राजगढ़ः देश में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण के लिए हुई संघ की स्थापना- अशोक पांडे
राजगढ़, 2 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भारतवासी में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण के लिए हुई है। जब डॉ. हेडगेवारजी ने संघ की स्थापना की, तब स्वतंत्रता का आंदोलन चल रहा था, उस समय उन्होंने अध्ययन, चिंतन किया और अंततः विचार किया कि देश को भले ही स्वतंत्रता प्राप्त हो जाए, लेकिन जब तक हममें यह विचार नहीं होगा कि हम पराधीन क्यों हुए, तब तक स्वतंत्रता स्थाई नहीं होगी। उन्होंने चिंतन के बाद पाया कि हम सामाजिक दृष्टि एक नही थे आपस में फूट थी भेदभाव था और देश में एकता नही थी इसलिए हमारी आजादी का अपहरण हुआ। इसीलिए देश में रष्ट्रभक्ति एवं चरित्र की स्थापना के लिए संघ की स्थापना हुई।
यह बात रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक अशोक पांडेय ने जीरापुर के खेजड़िया जोड़ स्थित आदर्श महाविद्यालय में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग के प्रकटोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि संघ ने स्थापना के बाद कई संघर्ष किए और दमन भी झेले लेकिन उपेक्षा और दमन के बाद भी संघ के कार्यों में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भागवत भूषण संत प्रेमनारायण गेहूंखेड़ी वाले एवं वर्ग के सर्वाधिकारी सुनील पाठक उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य हमेशा पवित्र एवं ईश्वरीय कार्य में रहा है, लोगों के चरित्र का निर्माण करने में संघ ने समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता आंदोलन में संघ के स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया, बंटवारे की त्रासदी में संघ ने अनेक प्रकार से राहत सेवा की, प्रतिबंध लगने के बाद भी संघ ने अपने कार्य को जारी रखा। सेवा कार्य, समरसता का कार्य संघ के मूल में प्रारंभ से रहा है। चीन, पाकिस्तान से हुए युद्ध में स्वयंसेवकों ने सेना की मदद की। वर्तमान में भी सम्पूर्ण देश में संघ द्वारा 1 लाख 50 हजार से अधिक सेवा कार्य चलाए जा रहे है।
उन्होंने कहा कि देश के अनेक मनीषियों ने समाज को समरस करने के कार्य किए वहीं संघ भी समाज में समरसता लाने के लिए सतत कार्य करता है। अनेक मनीषियों ने पूर्व में भी समाज में यह भाव स्थापित किया कि गुण, स्वभाव और श्रेष्ठता के आधार पर मनुष्य बड़ा होता है, जन्म और कुल के आधार पर नही। पर्यावरण के क्षेत्र में भी संघ अनेकों कार्य कर रहा है। नागरिक अनुशासन, कुटुंब प्रबोधन, ग्राम विकास के माध्यम से देश के लोगों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने का कार्य भी संघ कर रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव केवल हिन्दू धर्म में है, भारत को जानो, भारत को मानो और भारत के बनो।
संघ के प्रकटोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूज्य संत प्रेमनारायण गेहूंखेड़ी ने कहा कि हमारे भारत का भविष्य युवाओं के हाथों में है, युवा ही देश के भविष्य निर्माता है इसलिए युवाओं में परिवार का भाव नितांत आवश्यक है। परिवार भाव एवं कुटुंब प्रबोधन से ही राष्ट्रप्रेम का भाव जागृत होगा जिससे हमारा भारत पुनः पुनः विश्व गुरु बनेगा। वर्तमान परिवेश में हम देख रहे हैं कि जिस प्रकार परिवार बिखर रहे है और युवाओं के मन में परिवार भाव कम हो रहा है वह हम सबके लिए चिंता का विषय है इसलिए हमें परिवार भाव का जागरण करना होगा साथ ही कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से समाज को जागृत करना होगा।
विगत 15 दिनों से जिले के जीरापुर के समीप खेजड़िया जोड़ स्थित आदर्श महाविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संघ शिक्षा वर्ग चल रहा था, वर्ग में 332 शिक्षार्थियों ने भाग लिया, जिन्होंने अनेक प्रकार की विधाओं का शिक्षण प्राप्त किया। प्रकट कार्यक्रम में इन विधाओं का प्रदर्शन किया गया, जिनमें शारीरिक के कार्यक्रम-समता के माध्यम से समानता एवं सांघिकता का भाव जगाना। संचलन के माध्यम से एक साथ चलने का भाव जागृत करना, दंड संचालन,दंडयुद्ध, नियुद्ध,पदविन्यास के माध्यम से शारीरिक सिद्धता एवं आत्म विश्वास का भाव जागृत करना। घोष के माध्यम से ऊर्जा का संचार करने के लिए घोष की विविध रचनाओं का प्रदर्शन किया गया वहीं गीत के माध्यम से राष्ट्रभक्ति का भाव जागृत किया गया। प्रकट कार्यक्रम में संघ के लगभग 10 हजार स्वयंसेवक एवं नागरिकगण मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ मनोज पाठक/मुकेश
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