झाबुआ: धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के श्रृंगेश्वर धाम में 6 करोड़ 28 लाख से होगा घाट निर्माण एवं सौंदर्यीकरण

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झाबुआ: धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के श्रृंगेश्वर धाम में 6 करोड़ 28 लाख से होगा घाट निर्माण एवं सौंदर्यीकरण


झाबुआ: धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के श्रृंगेश्वर धाम में 6 करोड़ 28 लाख से होगा घाट निर्माण एवं सौंदर्यीकरण


झाबुआ, 19 दिसंबर (हि.स.)। जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले के पेटलावद अनुविभाग में 15.8 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विभिन्न जल संसाधन परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। स्वीकृत परियोजनाओं में माही नदी पर स्थित पौराणिक महत्व के श्रृंगेश्वर धाम में घाट के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण का कार्य भी शामिल है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के इस स्थान पर नव निर्माण एवं सौंदर्यीकरण से एक तरफ जहां नदी तट संरक्षित होंगे, वहीं दूसरी तरफ यहां धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

स्वीकृत की गई अन्य जलसंसाधन परियोजनाओं में मुंडत बैराज, जिसकी लागत ₹5.99 करोड़ एवं मुकामपुरा तालाब नहर रहित योजना, जिसकी लागत ₹3.53 करोड़ है। इन परियोजनाओं से 480 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।

उक्त परियोजनाओं की स्वीकृति पर महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने शुक्रवार को कहा कि पेटलावद क्षेत्र में स्वीकृत जल संसाधन परियोजनाएं किसानों के लिए वरदान सिद्ध होंगी तथा क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने एवं जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए निरंतर कार्य कर रही है।

परियोजनाओं की स्वीकृति के संदर्भ में जिला कलेक्टर नेहा मीना ने कहा कि इससे जहां क्षेत्र में सिंचाई सुविधा में बढ़ोतरी होगी, वहीं माही नदी के श्रृंगेश्वर घाट के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण से धार्मिक आस्था को नया आयाम मिलेगा, और पर्यावरण को संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। कलेक्टर ने कहा कि आगामी 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ के तहत श्रृंगेश्वर धाम को शिवलिंग के टूरिस्ट सर्किट में जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे, साथ ही प्रदेश के टूरिज्म सर्किट में शामिल कराया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि श्री श्रृंगेश्वर धाम पौराणिक महत्व का धार्मिक स्थल है। मान्यता अनुसार त्रैता युग में महामुनि श्रृंगेश्वर के मस्तक पर निकल आए सिंग माही के संगम स्थल पर स्नान के बाद उनके सिर से पृथक हो गए थे, और ऋषि श्रृंगी द्वारा इस स्थान को अपनी तपस्थली बना लिया गया था। धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण यह स्थल अब तक अपनी पृथक पहचान नहीं बना पाया था, और देश या प्रदेश ही नहीं वल्कि जिले के लोग भी इससे अनभिज्ञ ही रहे, किंतु केबिनेट मंत्री निर्मला भूरिया और जिला कलेक्टर नेहा मीना द्वारा इस स्थल के विकास की परिकल्पना को जमीनी आधार मिलने के बाद यह स्थान अब एक शानदार आयाम ग्रहण कर सकेगा।

श्रृंगेश्वर घाट के सौंदर्यीकरण से जहां धार्मिक आयोजनों, पर्व-त्योहारों एवं अनुष्ठानों का आयोजन सुचारु रूप से हो सकेगा, वहीं क्षेत्र की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान सशक्त होगी, साथ ही नदी तट के संरक्षण कार्यों से स्वच्छता, सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होगा, और धार्मिक पर्यटन के बढ़ने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, स्थानीय हस्तशिल्प एवं उत्पादों को बाजार मिलेगा तथा जिले को नई पहचान प्राप्त होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा

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