झाबुआ : चंद्रशेखर आजाद समेत स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाशित पुस्तक कलेक्टर कार्यालय से गायब

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झाबुआ : चंद्रशेखर आजाद समेत स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाशित पुस्तक कलेक्टर कार्यालय से गायब




नागदा, 18 मार्च (हि.स.)। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाबरा समेत समूचे झाबुआ जिले के स्वाधीनता संग्राम इतिहास में क्रांतिकारियों के योगदान पर कलेक्टर झाबुआ द्धारा प्रकाशित एक पुस्तक कलेक्टर कार्यालय झाबुआ से गायब होने का मामला सामने आया है। यह खुलासा मप्र राज्य सूचना आयोग भोपाल के समक्ष अपील सुनवाई के निर्णय आदेश में हुआ।

आयोग के आयुक्त डा. उमाशंकर पचौरी ने अपने आदेश में पुस्तक एवं उससे संबधित दस्तावेजों के गायब होने पर तल्ख टिप्पणियां भी लिखी है। यहां तक अप्रसन्नता जताई कि स्वाधीनता संग्राम से संबधित पुस्तक का गायब हो जाना अधिकारियों की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति उदासीनता का परिचायक है। निर्णय के मुताबिक स्वतंत्रता आंदोलन में झाबुआ जिले का योगदान विषय पर कलेक्टर कार्यालय झाबुआ से वर्ष 1999 में स्मारिका प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक की प्रति एवं उससे जुड़े अभिलेख सूचना अधिकार में एक्टिविस्ट सनोलिया ने वर्ष 2022 मे झाबुआ कलेक्टर कार्यालय सें मांगे थे।

तत्कालीन लोकसूचना अधिकारी प्रीति संघवी द्धारा झूठी एवं अधूरी जानकारी प्रदान करने के आरोप में मामला सूचना आयोग पहुंचा। आयोग ने पिछली सुनवाई 27 जनवरी को उपस्थित वर्तमान ज्वाइंट कलेक्टर झाबुआ अक्षय सिंह मरकाम, लोकसूचना अधिकारी कोे निर्णय में आदेशित किया था कि मांगी गई 10 बिंदुओं की सारी जानकारियां 15 दिनों में निःशुल्क उपलब्ध कराए। श्री मरकाम ने आयोग आदेश के बाद लिखित में बताया कि कलेक्टर कार्यालय झाबुआ में इस पुस्तक को खोजने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया, लेकिन टीम को निराशा हाथ लगी है। ऐसी स्थिति में स्पष्ट किया की पुस्तक का प्रकाश ही नहीे हुआ।

सुनवाई में श्री सनोलिया ने आयोग कोर्ट में प्रकाशित पुस्तक की प्रति पेश कर दी। साथ ही क्रां‍तिकुमार वैध ( उज्जैन) को कोर्ट में बतौर गवाह उपस्थित किया। उन्होंने बयान में बताया पुस्तक संपादक मंडल में उनका नाम था। उन्होंने भी पुस्तक के लिए सामग्री उपलब्ध कराई। पुस्तक प्रकाशित हुई। पुस्तक श्री वैध के पास सुरक्षित थी।

अब संयुक्त कलेक्टर झाबुआ को शोकॉज

आयोग ने निर्णय में देशभक्तों से जुड़ी पुस्तक के गायब होने तथा अधिकारियों के गुमराह पूर्ण जवाब पर तल्ख टिप्पणिया लिखी है। आयोग को गुमराह करने पर 25 हजार का जुर्माना करने के लिए संयुक्त कलेक्टर मरकाम को शोकाज नोटिस जारी किया है। स्पष्टीकरण जवाब के लिए 27 मार्च को भोपाल तलब किया।

निर्णय में अटल बिहारी का नाम

निर्णय में आयुक्त ने अधिकारियों की लापरवाही पर अप्रसन्नता व्यक्त करते लिखा हैकि तत्कालीन प्रघानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तत्कालीन राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के संदेश भी पुस्तक में प्रकाशित है। उस पुस्तक का गायब होना गंभीर मामला है।

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हिन्दुस्थान समाचार / कैलाश सनोलिया

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