सीबीयूडी पहल से देश के शासन तंत्र में विभिन्न विभागों के बीच बढ़ेगा तालमेल
- सीहोर कलेक्टर ने कार्यशाला में दी गई सीबीयूडी एप और मोबाइल टावर के रेडिएशन के बारे में जानकारी
सीहोर, 15 दिसंबर (हि.स.)। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग भोपाल द्वारा सीहोर में कलेक्टर बालागुरू के. की अध्यक्षता में जिला पंचायत सभाकक्ष में कॉल बिफोर यू डिग एप के संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुरूप पीएम गति शक्ति के अंतर्गत बुनियादी ढांचा संपर्क परियोजनाओं की एकीकृत योजना एवं समन्वित कार्यान्वयन को मजबूती देने के उद्देश्य से ‘कॉल बिफोर यू डिग’ (सीबीयूडी) मोबाइल ऐप को एक प्रभावी उपकरण के रूप में विकसित किया गया है। इस ऐप का उद्देश्य अनियंत्रित खुदाई और उत्खनन के दौरान भूमिगत परिसंपत्तियों को होने वाले नुकसान को रोकना है।
बताया गया कि सीबीयूडी ऐप के माध्यम से उत्खननकर्ता और भूमिगत संपत्तियों के मालिकों को एक साझा डिजिटल मंच पर जोड़ा जाएगा। यह ऐप एसएमएस, ई-मेल नोटिफिकेशन और ‘क्लिक टू कॉल’ जैसी सुविधाओं के जरिए समन्वय स्थापित करेगा, ताकि किसी भी उत्खनन कार्य से पहले संबंधित विभागों को सूचना मिल सके और भूमिगत परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे देशभर में उत्खनन की बेहतर योजना बनाना संभव होगा।
कलेक्टर बालागुरू के. ने कहा कि सीबीयूडी पहल से देश के शासन तंत्र में विभिन्न विभागों के बीच तालमेल बढ़ेगा। यह पहल सभी हितधारकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। सड़क, दूरसंचार, जल आपूर्ति, गैस और बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं में होने वाले अनावश्यक व्यवधान कम होंगे, जिससे संभावित व्यावसायिक नुकसान से बचाव होगा और आम नागरिकों को होने वाली असुविधा में भी कमी आएगी। इस प्रकार, ‘कॉल बिफोर यू डिग’ ऐप न केवल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि पीएम गति शक्ति के लक्ष्यों को साकार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कार्यशाला में दूरसंचार विभाग भोपाल के एडीजी ग्रामीण नीलेश कुमार वर्मा ने पीपीटी के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी।
नियमित की जाती है मोबाइल टावरों के रेडिएशन स्तर की जांच
कार्यशाला में मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन के संबंध में जानकारी दी गई की मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन नॉन-आयोनाइजिंग (Non&Ionizing) प्रकृति का होता है। निर्धारित मानकों के भीतर रहने पर यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं माना जाता, क्योंकि इस प्रकार का रेडिएशन शरीर की कोशिकाओं को सीधे नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं होता। कार्यशाला में बताया गया कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन के स्तर की नियमित रूप से जांच की जाती है। भारत में लागू मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक सख्त हैं, जिससे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। दूरसंचार विभाग भोपाल के एडीईटी श्री शुभम यादव ने बताया कि सरकार द्वारा बनाए गए सख्त नियमों और निरंतर निगरानी के चलते मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन को सुरक्षित सीमा में रखा जा रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

