अनूपपुर: आय से अधिक संपत्ति के मामले में पुलिस आरक्षक को पद से किया सेवा से पृथक, उच्च न्यायालय ने किया बहाल

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अनूपपुर: आय से अधिक संपत्ति के मामले में पुलिस आरक्षक को पद से किया सेवा से पृथक, उच्च न्यायालय ने किया बहाल


अनूपपुर, 5 अप्रैल (हि.स.)। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विभागीय जांच के उपरांत पुलिस विभाग ने उन्हें सेवा से पृथक आरक्षक मिथिलेश पांडे ने उच्चं न्यासयालय जबलपुर में अधिवक्ता पुत्र के माध्याम से लाया जहां उच्च न्यायालय ने शासन के आदेश को निरस्त करते हुए पुन: सेवा बहाल किया। जहां शनिवार को आरक्षक मिथिलेश पांडे अनूपपुर में अपनी उपस्थित दर्ज कराई। 11 साल की लड़ाई के बाद पुत्र ने पिता को जीत दिलाई और पांडे परिवार में एक बार फिर से खुशियां लौट कर आई।

वर्ष 2013 में उमरिया थाना में पदस्थ आरक्षक मिथिलेश पांडे को आय से अधिक संपत्ति के मामले में विभागीय जांच के उपरांत पुलिस विभाग ने उन्हें सेवा से पृथक कर दिया था। इसके बाद आरक्षक अपना पक्ष पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष रखा लेकिन विभाग ने दरकिनार का दिया। जिसे लेकर दिसंबर 2013 में इसे लेकर उच्च न्याायालय जबलपुर का दरवाजा खटखटाया जहां पर उन्होंने अपील दायर करते हुए न्याय की मांग की। जिस पर उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग कई उच्च्धिकारियों को तलब किया इस दौरान विभाग ने उच्च न्यायालय के आदेश से संतुष्ट नहीं हुआ और निरंतर मामला चलता रहा। वर्ष 2024 में मिथिलेश पांडे के पुत्र अभिषेक पांडे वकालत की डिग्री हासिल कर जबलपुर उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस प्रारंभ की और इसके साथ ही सर्वप्रथम उन्होंने अपने पिता का प्रकरण उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी के समक्ष प्रस्तुत किया,जिसे स्वीकार कर बहस की गई इस दौरान अधिवक्ता पुत्र ने पिता के खिलाफ लगे तमाम आरोपों को गलत बताते हुए न्याय की बात कहीं। उच्च न्यायालय ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद बाद पुलिस के आदेश को निरस्त कर आरक्षक मिथिलेश पांडे क़ो पुन: नौकरी पर वापस रखने का आदेश दिया। इसके बाद 5 अप्रैल को आरक्षक मिथिलेश पांडे ने अनूपपुर पुलिस अधीक्षक के समक्ष उपस्थित हुए जहां पुनः सेवा में बहाल किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला

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