मप्रः पेच टाइगर रिजर्व की बाघिन पीएन-224 को ट्रेंकुलाइज करने में टीमों को सफलता

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मप्रः पेच टाइगर रिजर्व की बाघिन पीएन-224 को ट्रेंकुलाइज करने में टीमों को सफलता


सिवनी, 21 दिसंबर(हि.स.)। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के पेच टाइगर रिजर्व से राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व ले जाने के लिए चयनित बाघिन पीएन-224 को रविवार को वन विभाग की संयुक्त टीम ने पकड़ लिया है। बाघिन को एयरलिफ्ट किए जाने से पूर्व सुकतरा ले जाया गया है, जहां से उसे वायु मार्ग से राजस्थान भेजा जाएगा।

पेंच टाईगर रिजर्व प्रबंधन मिली जानकारी के अनुसार एयरलिफ्ट की तैयारी के दौरान बाघिन पीएन-224 को पकड़ना वन अमले के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। शनिवार को 8 हाथी दलों ने करीब 10 बार बाघिन को घेरा, लेकिन हर बार वह चकमा देकर निकल जाती रही। आधा दर्जन से अधिक बार वह ट्रेंकुलाइज होने से बाल-बाल बची। एक बार बाघिन रूखड़ बफर क्षेत्र से होते हुए नेशनल हाईवे के किनारे तक पहुंच गई, जिससे कुछ समय के लिए चिंता बढ़ गई थी, लेकिन बाद में वह पुनः जंगल में ओझल हो गई।

डार्ट मारने की सुरक्षित स्थिति नहीं बनी

बाघिन की सर्चिंग के लिए पेंच मोगली अभ्यारण्य के रेंज ऑफिसर लोकेश चौधरी को फील्ड इंचार्ज बनाया गया था। उन्होंने बताया कि हाथी दलों द्वारा कई बार घेराबंदी की गई, लेकिन मेडिकल टीम को सुरक्षित डार्ट मारने की पोजीशन नहीं मिल सकी, जिससे ऑपरेशन को बार-बार रोकना पड़ा। शनिवार को सुबह 6 बजे बाघिन कैमरा ट्रैप में दिखाई दी, जिसके बाद 10 टीमों, 8 हाथी दलों और लगभग 50 अधिकारियों-कर्मचारियों को सर्च ऑपरेशन में लगाया गया। रविवार सुबह पुनः सघन सर्चिंग के बाद अंततः बाघिन को सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज कर लिया गया।

जीन पूल सुधारने के लिए इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन

राजस्थान में बाघों के जीन पूल को मजबूत करने के उद्देश्य से पेंच टाइगर रिजर्व से देश का पहला *इंटर-स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन अभियान चलाया जा रहा है, जो पिछले 23 दिनों से जारी है।

उल्लेखनीय है कि 5 दिसंबर को भी बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर रेडियो कॉलर लगाया गया था, लेकिन अगले दिन कॉलर जंगल में पड़ा मिला था। इस बार उसे एयरलिफ्ट कर सुरक्षित रूप से राजस्थान भेजने की पूरी तैयारी की गई है। पूर्व में इस अभियान के तहत भारतीय वायुसेना का हेलीकॉप्टर नागपुर भी आया था, जहां ट्रांसलोकेशन की तकनीकी व्यवहार्यता का परीक्षण किया गया था।

हिन्दुस्थान समाचार / रवि सनोदिया

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