नागद : दुर्घटना मामले में लैंक्सेस के डॉयरेक्टर को एक सप्‍ताह में जवाब देने के निर्देश

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नागद : दुर्घटना मामले में लैंक्सेस के डॉयरेक्टर को एक सप्‍ताह में जवाब देने के निर्देश


नागदा, 03 अक्टूबर (हि.स.)। उज्जैन जिले के औद्योगिक नगर नागदा में संचालित जर्मनी कंपनी लैंक्सेस के एक मजदूर की दुर्घटना के मामले में जारी शोकॉज नोटिस में अब दो ओहदेदार अफसरों को सात दिनों में जवाब का स्पष्टीकरण सात दिनों में जवाब प्रस्तुत करना होगा।

औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग संभाग उज्जैन ने कंपनी के डायरेक्टर अर्थात कारखान अधिभोगी बलराम गौविंद खोत एवं नागदा यूनिट हेड सुनील गुलाटी के नाम जारी किया गया। इस नोटिस में संख्त हिदायत दी गई है कि सात दिनों में संतोष जनक जवाब प्राप्त नहीं होने न्यायलय में अपराधिक प्रकरण दायर किया जाएगा। इस मामले में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के उज्जैन संभागीय कारखाना निरीक्षक हिमांशु सालोमन ने बताया गत 12 सितंबर को यूनिट नागदा के लैंक्सेस उद्योग में कार्यरत एक ठेका मजदूर मिथुन पुत्र भुवान दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस दुर्घटना को छिपाने ने उद्योग प्रबंधन ने यह तर्क दिया था कि मजदूर गेट पास लेकर घर चला गया था। वहां पर दुर्घटना हुई। जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि मजदूर उद्योग में ही दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस मामले में निर्धारित दुर्घटना फार्म भी भरकर विभाग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया।

तीन धाराओं में नोटिस (1) अधिकारी सालोमन के मुताबिक जारी शोकॉज नोटिस में प्रबंधन को अधिनियम की घारा 32 (सी) के तहत दोषी पाया गया है। जवाब मांगा गया है। जांच में यह पाया गया कि कार्य के दौरान मजदूर जेएचफर्म से नीचे गिरा। इस फ्रेम का एक पाया टूटा जिसके कारण वह नीचे गिरा। नीचे रखे लोहे के सरिया उसके पेट में घूस गए। यह गनीमत रहीं कि नीचे लोहे के सरिए थे वहां पर कोई रसायन होता तो और भी गंभीर दुर्घटना होती, जांच के बाद यह तथ्य सामने आया कि यहां पर प्रबंधन ने मजदूर की सुरक्षा के लिए कोई भी उपाय नहीं किए गए। असुरक्षित कार्य प्रणाली का खामियाजा मजदूर को भुगतना पड़ा। (2) घारा 88 में मप्र कारखाना नियम 1962 के नियम 108 के तहत उद्योग में दुर्घटना के 48 घंटों के अंदर प्रबंधन को औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के समक्ष लिखित में सूचना प्रस्तुत करना होती है। लेकिन लैंक्सेस प्रबंधन ने अभी तक कोई सूचना नहीं दी।

यहां तक एक पत्र भेजा गया जिसमें यह बताया गया कि उद्योग में कोई दुर्घटना नहीं हुई। तथ्यों को छिपाने तथा विभाग को गुमराह करने का प्रयास किया गया। (3) औघोगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा अधिनियम की धारा 7 (2) बी का उल्लघन भी किया है। कारण कि प्रबंधन ने अपने सुपरविजन के तहत कार्य संस्कृति में मजदूर की सुरक्षा की और घ्यान नहीं दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / कैलाश स्नोलिया

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