डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारो को आगे बढ़ाने और उसमे सहभागी बनने का प्रयास करे : मंत्री राकेश सिंह

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डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारो को आगे बढ़ाने और उसमे सहभागी बनने का प्रयास करे : मंत्री राकेश सिंह


जबलपुर, 6 जुलाई (हि.स.)। श्रद्धेय डॉ श्यामा मुखर्जी जी ने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए प्राणोत्सर्ग कर, राष्ट्रवाद का जो विचार दिया वह सदैव हमारी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा दायक रहेगा, आज उनकी जन्म जयंती पर हम उनके विचारो को आगे बढ़ाने और उसमे सहभागी बनने का संकल्प ले यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी यह बात लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने राष्ट्र निष्ठा की अमर प्रेरणा, जनसंघ के संस्थापक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जन्म जयंती के अवसर पर आज संभागीय भाजपा कार्यालय, रानीताल में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्य सभा सांसद सुमित्रा बाल्मीक, सांसद आशीष दुबे, विधायक अशोक रोहाणी, अभिलाष पांडेय, प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त रविकरण साहू, अरविंद पाठक, महामंत्री पंकज दुबे के साथ कार्यकर्ताओ ने सम्मिलित होकर उनके महान व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा हम जब अपने महापुरषों को याद करते है तो उसके पीछे कारण होता है कि जिन कारणों से वह महापुरुष बने इस त्याग तपस्या और बलिदान को याद करे और उससे सीखे। देश की पहली अंतरिम सरकार में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंत्री बने थे और डॉ मुखर्जी किसी की कृपा से मंत्री नही बने थे बल्कि अपनी योग्यता के बल पर नेहरू जी के आमंत्रण के बाद मंत्री बने थे। उन्होंने सरकार की गलत नीतियों को लेकर त्याग पत्र दिया क्योंकि उन्हे देश की बहुसंख्यक आबादी की चिंता थी और उस हिंदू आबादी के साथ सरकार द्वारा किए जा रहे कुठाराघात के खिलाफ वह खड़े हुए और उन्होंने जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में देश में राष्ट्रवाद एवं अखंड भारत के अलख जगाई।

सिंह ने अपने संबोधन में कहा तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने जब संसद में कहा कि जनसंघ एक सांप्रदायिक राजनैतिक दल है और मैं इसे कुचल दूंगा तब संसद ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी खड़े हुए और उन्होंने जवाब देते हुए कहा जनसंघ को कुचलने वाली उस सोच को ही हम समाप्त कर देंगे। आजादी के बाद जो विखंडित भारत हमे मिला उसे भी तत्कालीन सरकार ने अपनी नीतियों से दो भागो में विभक्त करने का कार्य किया और जम्मू कश्मीर में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान को लागू किया और अपने ही देश के राज्य कश्मीर जाने के लिए परमिट लेना पड़ता था, इस नीति का डॉ मुखर्जी ने विरोध किया और मंत्री परिषद से हटकर इसके लिए आंदोलन खड़ा किया और कहा यह परमिट प्रथा बंद होनी चाहिए धारा 370 खत्म होना चाहिए और इसका विरोध करते हुए बिना परमिट कश्मीर जाने का निर्णय किया, वह कश्मीर गए बेहद संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई जिसके कारणों का आज भी नही पता है।

राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुमित्रा वाल्मिकी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जो अति विद्वान थे साथ ही प्रखर राष्ट्र भक्त थे उनके राष्ट्र को लेकर समर्पण को ऐसे देख सकते है।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सांसद एवं भाजपा प्रदेश मंत्री आशीष दुबे ने कहा हम जिस दल में, जिस संगठन में कार्य कर रहे है उसका इतिहास हमे पता होना चाहिए हमारे पूर्वजों के त्याग और बलिदान की जानकारी हमे होना चाहिए। इस अवसर पर सोनू बचवानी, प्रियंका केसरवानी, श्रीकान्त साहू, रवि शर्मा आदि उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक

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