वर्षों विपक्ष में बैठनेवाले रामनिवास रावत फिर हो जाएंगे ताकतवर, होनेवाली है मंत्री पद पर ताजपोशी
भोपाल, 1 जुलाई (हि.स.)। सुबह का समय... हर रोज की तरह लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं, लेकिन संयोग से रविवार होने के कारण से एक बड़ा तबका समाज का ऐसा भी है, जिसे हर रोज की तरह नींद से उठने की जल्दी नहीं है। लेकिन राजनेता, पत्रकार, पुलिस और प्रशासन में की पोस्ट पर बैठे अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए क्या सोम, मंगल और क्या रविवार! वे प्रतिदिन के हिसाब से ही अपनी दिनचर्या को फॉलो कर रहे हैं। और दिखिए, इसी रोजमर्रा की दिनचर्या में एक सूत्र हाथ में लगा एवं सरपट दौड़ती मुख्यमंत्री आवास के मुख्य द्वार से अंदर जाती हुई एक गाड़ी दिखाई दी, जिसमें कांग्रेस की सत्ता में मंत्री रहे एवं विधायक रामनिवास रावत अपने अनेक सहयोगियों के साथ बैठे थे।
गाड़ी अंदर जाकर मेन द्वार पर रुकी, उसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उनकी एक विशेष बैठक शुरू होती है। बैठक बीच-बीच में रुकती है, कुछ विशेष लोग अंदर आते-जाते हैं और मुख्यमंत्री यादव से संवाद करते जाते हैं और फिर एक लम्बी अवधि के बाद बहुत ही प्रसन्न मुद्रा में सीएम कक्ष से रामनिवास रावत बाहर निकलते हैं । वहां सीएम निवास में वेटिंग रूम में बैठे उनके साथियों के चेहरे भी अपने नेता का खिला चेहरा देखकर खिल उठते हैं, फिर ये सभी बिना किसी आपसी संवाद के मुख्यमंत्री निवास से बाहर निकल जाते हैं।
दरअसल, एक दिन पूर्व यानी कि रविवार को सुबह के वक्त ये घटना नौ से साढ़े दस बजे तक घटती है, और फिर जो सूचना बाहर निकलकर आती है, वह यह है कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एक बार फिर जल्द अपने मंत्री मण्डल में फैर बदल करने जा रहे हैं। कुछ नए लोगों को अवसर मिलेगा और हो सकता है कि कुछ का मंत्री पद वापिस ले लिया जाए। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में अब फिर मंत्रीमंडल फेरबदल की कवायद तेज हो गई है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही रामनिवास रावत को विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के निर्देश के बाद सचिवालय ने कार्य मंत्रणा समिति से हटा दिया गया था । उनकी जगह दतिया से विधायक राजेंद्र भारती को समिति में जगह दी गई। रावत लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे । हालांकि उन्होंने अभी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। अब राजनीतिक विश्लेषक एवं शासन-प्रशासन के सूत्रों का कहना है कि विधायक पद से इस्तीफे के पहले उनको मोहन कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। कैबिनेट में शामिल होने के बाद रामनिवास रावत विधायकी से इस्तीफा देंगे। इसके बाद विजयपुर में उपचुनाव होंगे और वे भाजपा की टिकट पर इस बार जनता के बीच जाएंगे।
दूसरी ओर उन्होंने भाजपा में आने के बाद से कांग्रेस की पोल खोलना जारी रखा है। वे कहते हैं कि कांग्रेस के अंदर किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं होती है ना ही कार्यकर्ता की और ना ही नेता की, अगर सुनवाई हो रही होती तो मैं भारतीय जनता पार्ट क्यों ही ज्वाइन करता। यदि किसी को कांग्रेस से टिकट चाहिए होता है तो पहले जेब गर्म करनी पड़ती है। कांग्रेस में पहले पैसा दीजिए फिर टिकट की उम्मीद करिए। यहां वे अपना दर्द भी बयां करते हुए चलते हैं, रावत कांग्रेस से आज भी पूछते हैं कि जब विधान सभा और लोकसभा में चुनावी हार का सामना कांग्रेस को करना पड़ा तो किसी ने हार की जिम्मेदारी क्यों नहीं ली। पूरा हाउस मैं चलाता था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष मुझसे जूनियर को बना दिया गया। मेरे बराबर किसी को बनाते तो दिक्कत नहीं थी। सीएलपी लीडर बनाने के लिए दो-तीन बार मौके आए, लेकिन मुझे नहीं बनाया गया।
वे कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि उनके साथ हुए इस व्यवहार के क्या मायने निकाले जाएं? वहीं भाजपा सूत्रों के मुताबिक मप्र के डॉ. मोहन यादव के मंत्रीमंडल में फेरबदल करने के लिये पार्टी आलाकमान व राज्य संगठन स्तर पर आंशिक सहमति बन चुकी है। दो दिग्गज पूर्व मंत्री भी मंत्रीमंडल में शामिल किये जा सकते हैं। इनमें से एक सागर संभाग एवं दूसरे जबलपुर संभाग से आते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री मोहन यादव यह सब परिवर्तन इसलिए भी कर रहे हैं, क्योंकि वह अपने मंत्रीमंडल में मंत्रियों को ज्यादा सक्रिय और जनता के कामों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाना चाहते हैं, ताकि उनकी सरकार के रहते आम जनता की भलाई के अधिकतम काम संभव हो सकें।
सूत्र बताते हैं कि अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद कैबिनेट विस्तार संभव है। अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दिया था। वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके भाजपा में आने के बाद अमरवाड़ा में उपचुनाव की घोषणा की गई। अभी भाजपा ने इन्हीं कमलेश शाह को अमरवाड़ा से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। अमरवाड़ा में 10 जुलाई को वोटिंग होनी है । ऐसे में संभावना है कि इस उपचुनाव में यदि शाह जीतते हैं तो उन्हें कैबिनेट में जगह मिल सकती है क्योंकि छिंदवाड़ा लोकसभा की जीत में शाह की बड़ी भूमिका दिखाई दी थी। फिलहाल डॉ. मोहन कैबिनेट में चार जगह खाली है। मध्यप्रदेश में मंत्रियों की संख्या अधिकतम 34 तक हो सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/संजीव
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