उज्जैन में नवाचार: बांस से तैयार किया गया क्रिकेट बैट, पेटेंट के लिए दिया आवेदन
उज्जैन, 23 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले की तराना तहसील निवासी घनश्याम पाटीदार ने बांस से क्रिकेट बैट तैयार करके नवाचार किया है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि देसी संसाधनों से भी बेहतरीन खेल उपकरण बनाए जा सकते हैं। यह नवाचार बल्लेबाजों के गेंदबाजों का सामना करने के तरीके को बदल सकता है, खासकर टी-20 प्रारूप में।
घनश्याम का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से उन्होंने यह नवाचार किया। पारंपरिक लकड़ी के मुकाबले बांस हल्का, मजबूत और टिकाऊ होता है, जिससे यह क्रिकेट बैट खेलने के लिए उपयुक्त साबित हो सकता है। उनके बेटे परिक्षित गत एक वर्ष से इसका उपयोग नेट प्रैक्टिस में कर रहे हैं। परिक्षित ने कई घंटों तक नेट में इससे अभ्यास किया,जो घनश्याम के लिए जांच हेतु पर्याप्त समय दे गया। उनका दावा है कि यह बैट न केवल विलो बल्ले जितना मजबूत है, बल्कि अतिरिक्त उछाल के कारण इसमें अधिक ताकत से शॉट मारने की क्षमता भी है।
इस संबंध में परिक्षित का कहना है कि बांस का बैट विलो के बल्ले की तरह न केवल किफायती और टिकाऊ होता है, बल्कि मरम्मत योग्य भी होता है। इससे शॉट खेलना आसान हो जाता है और गेंद बाउंड्री के पार चली जाती है। यह पहली बार है जब कोई बैट , बांस से बनाया गया है।
घनश्याम ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया है। इस बैट को बनाने में उन्होंने खास तकनीक का इस्तेमाल किया, ताकि बैट की मजबूती और संतुलन बना रहे। घनश्याम का कहना है कि अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और समर्थन मिला, तो वे भविष्य में इसक बड़े स्तर पर निर्माण कर सकते हैं। तराना क्षेत्र में यह बैट अनूठी पहल के रूप में चर्चा का विषय बन गई है। लोग घनश्याम के इस प्रयास को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बता रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल

