मप्र से राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने मांगे चार-चार बाघ
- वन विभाग कर रहा देने की तैयारी, एनटीसीए से अनुमति का इंतजार
भोपाल, 10 जून (हि.स.)। मध्य प्रदेश में इस समय सर्वाधिक बाघ हैं। इसीलिए इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इस पर अब अन्य राज्यों की नजर है। तीन राज्यों ने मध्य प्रदेश से बाघों की मांग की है। इनमें राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ शामिल हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से चार-चार बाघ मांगे हैं। इन राज्यों की मांग के बाद अब वन विभाग प्रदेश के उन वन क्षेत्रों को चिह्नित कर रहा है, जहां बाघों की संख्या अधिक है। यहां से बाघों को अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के साथ अन्य राज्यों को देने पर भी निर्णय लिया जाएगा।
दरअसल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बाघ की मांग तत्कालीन कांग्रेस सरकार में की गई थी। अब दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है, ऐसे में एक बार फिर नई सरकारों ने मप्र की सरकार से बाघों की मांग की है। वन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि वन अधिकारियों का कहना है कि तीनों राज्यों को बाघ देने का निर्णय एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) से अनुमति मिलने के बाद लिया जाएगा।
मप्र के वन्य प्राणी अभिरक्षक अतुल श्रीवास्तव ने सोमवार को बताया कि एनटीसीए की टीम इन राज्यों की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन करेगी कि वहां का क्षेत्र बाघ की सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं। इन परिस्थितियों का अध्ययन करने के बाद ही राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को निर्धारित प्रावधान और नियम शर्तों के आधार पर बाघ देने का निर्णय लिया जाएगा।
इधर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश भी है कि मध्य प्रदेश अपने पड़ोसी राज्यों से परस्पर बेहतर संबंध बनाए। इसके दो बड़े उदाहरण केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना है। इन दोनों ही परियोजना से उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच आपसी संबंध बढ़े हैं और इससे मध्य प्रदेश सहित इन दो राज्यों को लाभ मिलेगा। इसे देखते हुए अब मध्यप्रदेश सरकार राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ को बाघ देने पर विचार कर रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/प्रभात
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