाजिक संस्था ने प्रशासन पर दबाव डालने का प्रयास नहीं किया और ना ही मांगलिक भवन के मालिकों ने जो किराये के रुप में लाखों रुपया कमाते है उन्होंने भी कभी पुलिया और इसके आसपास लाईटें लगाने का योगदान नहीं दिया और ना ही सड़क़ सुधार के लिए प्रयास किए। पुलिया के दोनों ओर स्थिति यह है कि कभी भी किसी वाहन का बैलेंस बिगड़े तो रेल पटरी पर सीधे ही वाहन गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। दिल्ली-मुंबई का यह रेल मार्ग दिनभर रेल यातायात से व्यस्त रहता है। पटरियों पर हाईटेंशन लाईन और रेल विद्युतीकरण होने के कारण यदि कोई दो-चार पहिया वाहन पुलिया से नीचे गिरे तो क्या स्थिति बनेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

कछुएं की चाल के समान हो रहा निर्माण कार्य

शासन-प्रशासन और संबंधित विभाग को चाहिए कि वह सागौद के साथ ही सुभाष नगर पुलिया जो दोनों ही रेल उपरी पुल है जिसका निर्माण शीघ्र ही युद्ध स्तर पर करवाएं । कछुएं की चाल समान इन पुलियाओं के निर्माण कार्य होने के कारण जहां लागत भी बड़ रही है वहीं 50 हजार से अधिक नागरिक इन पुलियाओं के न बनने से परेशान है।

भरगट बंधु भी हुए दुर्घटनागस्त

बारिश के दिनों में दो पहिया वाहनों के पिसलने की घटना काफी हुई। 27 नवंबर को हुए मावठे के दौरान हुए कीचड़ के कारण वाहन स्लीप होने पर भाजपा नेता झमक भरगट दुर्घटनाग्रस्त हो गए। जबकि उनके भाई एक विवाह समारोह से लौट रहे थे वाहन से गिर पड़े जिन्हें पैर में फै्रक्चर हुआ। शिकायत करने के लिए झमक भरगट ने अधिकारियों को फोन लगाया लेकिन किसी भी अधिकारी ने फोन नहीं उठाया।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी

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