मप्र: महाकाल ने किया तिल के उबटन से स्नान, मकर संक्रांति पर शिप्रा-नर्मदा में हो रहा स्नान

मप्र: महाकाल ने किया तिल के उबटन से स्नान, मकर संक्रांति पर शिप्रा-नर्मदा में हो रहा स्नान
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मप्र: महाकाल ने किया तिल के उबटन से स्नान, मकर संक्रांति पर शिप्रा-नर्मदा में हो रहा स्नान


उज्जैन/नर्मदापुरम, 15 जनवरी (हि.स.)। मकर संक्रांति पर्व सोमवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल को तिल से बना उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया गया। स्नान-ध्यान के बाद भगवान का भांग, सूखे मेवे से शृंगार कर नए वस्त्र और आभूषण धारण कराए। तिली से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती की। वहीं, प्रदेश के विभिन्न नर्मदा तथा ओंकारेश्वर, नर्मदापुरम, जबलपुर और अमरकंटक में श्रद्धालु पवित्र स्नान कर रहे हैं।

सोमवार तड़के 3 बजे पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के पश्चात सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश हुआ, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में सोमवार को मनाया जा रहा है। संक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने पहुंच रहे हैं। वहीं, नर्मदापुरम, जबलपुर में भी नर्मदा के घाटों पर लोग स्नान - ध्यान के बाद दान पुण्य कर रहे हैं। नर्मदापुरम के सेठानीघाट, बांद्राभान सहित अन्य घाटों पर स्नान का सिलसिला अलसुबह शुरू हो गया था। जबलपुर में कुछ लोगों ने 14 जनवरी को भी संक्रांत का स्नान किया।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जब संक्रांति का क्रम सायन अथवा रात्रि या अपर रात्रि में हो तो पर्व अगले दिन मनाया जाता है। इस दृष्टिकोण से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल है। पं. हरिहर पंड्या ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। धनु राशि के सूर्य का मकर राशि में परिभ्रमण संक्रांति की स्थिति दर्शाती है। दक्षिण को छोड़ सूर्य उत्तर में प्रवेश करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ललित ज्वेल/केशव दुबेे/मुकेश

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