मप्रः भोपाल में राष्ट्रीय बालरंग की रंगारंग शुरुआत, विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों की होगी प्रस्तुति

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मप्रः भोपाल में राष्ट्रीय बालरंग की रंगारंग शुरुआत, विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों की होगी प्रस्तुति


मप्रः भोपाल में राष्ट्रीय बालरंग की रंगारंग शुरुआत, विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों की होगी प्रस्तुति


भोपाल, 05 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय परिसर श्यामला हिल्स में शुक्रवार को राष्ट्रीय बालरंग की रंगारंग शुरुआत हुई। इसमें 19 राज्यों के बच्चे सहभागिता कर रहे हैं। शाम तक चलने वाले इस समारोह में लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।

राष्ट्रीय बालरंग की शुरूआत में केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के बच्चों ने विकसित भारत 2047 की थीम पर लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य में आंतकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय एकता को दर्शाया गया। नृत्य में बच्चों ने कृषि, विज्ञान, उद्योग के साथ अन्य क्षेत्रों में हो रही प्रगति को आकर्षक ढ़ंग से प्रस्तुत किया। सामूहिक लोक नृत्य प्रस्तुति में लोक धुनों का बेहतर तरीके से उपयोग किया गया था। बालरंग में दूसरी प्रस्तुति आंध्रप्रदेश के स्कूली बच्चों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में फसल कटाई के समय किसानों में उल्लास के क्षणों को संगीतमय प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है बालरंगइंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक अमिताभ पाण्डेय ने बालरंग का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बालरंग समारोह के आयोजन में देशभर के बच्चों ने भोपाल की सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई है। यह कार्यक्रम बच्चों में विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति को समझने का मौका देता है और इससे बच्चों में राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत होती है। बालरंग में 19 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के करीब 375 बच्चे अपने राज्य के लोकरंगों की प्रस्तुतियाँ दे रहे है। इस समारोह में राजधानी भोपाल के करीब 2 हजार बच्चों ने विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को देखा। समारोह में स्कूल शिक्षा विभाग और मानव संग्रहालय के विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

राष्ट्रीय एकता पर केन्द्रित है बालरंगभारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है। राष्ट्रीय बालरंग समारोह में विभिन्न प्रांतों के स्कूल के छात्र-छात्राएँ शामिल होकर अपने कला-कौशल के उत्कृष्ट प्रदर्शन से अपने प्रदेश की वैभवशाली लोक संस्कृति को प्रस्तुत करते हैं। विभिन्न प्रांतों के बच्चों के बीच संस्कृति का आदान-प्रदान होने से राष्ट्रीय एकता और सद्भाव की भावना मजबूत होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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