मुरैना: जहां आपके इष्ट या गुरू का अपमान वहां कदापि न जाएं

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मुरैना: जहां आपके इष्ट या गुरू का अपमान वहां कदापि न जाएं


-गणेशपुरा में भागवत कथा के तीसरे दिन कथाचार्य पं. संस्कार शास्त्री ने कहा

मुरैना, 05 अक्टूबर (हि.स.)। शहर के गणेशपुरा इलाके की गोस्वामी रोड पर 20 वें नवदुर्गा महोत्सव के दौरान हो रहे श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को कथावाचक पं. संस्कार शास्त्री वृंदावनधाम ने कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं वहां आपके अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो।

कथावाचक पं. संस्कार शास्त्री ने शनिवार को कथा का वाचन करते हुए कहा कि जहां अपने गुरू, इष्ट के अपमान होने की आशंका हो उस स्थान पर नहीं जाना चाहिए। फिर चाहे वह स्थान जन्मदाता पिता का ही घर क्यों न हो। सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए कथावाचक पं. संस्कार शास्त्री ने कहा कि भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती को अपने पिता के घर जाने से अपमानित होना पड़ा और वे अग्रिकुंड में कूद गईं। भागवत कथा में उत्तानपाद के वंश में धु्रव चरित्र की कथा को सुनाते हुए पं. शास्त्री ने समझाया कि धु्रव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे बड़ा संकट टल गया। उन्होंने कहा कि परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। पं. संस्कार शास्त्री ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है, उसी के अनुरूप उसे मृत्यु का वरण होता है। भागवत कथा के तीसरे दिन धु्रव चरित, अजामिल एवं प्रहलाद चरित्र का पं. शास्त्री ने विस्तार से वर्णन किया। आयोजन में परीक्षित की भूमिका में श्रीमती मीना अशोक डण्डौतिया मौजूद थे। शनिवार को कथा का रसपान करने के लिए बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष पहुंचें थे।

हिन्दुस्थान समाचार / शरद शर्मा

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