ग्वालियरः जल गंगा संवर्धन अभियान को प्रभावी बनाने में जनप्रतिनिधि करेंगे पूरा सहयोग
- कम लागत व थोड़े प्रयास में अधिक उपयोगी साबित होने वाली जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार को प्रमुखता दी जायेगी
ग्वालियर, 12 जून (हि.स.)। कम लागत और थोड़े से प्रयासों से अधिक उपयोगी साबित होने वाली जिले के पुरानी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार प्रमुखता से किया जाएगा। “जल गंगा संवर्धन अभियान” सहित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्राथमिकता में शामिल कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से धरातल पर लाने के उद्देश्य से आयोजित हुई बैठक में विधायक मोहन सिंह राठौर एवं जिला पंचायत सदस्यों के साझा सुझावों पर यह निर्णय लिया गया।
जिला प्रशासन की पहल पर बुधवार को जिला पंचायत के सभागार में खासतौर पर ग्रामीण अंचल में सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों में जनभागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित हुई इस बैठक में जनप्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया कि वे जल संवर्धन अभियान को जन आंदोलन बनाने में पूरा सहयोग देंगे। अभियान को प्रभावी बनाने के लिये जनप्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
कलेक्टर रुचिका चौहान ने “जल गंगा संवर्धन अभियान”, स्कूल चलें हम, विश्व योग दिवस, खरीफ के लिए खाद-बीज की व्यवस्था, बरसात से पूर्व एहतियात बतौर आपदा प्रबंधन उपाय इत्यादि की कार्ययोजना के बारे में जनप्रतिनिधियों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
बैठक में विधायक मोहन सिंह राठौर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष प्रियंका सतेन्द्र सिंह, मंदे आदिवासी, केशव सिंह बघेल, अनूप कुशवाह व जसवंत सिंह झाला सहित जिला पंचायत के अन्य सदस्यगण, कलेक्टर रुचिका चौहान, जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार, जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी वेदव्रत व्यास व कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा योगेन्द्र भदौरिया समेत अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
विधायक मोहन सिंह राठौर सहित जिला पंचायत के सदस्यों ने ग्रामीण अंचल में धुँआ के मंदिर के समीप स्थित पुरानी बावड़ी, सिमिरिया, जखौदा, बड़ागाँव व जखा में स्थित पुराने तालाब व लखनपुर पंचायत में स्थित राजा मानसिंह तोमर के समय का मृगनयनी तालाब सहित अन्य पुराने जलाशयों का जीर्णोद्धार कराने का सुझाव दिया। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि बहुत कम लागत में इन तालाबों को उपयोगी बनाया जा सकता है। कलेक्टर ने इन सभी जल संरचनाओं को जल गंगा संवर्धन अभियान की कार्ययोजना में शामिल करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर रुचिका चौहान ने बैठक में जानकारी दी कि जिले में खरीफ के लिये यूरिया व एनपीके की पर्याप्त उपलब्धता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग करने के लिये प्रेरित करें। एनपीके में डीएपी से अधिक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से स्कूल चलें हम अभियान में भी सक्रिय भागीदारी निभाने का आग्रह किया। साथ ही कहा कि हम सभी के ऐसे प्रयास हों जिससे कोई भी पढ़ने योग्य बच्चा स्कूल में प्रवेश लेने से वंचित न रह जाए।
जनप्रतिनिधियों से विश्व योग दिवस 21 जून पर पंचायत स्तर तक सामूहिक योग कार्यक्रम आयोजित करने में सहयोग देने के लिये भी कहा गया। बैठक में जानकारी दी गई कि 14 जून से योगाभ्यास शुरू होगा। कलेक्टर ने आग्रह किया कि जनप्रतिनिधि भी योगाभ्यास में भाग लें, जिससे अन्य लोगों को प्रेरणा मिल सके।
कलेक्टर ने बैठक में यह भी जानकारी दी कि बरसात से पूर्व जिले के जल भराव वाले क्षेत्रों, पुल-पुलियों इत्यादि को चिन्हित कर संकेतक लगाए जायेंगे। साथ ही जल भराव वाले क्षेत्रों में पहले से ही एहतियात बतौर आश्रय स्थल चिन्हित कर पर्याप्त व्यवस्थायें की जायेंगीं। जल भराव वाले क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य के लिये गोताखोर, रस्सी, टॉर्च सहित अन्य सामग्री का पर्याप्त प्रबंधन किया जायेगा।
जिला पंचायत सीईओ विवेक कुमार ने जानकारी दी कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिले के प्रत्येक विकासखंड में एक- एक गाँव का चयन किया गया है, जिनमें भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए वृहद स्तर पर श्रृंखलाबद्ध ढंग से जल संरचनायें बनाई जायेंगीं। इन ग्रामों में मुरार विकासखंड का ग्राम बंधौली, घाटीगाँव का ग्राम रेंहट, डबरा का सूखापठा व जनपद पंचायत भितरवार का ग्राम मऊछ शामिल हैं।
जल संरचनाओं से बढ़ेगी 27 लाख 86 हजार घन मीटर से अधिक जल संग्रहण क्षमता
बैठक में जानकारी दी गई कि “जल गंगा संवर्धन अभियान” के तहत जन सहयोग से जिले में 44 जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार का काम हाथ में लिया गया है। इनसे लगभग एक लाख 12 हजार 800 घन मीटर जल संग्रहण क्षमता बढ़ेगी। साथ ही 342 नई जल संरचनायें बनाई जायेंगीं, जिनसे 8 लाख 89 हजार घन मीटर से अधिक जल संग्रहण क्षमता उपलब्ध होगी। जिले में वर्तमान में कुल 774 जल संरचनाओं का काम प्रगति पर है। इसमें से 238 जल संरचनाओं का काम अभियान के दौरान यानि 16 जून तक पूर्ण होने जा रहा है। प्रगतिरत जल संरचनाओं का काम पूरा होने पर 27 लाख 86 हजार घन मीटर से ज्यादा जल संग्रहण क्षमता बढ़ेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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