मप्र को हाई-स्पीड कॉरिडोर से जोड़ने की दिशा में तेजी से हो रहा कार्यः राकेश सिंह

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मप्र को हाई-स्पीड कॉरिडोर से जोड़ने की दिशा में तेजी से हो रहा कार्यः राकेश सिंह


- राष्ट्रीय कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स और संरक्षण के संतुलन के साथ विकास का नया मॉडल

भोपाल, 17 दिसंबर (हि.स.)। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय हाई-स्पीड कॉरिडोर नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में राज्य सरकार तेज़ी और दूरदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। प्रस्तावित कॉरिडोर्स उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत से तेज़ कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे, जिससे यात्रा समय घटेगा और उद्योग, निवेश व रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

मंत्री सिंह राकेश सिंह ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि देश का पहला राज्य-स्तरीय टाइगर कॉरिडोर यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में ये परियोजनाएँ मध्य प्रदेश को आधुनिक, लॉजिस्टिक-सशक्त और पर्यावरण-संवेदनशील राज्य के रूप में स्थापित करेंगी।

प्रस्तावित हाई-स्पीड कॉरिडोर्स

राकेश सिंह ने बताया कि “मध्य प्रदेश सरकार राज्य को राष्ट्रीय स्तर के हाई-स्पीड कॉरिडोर नेटवर्क से जोड़ने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसे कई हाई-स्पीड कॉरिडोर्स की योजना बनाई गई है, जो मध्य प्रदेश से होकर गुजरेंगे और राज्य की आर्थिक, औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक क्षमता को नई ऊंचाई देंगे।

पहला प्रमुख कॉरिडोर दिल्ली–आगरा–ग्वालियर–भोपाल–बैतूल–नागपुर है। इस कॉरिडोर की मध्य प्रदेश में लंबाई लगभग 600 किलोमीटर होगी तथा इसकी अनुमानित लागत करीब 30,000 करोड़ रुपये है। यह कॉरिडोर उत्तर भारत को दक्षिण भारत से तेज़ और सुगम कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

दूसरा महत्वपूर्ण हाई-स्पीड कॉरिडोर जो फेज 2 के अंतर्गत है वाराणसी–इलाहाबाद–रीवा–जबलपुर–नागपुर है। इसकी कुल लंबाई लगभग 700 किलोमीटर होगी और अनुमानित लागत लगभग 30,000 करोड़ रुपये है। यह पूर्वी भारत को मध्य और दक्षिण भारत से जोड़ने वाला एक रणनीतिक मार्ग सिद्ध होगा।

तीसरा प्रमुख कॉरिडोर अहमदाबाद–इंदौर–भोपाल–जबलपुर–लखनादौन–रायपुर है, जिसकी लंबाई लगभग 900 किलोमीटर और अनुमानित लागत लगभग 45,000 करोड़ रुपये है। इस कॉरिडोर में जबलपुर से भोपाल का खंड वर्तमान में डीपीआर चरण में है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है। भोपाल से इंदौर के बीच एलाइनमेंट फाइनल हो चुका है और स्वीकृति की प्रक्रिया में है, जबकि इंदौर से अहमदाबाद के लिए योजना तैयार की जा रही है।

इसके साथ ही मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा भी हाई-स्पीड कॉरिडोर एवं एक्सप्रेस-वे की योजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिनमें भोपाल–मंदसौर एक्सप्रेस-वे जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं। यह एक्सप्रेस-वे राजधानी भोपाल को दिल्ली–मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

मध्य प्रदेश में देश का पहला राज्य–स्तरीय टाइगर कॉरिडोर

राकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) एवं राज्य लोक निर्माण विभाग के संयुक्त प्रयासों से इस महत्वाकांक्षी टाइगर कॉरिडोर परियोजना का विकास किया जा रहा है। निर्माण संरक्षण और कनेक्टिविटी को साथ लेकर चलने की अवधारणा के तहत कर रही है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रमुख हाईवे नेटवर्क का उन्नयन किया जा रहा है, साथ ही अन्य संपर्क मार्गों को जोड़ते हुए देश के चार प्रमुख टाइगर रिज़र्व—पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और पन्ना—को आपस में जोड़ा जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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