मुरैना: संसार में मित्रता हो तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह

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मुरैना, 10 अक्टूबर (हि.स.)। गणेशपुरा की गोस्वामी रोड पर 20 वें नवदुर्गा महोत्सव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन गुरुवार को कथावाचक पं. संस्कार शास्त्री ने सुदामा चरित्र व सुखदेव विदाई का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। उन्होंने कहा कि संसार में मित्रता हो तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए।

अंतिम दिन श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए भागवताचार्य पं. संस्कार शास्त्री ने कहा कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए भी अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान पं. संस्कार शास्त्री ने परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का भी सुंदर वर्णन किया। कथा के दौरान संगीतमयी भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया।

कथावाचक पं. संस्कार शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से मन और आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है। भागवत कथा में बताए उपदेशों, उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है। कथा के दौरान श्रीकृष्ण और सुदामा की मनमोहक झांकियों का चित्रण भी किया गया, जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में महाआरती के बाद भोग वितरण किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / शरद शर्मा

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