भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा मप्र : मंत्री परमार

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भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा मप्र : मंत्री परमार


भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा मप्र : मंत्री परमार


- रादुविवि में वैदिक गणित पर त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

जबलपुर, 23 अगस्त (हि.स.)। मैकाले की शिक्षा पद्धति को भारत में अपनाने से पूर्व भारतीय पाठशालाओं में गणित विषय को वैदिक गणित रीति से पढ़ाया जाता था। ये विधियां वैदिक काल से ही विकसित होती रही हैं। गणित केवल हमारे पूर्वजों की ही देन है, शून्य और अनंत की बातें तो हमारे प्राचीन ग्रंथों में ही प्रमाणित हैं, जो हमारे लिए गर्व का विषय है। उसे मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। हम इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि भारतीय ज्ञान और परम्परा को सभी पाठ्यक्रमों में शामिल करने की अग्रणी भूमिका हमारा प्रदेश ही निभाएगा।

यह विचार प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने शुक्रवार को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में वैदिक गणित पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। यह कार्यशाला रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर की संगठन व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास व नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।

कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी ने कहा कि गणित एक जीवन कौशल है, हमें अपने जीवन के लगभग हर पहलू में इस कौशल का उपयोग करने की आवश्यकता है। भारत के लोगों के लिए गणित कभी कठिन विषय रहा ही नहीं है। हम सभी भारत के वैदिक ज्ञान को समझें और बच्चों को वैदिक गणित जरूर सिखाएं, इससे उनका आत्म-विश्वास तो बढ़ेगा ही, दिमाग की एनालिटिक पावर भी बढ़ेगी और गणित को लेकर कुछ बच्चों में जो भी थोड़ा बहुत डर होता है, वो डर भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

कार्यशाला में विषय प्रवर्तन एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए न्यास के प्रतिनिधि श्रीराम चौथाईवाले ने कहा कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों का युग स्वर्ण युग काल के रूप में भी जाना जाता था। लोग बिना किसी देरी के कलम और कागज का उपयोग किए बिना, मानसिक और बहुत सटीक गणना करते थे। उस समय, मौखिक रूप में ही शिक्षा दी जाती थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, भविष्य की पीढ़ियों के लिए उस समय के ज्ञान का दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता महसूस की गई और विभिन्न वेदों को लिखा जा रहा था। समय के साथ वह ज्ञान भी बिखर गया। हम सभी जानते हैं कि चार मुख्य वेद-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद हैं। इनमें से प्रत्येक विषय के सेट से संबंधित है। इनमें से, अथर्ववेद में सभी प्रकार के विज्ञानों से संबंधित सभी प्रकार के ज्ञान शामिल हैं, चाहे वह वास्तु विज्ञान, खगोलीय विज्ञान या इंजीनियरिंग विज्ञान या गणित का विज्ञान हो। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, विशेष रूप से यूरोप में प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में बहुत रुचि दिखाई गई थी। विशिष्ट वैदिक गणित, पुरी के शंकराचार्य, स्वर्गीय स्वामी श्री भारती कृष्ण तीर्थजी (1884-1960) के सहज कार्य का परिणाम है, जो स्वयं संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, इतिहास और दर्शनशास्त्र के महान विद्वान थे।

वैदिक गणित विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद जबलपुर केंट के विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को ‘ए’ ग्रेड मिलने से विश्वविद्यालय की पुरानी साख और कीर्ति फिर वापस आई है, जो सभी के लिए गौरव की बात है। विशिष्ट अतिथि जबलपुर उत्तर के विधायक डॉ. अभिलाष पाण्डेय ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अतीत का गौरव, वर्तमान की चिंता और भविष्य की सोच अत्यंत आवश्यक है। गणित और विज्ञान में भारत की बढ़ती प्रतिभा, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को लेकर वर्तमान समय में सर्वाधिक कार्य हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नागरिकों को अपने देश की उपलब्धियों पर गर्व करने और भारत की संस्कृति, विरासत और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने वाली पहलों में भाग लेने के लिए निरंतर प्रेरित कर रहे हैं।

एमओयू हुआ हस्ताक्षरित-

वैदिक गणित विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य एक एमओयू भी हस्ताक्षरित किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि यूजीसी नैक में सभी के सहयोग से हमने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय ने ‘ए’ ग्रेड हासिल कर जहाँ नया कीर्तिमान स्थापित किया है, वहीं दूसरी ओर हमारे विश्वविद्यालय का यशोगान पूरे देश में हो रहा है। विश्वविद्यालय ने समय पर परीक्षा और समय पर परिणाम के ध्येय वाक्य के साथ जो नवाचार प्रारंभ किया है, उसी की श्रृंखला में नया पायदान यह एमओयू है। हमारे शैक्षिक ढांचे में वैदिक गणित को शामिल करना, हमारे शिक्षकों के लिए समग्र शिक्षण अनुभव प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इस एमओयू से हम गणितीय दक्षता और आत्मविश्वास में सुधार करने, शैक्षिक उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन न्यास प्रतिनिधि डॉ. नीलेश पाण्डेय एवं आभार प्रदर्शन न्यास के प्रतिनिधि डॉ. राजेन्द्र कुररिया ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ विलोम

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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