रतलाम: दशा माता पूजन के दिन धधकते अंगारों पर चलते हैं इस गांव के पुरुष,मातृशक्ति के साथ-साथ बच्चे भी होते हैं शामिल
रतलाम, 4 अप्रैल (हि.स.)। जिले के सिमलावदा स्थित शिव मन्दिर के पुजारी महेश उपाध्याय ने बताया कि दशामाता पूजन के दिन धधकते अंगारों पर चलने की प्रथा काफी पुरानी है। इस अनोखी परंपरा के पीछे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
बरसों पुरानी मान्यता है कि यहां जो भी लोग पहुंचते हैं, वे धधकते अंगारों पर चलते हैं. इस मामले में लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ता। कई वर्षों से चली आ रही यह अनोखी परंपरा को आज भी ग्रामीण निभा रहे हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि दशा माता के दिन अंगारों पर चलने की परंपरा उनके गांव में कई साल से चली आ रही है। खास बात ये कि इस परंपरा में बड़ों के साथ बच्चे भी नंगे पैर धधकते अंगारों पर चलते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि इतने गरम अंगारों पर चलने के बाद भी न तो पैर में छाले पड़ते हैं और न ही किसी तरह की कोई तकलीफ होती है।
सनातन धर्म में तीज-त्योहारों का विशेष महत्व होता है. कई त्योहार ऐसे होते हैं, जिनकी अजीब मान्यताएं होती हैं। इसी कड़ी में गांव सिमलावदा में दशा माता पूजन के दिन शाम 6 बजे को अनोखी परंपरा देखने को मिलती है. इस परंपरा के लिए लोगों को दशा माता पूजन का हर साल इंतजार रहता है.
सिमलावदा गांव में दशा माता पर वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन आज भी हो रहा है। यहां लोग दहकते अंगारों पर चलते हैं। इस प्रथा में बच्चे भी शामिल होते हैं। गांव में दशा माता पूजन के बाद शाम को शिव मंदिर प्रांगण में धधकते अंगारों पर चलने की परंपरा हर साल निभाई जाती है। गांव के बुजुर्ग प्रभू लाला पाटीदार,भरतलाल परमार, शान्तिलाल पाटीदार, बाबूलाल झामता,गोपाल दास बैरागी ने कहा कि वर्षों से जारी इस परम्परा को लोग श्रद्धा से निभाते है ताकि पुण्य लाभ मिल सके।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी
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