पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी नए आपराधिक कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करें सुनिश्चित : संभागायुक्त डॉ. शर्मा

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पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी नए आपराधिक कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करें सुनिश्चित : संभागायुक्त डॉ. शर्मा


पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी नए आपराधिक कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करें सुनिश्चित : संभागायुक्त डॉ. शर्मा


- नए कानून संबंधी हुआ उन्मुखीकरण प्रशिक्षण

भोपाल, 19 जुलाई (हि.स.) । संभागीय आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि प्रदेश में 1 जुलाई 2024 से नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, दंड संहिता प्रक्रिया के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रभाव में आ गए हैं। पुलिस एवं प्रशासन के समस्त अधिकारी इनका अच्छी तरह अध्ययन कर लें, जिससे इनका जनहित में प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। सभी कलेक्टर अपने-अपने जिलों में इस संबंध में प्रशिक्षण आयोजित करें।

संभाग आयुक्त डॉ. शर्मा ने शुक्रवार को कमिश्नर कार्यालय में भोपाल संभाग के प्रशासन के अधिकारियों के नए कानून के संबंध में एक दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण को संबोधित किया। मास्टर ट्रेनर विधि अधिकारी पुलिस मुख्यालय विजय बंसल, एडीपीओ मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी सुचित्रा वर्मा तथा विधि अधिकारी पुलिस आयुक्त कार्यालय डॉ. मनीषा पटेल ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान एसीपी अवधेश गोस्वामी, आईजी अभय सिंह, भोपाल संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, एडीएम, एसडीएम सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। कुछ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए!

प्रशिक्षण में बताया गया कि नए कानून नागरिक केंद्रित कानून है तथा इसमें मौखिक अथवा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। जीरो एफआईआर का भी प्रावधान है, अर्थात किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। वहां से उसे संबंधित थाने को भेज दिया जाएगा। महिला पुलिस ही महिला पीड़िता की रिपोर्ट लिखेगी। पीड़ित और खबर देने वाले को एफआईआर की फ्री कॉपी दी जाएगी।

नवीन कानून में प्रौद्योगिकी का पूरा समावेश किया गया है। ई बयान, ई अटेंडेंस, ई रिकॉर्ड और ई एफआईआर का प्रावधान है। नए कानून पीड़ित केंद्रित दृष्टिकोण से बनाए गए हैं। अब छीना झपटी के मामलों को भी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना गया है। राजद्रोह को देशद्रोह में परिवर्तित किया गया है। मॉब लिंचिंग में अधिकतम सजा मृत्यु दंड रखी गई है।

नए कानून में सत्य और शीघ्र न्याय को विशेष महत्व दिया गया है। अब सुनवाई शुरू होने के बाद 60 दिन में आरोप तय किए जाएंगे और उसके 90 दिन बाद अभियोजन की कार्रवाई शुरू करनी होगी। पुलिस की कार्रवाई में जवाबदेगी और पारदर्शिता को महत्व दिया गया है। तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है।

नए कानून के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य

भारतीय संसद द्वारा माह दिसंबर 2023 में तीनों प्रमुख आपराधिक कानून के स्थान पर नये कानून निर्मिति करने हेतु विधेयक पारित किए गए। उक्त विधेयकों को राष्ट्रपति की अनुमति के बाद यह कानून 1 जुलाई 2024 से लागू चुके है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 - यह अपराध विधि का प्रमुख कानून है, जो कि भारतीय दंड संहिता 1860 का स्थान लेगी। इसके अंतर्गत पहले की 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराए होंगी। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए है और 41 अपराधों में सजा की अवधि में परिवर्तन किया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023- यह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का स्थान लेगी। पूर्व की 484 धाराओं के स्थान पर इसमें 531 धाराए होंगी। इसमें 177 धाराओं में बदलाव किए गए है और 09 नई धाराए जोड़ी गई है तथा 14 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023- यह अधिनियम भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगे। पूर्व में इसमें 167 सेक्शन तथा 11 अध्याय थे, वर्तमान में इसमें 170 सेक्शन और 12 अध्याय हैं।

कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। 6 छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है। कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। कई अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है।

- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।

- धारा 69 : झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

- धारा 70 (2) : सामूहिक बलात्कार की सजा में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत / नेहा पांडे

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