विकास के नए क्षितिज पर पहुंचा मप्र का रोड विकास, मंत्री राकेश सिंह ने गिनाईं उपलब्धियां
भोपाल, 18 दिसंबर (हि.स.)। लोक निर्माण विभाग विकसित भारत 2047 के संकल्प के अनुरुप कार्य करते हुए प्रदेश में सड़क, पुल एवं भवन निर्माण के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति कर रहा है। वर्ष 2024-25 में लगभग 10,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण ₹17,284 करोड़ की लागत से पूर्ण किया गया है। इसके साथ ही ₹6,627 करोड़ की लागत से 739 शासकीय भवनों का निर्माण भी किया गया है, जिससे प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया है। विगत दो वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण फ्लैगशिप परियोजनाएँ पूर्ण की गई हैं। जिनमें जबलपुर में दमोह नाका-रानीताल-मदन महल चौक से मेडिकल रोड तक 7 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण ₹1,238 करोड़ की लागत से किया गया है। उक्त जानकारी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी।
मंत्री सिंह विभाग की विगत दो वर्षों की प्रमुख उपलब्धियों एवं वर्तमान में संचालित मेगा परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राजधानी भोपाल में डॉ. भीमराव अंबेडकर फ्लाईओवर ₹153 करोड़ की लागत से निर्मित किया गया है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी 6-लेन कोलार रोड का निर्माण ₹305 करोड़ की लागत से पूर्ण किया गया है। ग्वालियर एवं रीवा में आधुनिक न्यायालय भवन ₹194 करोड़ की लागत से निर्मित किए गए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में नीमच, मंदसौर एवं सिवनी में नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण ₹889 करोड़ की लागत से किया गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु 136 नवीन विद्यालय भवन ₹2,240 करोड़ तथा 177 स्वास्थ्य केंद्र ₹726 करोड़ की लागत से निर्मित किए गए हैं।
मंत्री सिंह ने बताया कि प्रदेश में इस समय कई बड़ी परियोजनाएँ प्रगति पर हैं। एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजनाओं के अंतर्गत ग्वालियर में 13 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर लागत ₹1,064 करोड़, भोपाल में 2.6 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर लागत ₹₹215 करोड़, नर्मदापुरम में तवा नदी पर उच्चस्तरीय पुल लागत ₹89 करोड़, इंदौर में 7.45 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर लागत ₹350 करोड़, प्रदेशभर में 111 रेलवे ओवरब्रिज लांगत ₹3,903 करोड़, उज्जैन-जावरा एक्सप्रेस-वे लागत ₹5,017 करोड़, इंदौर-उज्जैन सिक्स-लेन उन्नयन लागत ₹1,692 करोड़,
नवीन इंदौर-उज्जैन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे लागत ₹2,935 करोड़ के कार्य प्रगति पर है।
मंत्री ने बताया कि एडीबी एवं एनडीबी के सहयोग से ₹6,746 करोड़ की लागत से 1,141 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। वहीं 989 किलोमीटर लंबाई के 55 राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण ₹14,918 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है। इसके अलावा एनएचएआई के साथ किए गए एमओयू के अंतर्गत ₹28,000 करोड़ के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि छिंदवाड़ा, सीहोर, उज्जैन, छतरपुर, दमोह, जगढ़ एवं मंडला में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण ₹3,146 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।इसके साथ ही जबलपुर उच्च न्यायालय एवं इंदौर नवीन जिला न्यायालय के निर्माण कार्य ₹871 करोड़ की गत से प्रगति पर हैं।
उन्होंने बताया कि हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के अंतर्गत निजी क्षेत्र की भागीदारी से लगभग 345 किलोमीटर लंबाई 5 प्रमुख सड़क परियोजनाएँ ₹12,676 करोड़ की लागत से स्वीकृत की गई हैं, जिनमें इंदौर-उज्जैन सिक्स-उज्जैन-जावरा फोर-लेन ग्रीनफील्ड हाईवे तथा सागर-दमोह फोर-लेन मार्ग प्रमुख हैं। ये परियोजनाएँ मध्य प्रदेश में तेज़, सुरक्षित और विश्वस्तरीय सड़क कनेक्टिविटी का मजबूत - तैयार करेंगी तथा प्रदेश के आर्थिक विकास को नई गति देंगी। गुणवत्तापूर्ण और बद्ध निर्माण ही प्रदेश सरकार का संकल्प है।
अगले तीन वर्षों में बदलेगा मध्यप्रदेश का सड़क मानचित्र
मंत्री सिंह ने राज्य की सड़क अवसंरचना और आगामी तीन वर्षों (2025-2028) की विकासात्मक कार्ययोजना का विस्तृत परिचय दिया। बताया कि प्रदेश में अगले तीन वर्षों में 3,368 किलोमीटर लंबी छह प्रमुख एक्सप्रेस-वे और प्रगतिपथ परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा, जिनमें नर्मदा प्रगतिपथ, विंध्य एक्सप्रेस-वे, मालवा-निमाड़ विकासपथ, अटल प्रगतिपथ, बुंदेलखंड विकासपथ और मध्य भारत विकासपथ शामिल है। मंत्री ने कहा, इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत ₹36,483 करोड़ है और अधिकांश को जून 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इनके पूरा होने से यात्रा समय में कमी, सड़क सुरक्षा में सुधार और औद्योगिक, कृषि तथा पर्यटन गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
राष्ट्रीय राजमार्गों के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश बड़े परिवर्तन की ओर अग्रसर है। मंत्री राकेश सिंह ने कहा, एनएचएआई द्वारा लगभग ₹28,000 करोड़ की लागत से 948 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित किए जाएंगे। इससे प्रदेश की अंतर-राज्यीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, और यह उद्योग और व्यापार के लिए नए द्वार खोलेगा। 1,770 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे और मेगा कॉरिडोर के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ग्वालियर-नागपुर, इंदौर-भोपाल, जबलपुर-भोपाल और अन्य रणनीतिक कॉरिडोर प्रदेश की आर्थिक धारा को गति गे। विशेष रूप से, मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य है जहाँ एनएचएआई के सहयोग से टाइगर कॉरिडोर विकसित किया जा रहा । यह परियोजना वन्यजीव संरक्षण और सड़क विकास का संतुलित मॉडल है।
यह देश का पहला राज्य-स्तरीय मल्टी-नेशनल पार्क टाइगर कॉरिडोर है।एनएचएआई एवं पीडब्ल्यूडी के समन्वय से इसका विकास किया जा रहा है। वन क्षेत्रों में अंडरपास, स्लो-ट्रैफिक ज़ोन और वाइल्डलाइफ सेफ डिज़ाइन अपनाए जाएंगे। यह टाइगर मूवमेंट, पर्यटन और स्थानीय कनेक्टिविटी के बीच संतुलन बनाए रखेगा। इससे इको-टूरिज्म और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। 5 विकास निगम की परियोजनाओं पर मंत्री राकेश सिंह ने कहा, अगले तीन वर्षों में HAM मॉडल के अंतर्गत प्रदेश एक परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं, जिनमें अगले 6 महीने में ही कुल 285 किलोमीटर लंबाई की पाँच प्रमुख परियोजनाएँ न हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत ₹15,000 करोड़ है। इन परियोजनाओं से क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स, कृषि और व्यापार गति मिलेगी और प्रदेश में सड़क नेटवर्क की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित होगी।
कनेक्टिविटी पर बोलते हुए राकेश सिंह ने कहा, अपने वाले तीन वर्षों में 11,310 किलोमीटर लंबी 822 नई बनाई जाएँगी। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश का हर गाँव देश और दुनिया के बाजारों से जुड़ सके। उन्होंने बताया कि 'लोकपथ मोबाइल एप के माध्यम से आम नागरिकों को सीधे विभाग से जोड़ा गया है। इस एप के जरिए चार दिनों के भीतर सड़क मरम्मत सुनिश्चित की जा रही है और अब तक 11,000 से अधिक शिकायतों का सफल निराकरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था जन-उत्तरदायित्व और त्वरित सेवा का प्रभावी उदाहरण है।
उन्होंने बताया कि 15 सितंबर 2025 से 'लोक परियोजना प्रबंधन प्रणाली' लागू की गई है, जिसके तहत निर्माण कार्यों की बजटिंग, स्वीकृति, टेंडरिंग, मेजरमेंट बुक और प्रबंधन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। इससे पारदर्शिता, समयबद्धता और निगरानी में क्रांतिकारी सुधार हुआ है।
मंत्री ने कहा कि भास्कराचार्य संस्थान के सहयोग से एरियल दूरी की तुलना कर नए एलाइनमेंट की प्लानिंग, रोड नेटवर्क मास्टर प्लान तथा टाइगर कॉरिडोर की वैज्ञानिक डीपीआर तैयार की जा रही है, जिससे भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सड़क नेटवर्क विकसित किया जा सके। लोक निर्माण सर्वेक्षण मोबाइल ऐप के माध्यम से अब तक 68,315 किमी की 10,778 सड़कें, 2,633 भवन, 1,320 पुल, 503 लोक कल्याण सरोवर और 314 पौधरोपण स्थलों की डिजिटल मैपिंग की जा चुकी है।
पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा पर्यावरण-अनुकूल निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अंतर्गत प्रत्येक किलोमीटर पर वाटर रिचार्ज बोर, 506 लोक कल्याण सरोवरों का निर्माण, वैज्ञानिक पद्धति से ट्री-शिफ्टिंग, फ्लाईओवर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग तथा 1 जुलाई 2025 को 2.5 लाख से अधिक पौधरोपण किया गया है। मंत्री ने बताया कि रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (आरएएमएस) के माध्यम से सड़कों की स्थिति का वैज्ञानिक सर्वे कर योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। गुणवत्ता नियंत्रण के लिए क्यूआर कोड आधारित गोपनीय सैंपलिंग, केवल सरकारी रिफाइनरियों (आईओसीएल, एचपीसीएल, बीपीसीएल) से मेक-इन-इंडिया बिटूमिन, ₹7.2 करोड़ से 14 मंडलीय प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण तथा 14 चलित प्रयोगशालाओं का संचालन प्रारंभ किया गया है।
प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पर मंत्री ने बताया कि सीआरआरआई, आईएएचई, आईआरसी, बीआईएसएजी-एन सहित राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से इंजीनियरों का प्रशिक्षण, भोपाल में ₹350 करोड़ की जागत से राष्ट्रीय स्तर के 'इंजीनियरिंग रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट' की स्थापना तथा 1,632 इंजीनियरों के साथ ट्रेनिंग नीड असेसमेंट किया गया है। उन्होंने कहा कि एसओआर में नवीन तकनीकों जैसे एफडीआर, व्हाइट टॉपिंग, माइक्रो सरफेसिंग, ऑटोमैटिक पैच रिपेयर मशीन, यूएचपीएफआरसी और जीएफआरपीको शामिल कर सड़कों की आयु, मजबूती और लागत दक्षता को बढ़ाया गया है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

