इंदौरः एकीकृत बागवानी विकास मिशन अंतर्गत संरक्षित खेती बनी कृषक दिनेश पटेल के लिए लाभ का व्यवसाय

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इंदौरः एकीकृत बागवानी विकास मिशन अंतर्गत संरक्षित खेती बनी कृषक दिनेश पटेल के लिए लाभ का व्यवसाय


इंदौर, 4 सितंबर (हि.स.)। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए लगातार विशेष प्रयास किये जा रहे है। मैदानी स्तर पर उद्यानिकी विभाग के द्वारा संचालित योजना के बेहतर क्रियान्वयन और किसानों के परिश्रम से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इससे किसानों के जीवन में बड़े बदलाव आ रहा है। कृषक आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे। संरक्षित खेती पद्धति किसानों को पारंपरिक कृषि के मुकाबले अच्छी आमदनी प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रही है। योजना अंतर्गत तकनीकी जानकारी और योजना से लाभार्थी किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है।

ऐसा ही कुछ एकीकृत बागवानी विकास मिशन अंतर्गत संरक्षित खेती अंतर्गत मल्चिंग विधि को अपनाने से ग्राम पिपल्याकला पंधाना के कृषक दिनेश पटेल के जीवन में कृषि लाभ का व्यवसाय बनकर उन्हें उन्नती प्रदान करने में सहायक बनी है। संरक्षित खेती के अंतर्गत कृषक पटेल ने प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करते हुए आधा हेक्टेयर भूमि पर मिर्च की फसल लगाई, जिससे उनको 225 क्विंटल मिर्च का उत्पादन हुआ, जिसकी लागत दो लाख रुपये लगी। यह उपज करीब चार लाख रुपये में बिकी, जिससे उन्हें शुद्ध दो लाख रुपये की आय प्राप्त हुई। इसी प्रकार उन्होंने तरबूज फसल भी मल्चिंग विधि से लगाई और डेढ़ हेक्टेयर भूमि पर तरबूज फसल से करीब 500 क्विंटल उत्पादन हुआ। तरबूज फसल में करीब सवा दो लाख रुपये उत्पादन खर्च आया तथा फसल विक्रय से करीब पांच लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई। तरबूज फसल से उन्हें करीब पौने तीन लाख रुपये की आय प्राप्त हुई।

दिनेश पटेल ने बुधवार को बताया कि पहले पारंपरिक खेती से फसल का इतना उत्पादन नहीं होता था। खरपतवार , निराई-गुड़ाई, सिंचाई सहित अन्य खर्च अधिक हो जाता था, जिससे कृषि लाभ और खर्च के मुकाबले लाभ नाम मात्र हो पाता था। मजदूरों की समस्या से भी खासे परेशान थे लेकिन मल्चिंग विधि से मिर्च और तरबूज की फसल लेने से लाभ हुआ। फसल उत्पादन खर्च घटा और आय में वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि योजना अंतर्गत 32 हजार रूपये का अनुदान मिला। मिर्च और तरबूज फसल से उन्होंने करीब पौने पांच लाख रुपये की शुद्ध आय प्राप्त की। उन्होंने योजना का लाभ मिलने तथा कृषि से इतनी अच्छी आय होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि संभागायुक्त दीपक सिंह के निर्देशानुसार संभाग के समस्त जिलों में आधुनिक कृषि को अधिक से अधिक कृषक अपनाए तथा इसके लिए कृषकों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ-साथ योजनाओं के महत्व की जानकारी दी जा रही है।

संयुक्त संचालक उद्यान इंदौर संभाग डीआर जाटव के मार्गदर्शन में विभागीय अमला भी लगातार विशेष प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि कृषक उन्नत उद्यानिकी फसलों, योजनाओं की जानकारी हेतु उद्यानिकी विभाग के जिला अथवा विकासखंड कार्यालय पर संपर्क कर योजना के लाभ संबंधित जानकारी ले सकते हैं।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन संरक्षित खेती प्लास्टिक मल्चिंग कार्यक्रम

एकीकृत बागवानी विकास मिशन संरक्षित खेती प्लास्टिक मल्चिंग कार्यक्रम विधि संबंधित योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पंजीयन MPFSTS पोर्टल के माध्यम से https://mpfsts.mp.gov.in पर पंजीयन कराये जाने के उपरांत संचालनालय उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण म.प्र. भोपाल द्वारा लॉटरी के माध्यम से चयनित कर लाभान्वित किया जाता है, जिसमें निम्नानुसार दस्तावेज आवश्यक होते है। आवेदक को एक पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, आवेदन की जमीन के खसरा, खतौनी की नकल की छायाप्रति, जाति प्रमाण पत्र (अजा एवं अजजा वर्ग हेतु), बायोमेट्रिक अथवा Nitgen एवं Morpho Device के माध्यम से जिसमें बैंक खाता और मोबाईल नम्बर के साथ आवश्यक होता है। ऑनलाईन पंजीयन के पश्चात् लॉटरी में चयनित कृषकों का संबंधित विकासखंड अधिकारी द्वारा ऑनलाईन अपलोड दस्तावेजों को सत्यापित कर अग्रेषित किया जाता है। तदोपरांत जिले संबंधित कृषकों को कार्य करने हेतु ऑनलाइन आशय पत्र, कार्यादेश जारी किये जाते है। योजना के तहत संरक्षित खेती प्लास्टिक मल्चिंग के लिए प्रति हेक्टेयर सभी कृषकों के लिए लघु/सीमांत/बडे (अ.जा./अजजा/सामान्य) अधिकतम 2 हेक्टेयर तक लाभ दिया जा सकता है। योजना के संबंधित अधिक जानकारी हेतु कार्यालय उप संचालक उद्यान, रेसीडेंसी परिसर, चिड़ियाघर के पास, ए.बी. रोड इन्दौर अथवा जिला मुख्यालय स्थित उद्यानिकी कार्यालय तथा विकासखंड कार्यालय में सम्पर्क कर योजना की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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