विशाखापट्टनम पेसा-सम्मेलन में मध्य प्रदेश की उल्लेखनीय उपलब्धि

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विशाखापट्टनम पेसा-सम्मेलन में मध्य प्रदेश की उल्लेखनीय उपलब्धि


भोपाल, 30 दिसम्बर (हि.स.)। पंचायत राज मंत्रालय भारत सरकार दिल्ली के तत्वावधान में भारत के दस आदिवासी बहुल राज्यों के विभित्र जनजाति समुदायों को आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में पेसा महोत्सव के रूप में एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया गया। राष्ट्रीय पेसा दिवस पर यह महोत्सव गत सप्ताह उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल के मार्गदर्शन में अभिप्रेरित होकर मध्य प्रदेश के 152 सदस्यीय दल द्वारा यहां उल्लेखनीय भागीदारी की गई।

पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त छोटे सिंह ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि महोत्सव में मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र के जनजाति समुदाय द्वारा विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया। प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल क्षेत्र से चयनित 9 जिले आलीराजपुर, झाबुआ, धार, बैतूल, छिंदवाड़ा, बालाघाट, अनूपपुर, उमरिया एवं डिंडोरी से 152 सदस्य पेसा महोत्सव में शामिल हुए। मैराथन पेसा रन प्रतियोगिता में 20 युवकों एवं 6 युवतियों द्वारा भाग लेकर 10 किलोमीटर की मैराथन में अपना शानदार प्रदर्शन कर निश्चित समय पर फिनिश लाइन पार की गई।

कबड्डी में बना मध्य प्रदेश विजेताउन्होंने बताया कि कबड्डी खेल पुरुष वर्ग में मध्य प्रदेश के खिलाड़ियों ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान पर शानदार जीत हासिल कर सेमी फाइनल में प्रवेश किया। सेमी फाइनल में गुजरात पर शानदार जीत हासिल की। फाइनल में उड़ीसा राज्य को 30 प्वाइंट से हराकर फाइनल खिताब गोल्ड मेडल अपने नाम दर्ज कर विजेता के रूप में एक लाख रुपए का पुरस्कार प्राप्त किया। मध्य प्रदेश की बेटियों ने भी शानदार प्रदर्शन कर कबड्डी में छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा को हराकर सेमी फाइनल में प्रवेश किया। दल ने प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। दोनों टीम का नेतृत्व कोच मिथलेश सिंह नेताम ने किया।

बैतूल के ठाटया और बालाघाट के कर्मा ने मन मोहाबैतूल जिले से ठाटया लोक नृत्य की शानदार रंगारंग मनमोहक प्रस्तुति रही, मंचासीन अतिथियों और दर्शकों की तालियों की गूंज ने कलाकारों का मनोबल बढ़ाया। शानदार प्रस्तुति से मध्यप्रदेश का नाम राष्ट्रीय पटल पर दर्ज हुआ। कलाकार दल को स्मृति चिन्ह, शील्ड एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। बालाघाट जिले के जनजाति समुदाय के द्वारा कर्मा नृत्य गायन की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को आनंदित किया। महिला और पुरुषों ने बहुत ही सुंदर वेशभूषा एवं वाद-यंत्रों का प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोह लिया।

हस्तशिल्प कला में आलीराजपुर जिले से आदिवासी परिधान पिथोरा पेंटिंग जैकेट, गमछा, हाथ फूल, बाजू बंध, रुमाल, जुट वर्क पर्स, तीर कमान, चावी का छल्ला, पाटी, गोफन इत्यादि की मनमोहक प्रदर्शनी लगाई गई। माहेश्वरी हेंडलूम, बालीपुर प्रिंट साड़ी व बाघ प्रिंट, सलवार, कुर्ती, दुपट्टा, साड़ी और कुर्ता क्रय एवं विक्रय प्रियदर्शनी हेतु परिधान 3 दलों (स्टाल) को महोत्सव में अवसर मिला।

मध्य प्रदेश के श्रीअन्न का स्वाद भी पहुँचामध्य प्रदेश के आलीराजपुर, छिंदवाड़ा, उमरिया के आदिवासी क्षेत्रों में खाए जाने वाले व्यंजन मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, रागी के ताजा शुद्ध और स्वादिष्ट पकवान और महुआ एवं तिल गुड के लड्डू, गुड चिक्की रागी के बिस्किट का आगंतुकों ने भरपूर आनंद उठाया। तीन दलों (स्टाल) को महोत्सव में अवसर दिया गया था।

महिला सरपंचों ने भी लिया भागमध्य प्रदेश के चयनित 9 जिलों की 20 महिला सरपंच प्रतिनिधियों ने पेसा महोत्सव में भाग लिया। इस दौरान विशाखापट्टनम की अलग-अलग ग्राम पंचायतों में भ्रमण कर स्थानीय पंचायत को स्वयं सरपंच के द्वारा अपने क्षेत्र में किए गए विशेष कार्य और सफलता की कहानी को राष्ट्रीय मंच पर साझा किया। इसमें मुख्य रूप से ग्राम सभा की शक्तियां, शांति एवं सुरक्षा समिति के कार्य, भूमि प्रबंधन जल संसाधन, खान एवं खनिज संपदा, मादक पदार्थ पर नियंत्रण, गौण वन उपज, हाट बाजार मेलों का नियंत्रण और साहूकारी जैसी प्रथाओं को खत्म करने के लिए गए प्रयास और कानून, कार्य एवं दायित्वों समुदाय को बताया गया।

गौरतलब है कि अंतर्राज्यीय पेसा महोत्सव कार्यक्रम में राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD) जबलपुर, मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि सुरेंद्र प्रजापति, पंकज राय एवं जिला पेसा समन्वयक प्रवीण कुमार, दमयंती सिंह, गौरसिंह कटारा, दिलीप मछार, सुखदेव उइके, मिथलेश कुलेश, राजकुमार उइके, राजेश सिंह, कमलेश टेकाम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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