मुरैना: हमारे पूर्वजों का जो ज्ञान है वह दूसरों के पास नहीं: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
- ग्वालियर से मथुरा जाते समय मुरैना में हुआ स्वागत
मुरैना, 14 दिसम्बर (हि.स.)। बद्रीनाथ स्थित ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को मुरैना में अल्प प्रवास पर आए। उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा पर जाते समय वह शनिवार की सुबह मुरैना में रेस्ट हाउस पर आए। यहां पर कई लोगों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर शंकराचार्य जी ने गोरक्षा, हिदूं राष्ट्र, भारत के विश्वगुरू बनने जैसे सवालों पर बेवाक अपनी राय रखी।
शंकराचार्य जी ने कहा कि हम एक स्वर्णिम अतीत वाले देश का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने देश के नागरिकों का आव्हान करते हुए कहा कि अपना इतिहास उठाओ और उसे पढ़ो। हमारे पूर्वजों का जो ज्ञान था वह दूसरों के पास नहीं है। यही अपनी विरासत है, इसे संभालो। अपने ज्ञान, ध्यान को आत्मसात करो। हमारे देश में संस्कति व धर्म के विशेषज्ञ हैं उनकी बात सुनो।
शंकराचार्य ने कहा कि विश्व गुरू बनने के लिए पहले गुरुत्व अपने अंदर आना चाहिए। मैं गुरू हूं पहले मुझे तो यह अभिमान आए। आज भारत को यह अभिमान ही नहीं हैं। आज भारत अपनी चीजों पर गर्व नहीं करता है। असल में भारत विश्व गुरू नहीं बल्कि जगत चेला बनकर रह गया है। यहां कुछ भी बनाना होता है तुरंत एक डेलिगेेशन भेजा जाता है विदेश में, जाओ वहां देखकर आओ, जैसा वहां है वैसा यहां बनाओ। आज तो हम हर चीज के लिए परमुखावेक्षी हो गए हैं। हम लोग अभी काशी में थे। पता चला कि काशी के विकास के लिए एक दल को क्योटो भेजा गया है । काशी को क्योटो जैसा बनाने के लिए। अरे काशी को काशी जैसा क्यों नहीं बनाना? किसी समय क्योटो, काशी को देखकर बना था। अब क्योटो को देखकर काशी संवर रही है। इसका मतलब यह है कि जब क्योटो काशी जैसा बनना चाहता था तब हम विश्वगुरू थे। अब हम क्योटो जैसा बनना चाहते हैं, तो मतलब हम क्योटो चेला हैं। हम जगत गुरू नहीं, जगत चेला बन चुके हैं। हम भारतीय संस्कृति, इतिहास और भारत के भूगोल को पीछे छोड़ चुके हैं। हमारे देश के नेताओं की नजरों में भारत में कुछ अच्छा है ही नहीं, सब कुछ विदेशों में अच्छा है, इसलिए दूसरे जैसा बना रहे हैं।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि हिंदू राष्ट्र बन भी जाए तो वहां हिंदू धर्म नहीं होगा। वह गोलबंदी का राष्ट्र होगा, लोग हिंदू-हिंदू चिल्लाएंगे। लेकिन कुछ होगा नहीं। जब से हिंदू धर्म पीछे छोड़कर हिंदू राजनीति की बातें होने लगीं, तब से यह हालत हो गई है। राजनीति में धर्म की बातें होती हैं, तब बांग्लादेश जैसे हालात होते हैं। बांग्लादेश में हिंदू सताए जा रहे हैं। जबकि हिंदू कहीं भी रहें, वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।
उन्होंने कहा कि राजनीति में हिंदू धर्म का समावेश होगा तभी देश का कल्याण होगा। जनता को यह करना चाहिए कि धर्म की बात धर्मगुरूओं से सुनें और राजनीति की बात राजनीतिज्ञों से सुनें। आज दुनिया के हर देश को यह गुमान हो गया है कि हमारे जैसा कोई नहीं। जब सबके मन में यह गुमान हा आजा है कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ऐसे समय में सब मनमानी करने लगते हैं और फिर जो लोग पहले से चौधरी बने बैठे हैं उन्हें दिक्कत होती है। वह गोलबंदी करने लगते हैं, फिर दो गोल बन जाते हैं। इनमें एक आक्रमणकारी हो जाता है और दूसरा आक्रमण झेलने वाला। दो विश्वयुद्ध हो चुके हैं, तीसरे विश्वयुद्ध की आहट दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक व्यक्ति धर्म की बात करेगा तो उसका मतलब होगा कि धार्मिक फली भूतता अपने ह्दय में ले आए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / शरद शर्मा
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