रतलाम: संकल्प से सृष्टि बनती है, खुशी हमारी सोच पर निर्भर करती है : शिवानी दीदी

रतलाम: संकल्प से सृष्टि बनती है, खुशी हमारी सोच पर निर्भर करती है : शिवानी दीदी
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रतलाम: संकल्प से सृष्टि बनती है, खुशी हमारी सोच पर निर्भर करती है : शिवानी दीदी


रतलाम, 4 जनवरी (हि.स.)। अच्छी सोच, अच्छे संस्कार, अच्छे कर्म से ही खुशी आती है। संकल्प के शब्दों की भाषा से हम अपने आसपास की दुनिया बदल सकते हैं। संकल्प से सृष्टि बनती है यदि इसे बदलना शुरू कर दें तो हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे।

यह बात हैप्पीनेस अनलिमिटेड, असीम आनंद की ओर विषय पर अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने अंबेडकर ग्राउंड में ब्रह्माकुमारी द्वारा आयोजित विशाल आध्यात्मिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि हम ऐसे समय में चल रहे हैं जहां कब क्या होना है कुछ पता नहीं है, जो पता है उसकी तैयारी होना चाहिए। हम अपने साथ सही कर रहे हैं या गलत यह हमारे कंट्रोल में है। संस्कार और कर्म हमारे साथ चल रहे है। हर घर की ऊर्जा अलग होती है। घर की ऊर्जा हमारे मन की स्थिति बनाती है। घर मैला हो सकता है लेकिन वातावरण में सुकून होना चाहिए। हमें अपने घर की ऊर्जा को ऐसे बनाना है कि कोई भी आए तो उसे सुकून मिले, जैसे मंदिर जाने वाले के मन में भावना, विचार अच्छे होते है तो सभी बातें अच्छी होती है।

भारत विश्व गुरू बन जाएगा

आज हमें अपने संस्कारों को वापस लाना है। घर का वातावरण घर में रहने वालों के संस्कार पर निर्भर है। परिस्थितियाँ अलग-अलग हो सकती हैं बस हमें अच्छा सोचना है। हमारे संस्कारों को हमें वापस लाना है उनके आते ही भारत विश्व गुरु बन जाएगा। कोई कैसा भी करें हमें बस सही सोचना है सही बोलना है और सही करना है। जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए हमें किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना है।

प्यार और मोह दोनों अलग होते हैं। मोह से आत्मा की शक्ति कम होती है और गुण से शक्ति बढ़ती है। हम अपने घर में बच्चों को पढ़ाई के लिए वातावरण देते हैं लेकिन शक्ति नहीं देते उसे हमें शक्ति देनी चाहिए। घर को इतना शक्तिशाली बनाएं कि हर परेशानी का हाल भी निकल जाए।

वायरस से हमें अपने को बचाना है

ब्रह्माकुमारी ने कहा कि कोरोना में जैसे किसी को खांसी आती थी तो हम अपने आप को बचाते थे ठीक वैसे ही हमें गलत करने वाले से बचाना है। क्रोध, निंदा, ईर्ष्या आदि के वायरस से हमें अपने को बचाना है। यदि कोई भी बात हो तो आप उसे स्वीकार करें और सोचे व कहें कि यह मेरे कल्याण के लिए आई है। ऐसा बोलते ही मन बड़ा हो जाता है और हम ऊपर उठ जाते हैं। जिससे अच्छा ही अच्छा होता है।

बीमारी शरीर में नहीं हमारे मन में होती है

संकल्प के शब्दों की भाषा से अपने आसपास की दुनिया बदलने लगती है। संकल्प से ही सृष्टि बनती है। यदि इसे बदलना शुरू कर दिया तो हम सब कुछ बदलने की शक्ति रखते हैं। डॉक्टर बीमारी शरीर से निकल सकता है लेकिन मन से हमें निकलना होता है बीमारी शरीर में नहीं हमारे मन में होती है यदि वह निकल गई तो हम कभी बीमार नहीं होंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रभु स्मृति एवं दीप प्रज्वलन से हुई। दीप प्रज्वलन में ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी, ब्रह्माकुमारीज के इंदौर जोन की क्षेत्रीय प्रभारी ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी, भिलाई से पधारी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, महापौर प्रहलाद पटेल, जिलाधीश भास्कर लक्ष्कार, उद्योगपति सिद्धार्थ काश्यप, मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार, ब्रह्माकुमारी अनिता दीदी, रतलाम सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी शामिल हुए। सुप्रसिद्ध गायक भ्राता युगरतन ने गीत गाकर सभी को खुशी से भाव विभोर कर दिया।

इंदौर की क्षेत्रीय निदेशिका हेमलता दीदी ने आशीर्वचन देते हुए आनंद की प्राप्ति का आधार आनंद के सागर परमात्मा हैं उनके साथ कनेक्शन जोडऩे से ही परम आनंद की अनुभूति होती है। महापौर प्रहलाद पटेल ने कहा कि यह रतलाम के लिए बड़ा ही शुभ दिन है और सौभाग्य की बात है कि शिवानी दीदी का कुछ क्षण के लिए ही साथ नसीब हुआ है। चेतन्य काश्यप फाउंडेशन के द्वारा यह कार्यक्रम प्रायोजित किया गया है।

सिद्धार्थ काश्यप ने कहा कि शिवानी दीदी का रतलाम आगमन यहां के लिए सौभाग्य की बात है। मेरा मानना है कि दीदी के यहां होने से यहां पांडाल में उपस्थित हम सभी के जीवन में सफलता की शुरूआत आज से होगी। हैप्पीनेस अनलिमिटेड, असीम आनंद की ओर, असीम यानी सीमा से आगे जाकर हम अपने जीवन को कैसे सुखमय बनाए और अधिक सफल बनाए वह दीदी साधारण भाषा में समझा देती है, जिससे कई समस्याओं का निराकरण हो जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी

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