उज्जैन : एनजीटी के निर्देश पर सप्तसागर और गोवर्धन सागर से हटेंगे अतिक्रमण 

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उज्जैन, 7 जनवरी (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)के एक आदेश के बाद पुराने शहर के फाजलपुरा क्षेत्र में स्थित विक्रमादित्य क्लाथ मार्केट में मंगलवार को हलचल मच गई। स्कंद पुराण के अवंति खण्ड में उल्लेखित सप्त सागरों में से एक गोवर्धन सागर की जमीन से एनजीटी ने अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। आदेश के पालन में 52 दुकानें और 40 घर प्रभावित होंगे।

एनजीटी ने यह आदेश गत 03 जनवरी को पारित करते हुए उक्त अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। गोवर्धन सागर की जलसंरचना से खिलवाड़ तथा अतिक्रमण मानते हुए एनजीटी ने नगर निगम को भी सख्त आदेश दिए है कि वे पालन करवाएं और सभी अतिक्रमण को तुरंत हटाएं। नगर निगम को इसके लिए आगामी 04 फरवरी तक का समय दिया गया है। गोवर्धन सागर के तीन ओर फैला अतिक्रमण हटाने के आदेश जिला प्रशासन के माध्यम से पूर्व में 92 विभिन्न लोगों को जारी किए गए थे। राजस्व अमले ने इसका सीमांकन भी किया था। उस समय यहां तक कार्रवाई होकर ठहर गई थी। राजस्व सूत्र बताते हैं कि अब एनजीटी ने जो आदेश जारी किए हैं,उस अनुसार विक्रमादित्य क्लाथ के अलावा समीप में स्थित पूर्व निर्मला सागर टॉकिज जहां अब कॉम्पलेक्स बन गया है ओर स्टेट बैंक की गली में पिछे बने निर्माण भी शामिल हैं। ज्ञात रहे पूर्व में संत-साधु भी गोवर्धन सागर को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए आंदोलन कर चुके हैं।

इस संबंध में तहसीलदार आलोक चौरे का कहना है कि यह अतिक्रमण तीन ओर से गोवर्धन सागर में फैला हुआ है। एक ओर नगरकोट माता मंदिर के समीप स्थित कथित कालोनी के मकान, दूसरी ओर विक्रमादित्य क्लाथ मार्केट की दिवारें एवं तीसरी ओर पूर्व निर्मल सागर टॉकिज जहां अब कॉम्पलेक्स बन चुका है,की पिछे की दुकानें तथा स्टेट बैंक की गली के पिछे के निर्माण शामिल हैं। इस सारे अतिक्रमण को हटाने के आदेश हुए हैं।

* गोवर्धन सागर का उल्लेख स्कंद पुराण के अवंति खण्ड में है। यह सप्त पुरियों में से एक है। यहां अधिक मास में श्रद्धालु पूजन करने के लिए आते हैं। यहां माखन-मिश्री,गेहंू और लाल कपड़ा चढ़ाने का विधान है।

* इसकी पूर्व में 36 बिघा जमीन बताई जाती थी,जो राजस्व विभाग के सर्वे में बाद में 24 बिघा ही पाई गई। माना गया कि अतिक्रमण हो गया है।

* प्रशासन ने माना था कि गोवर्धन सागर की भूमि सर्वे क्रं.1281 शासकीय है। साथ ही इस पर अतिक्रमण हुआ है। इसी आधार पर वर्ष-2022 में भी निर्माणों को नोटिस जारी किए गए थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्‍वेल

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