पिछले दो वर्षों में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मजबूत नींव रखी- मंत्री उदय प्रताप

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पिछले दो वर्षों में स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मजबूत नींव रखी- मंत्री उदय प्रताप


मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग की दो वर्षों की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ

भोपाल, 22 दिसंबर (हि.स.)। प्रदेश में नामांकन दर को बढ़ाने एवं ड्रॉपआउट दर को घटाने के लिए पिछले दो वर्षों में बहुत बड़ा प्रयास हुआ है। प्रथम बार 'प्रवेशोत्सव' का आयोजन माह अप्रैल के प्रथम सप्ताह में हुआ। वहीं पाठ्यपुस्तकों का वितरण भी अप्रैल माह में किया गया। कक्षा एक, छह एवं नौ में प्रवेश प्रक्रिया का सरलीकरण कर दिया गया है। यही कारण है जो कक्षा एक एवं सेकेंडरी स्तर पर नामांकन में वृद्धि, विशेषतः शासकीय विद्यालयों में दर्ज की जा सकी है। उक्त बातें स्कूल शिक्षा विभाग की उपलब्धियों को लेकर सोमवार को स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहीं।

वे मध्य प्रदेश की मोहन सरकार के दो वर्ष कार्यकाल की विभागीय उपलब्धियोँ पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, विगत तीन वर्षों में सभी कक्षाओं में डॉपआउट दर में कमी आई है। वर्ष 2024-25 में प्राथमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर 6.8% से घटकर शून्य हो गई है। समग्र आईडी के माध्यम से 90% बच्चों की ट्रैकिंग पूर्ण तथा 6-14 वर्ष के विद्यालय से बाहर बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश दिया जा रहा है। स्थानांतरित होने वाले परिवारों सहित प्रत्येक बच्चे की सुनिश्चित ट्रैकिंग की कार्ययोजना तैयार की गई है।

मंत्रि सिंह ने कहा कि मप्र सरकार शासकीय योजना अंतर्गत निजी विद्यालयों में अध्ययनरत पात्र परिवारों के लगभग 8.50 लाख बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति आज कर रही है। इसके साथी ही पुस्तकों एवं शिक्षण-सामग्री के गुणवत्ता परीक्षण के लिए बहु-स्तरीय व्यवस्था विकसित की गई है। पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा फरवरी माह में ही निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों हेतु उच्च गुणवत्ता की पुस्तकों की समयपूर्व छपाई एवं कम दरों पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास सफलता से पूरे हुए हैं।

उन्होंने बताया कि समय पर बजट उपलब्धता से लैपटॉप वितरण योजना से इस वर्ष सर्वाधिक 94,300 विद्यार्थी एवं स्कूटी वितरण योजना से 7,800 विद्यार्थी लाभान्वित किया गया है। साइकिल वितरण कार्यक्रम पहली बार अगस्त माह में प्रारम्भ हो गया था, आगामी वर्ष से अप्रैल में वितरण प्रारम्भ करने की योजना है। इस दौरान मंत्री स्कूल शिक्षा ने बताया कि समग्र शिक्षा अभियान ( एसएसए) की तीसरी किस्त के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजने वाला मप्र देश का तीसरा एवं पहला बड़ा राज्य है। हम शीघ्र ही प्रत्यक्ष भर्ती हेतु 30,281 शिक्षक रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया पूरी करने जा रहे हैं। सभा विद्यालयों में शिक्षकों की कोई कमी नहीं हो, इसके लिए पहली से 20,000 से अधिक अतिशेष शिक्षकों का स्थानांतरण शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में हमने किया है।

मंत्री ने बताया राजगढ़ और नरसिंहपुर में दो आदि शंकराचार्य गुरुकुल स्थापित किए जाएंगे, जहां वेद, संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा का विधिवत शिक्षण होगा। पाठ्यक्रम में गाय से जुड़े नैतिक और सांस्कृतिक विषयों को भी शामिल करने की योजना है।

मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को मालवी, बुंदेलखंडी, निमाड़ी जैसी स्थानीय भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे प्रारंभिक स्तर पर सीखने की प्रक्रिया अधिक सहज और प्रभावी बने। मऊगंज वीडियो प्रकरण पर उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और पूर्व में 13 अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें छह को निलंबित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग में चलित जांच तंत्र सक्रिय है और भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की नीति शून्य सहनशीलता की है। वहीं कांग्रेस ने जांच की समयसीमा और वेद शिक्षण को लेकर सवाल उठाए, जिस पर मंत्री ने कहा कि शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं और बच्चों की सुरक्षा व संस्कार दोनों की जिम्मेदारी निभाते हैं।

उन्‍होंने इस दौरान यह भी जानकारी दी कि शिक्षा को आर्थिक रूप से सुलभ बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। निजी विद्यालयों में अध्ययनरत पात्र परिवारों के लगभग 8.50 लाख बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति की जा रही है। पाठ्यपुस्तकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बहु-स्तरीय गुणवत्ता परीक्षण प्रणाली लागू की गई है। पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा निजी विद्यालयों के लिए फरवरी माह में ही पुस्तकों की छपाई कर कम दरों पर आपूर्ति सुनिश्चित की गई, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम हुआ। वहीं छात्र प्रोत्साहन योजनाओं में भी रिकॉर्ड उपलब्धियाँ दर्ज हुई हैं। लैपटॉप वितरण योजना से अब तक 94,300 विद्यार्थी लाभान्वित हुए, जबकि स्कूटी वितरण योजना के तहत 7,800 छात्राओं को सुविधा मिली। साइकिल वितरण कार्यक्रम अगस्त में प्रारंभ किया गया, जिसे आगामी वर्षों में अप्रैल से शुरू करने की योजना है।

शिक्षकों की उपलब्धता को लेकर भी सरकार ने निर्णायक कदम उठाए हैं। 20,000 से अधिक अतिशेष शिक्षकों का स्थानांतरण कर शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पदस्थापना की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, एफएलएन रिफ्रेशर कोर्स और अंग्रेजी भाषा दक्षता प्रशिक्षण संचालित किए जा रहे हैं। ‘हमारे शिक्षक’ जियो-टैग ऐप के माध्यम से शिक्षक उपस्थिति की निगरानी की जा रही है। आधारभूत संरचना के क्षेत्र में भी व्यापक सुधार हुए हैं। विद्यालयों की मरम्मत, शौचालय, पेयजल, विद्युत और प्रकाश व्यवस्था के लिए विशेष निधि आवंटित की गई है। पीएम श्री और सांदीपनि विद्यालयों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है। डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और व्यावसायिक शिक्षा के विस्तार से शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जा रहा है।

इस दौरान मंत्री उदय प्रताप सिंह ने यह भी बताया कि बोर्ड परीक्षा परिणामों में भी ऐतिहासिक सुधार देखने को मिला है। कक्षा 10 का उत्तीर्ण प्रतिशत 56 से बढ़कर 76.22 प्रतिशत और कक्षा 12 का 63 से बढ़कर 74.56 प्रतिशत हो गया। कुल मिलाकर, पिछले दो वर्षों में स्कूल शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की मजबूत नींव रखी है। मंत्री उदय प्रताप सिंह के अनुसार, शिक्षा के माध्यम से विकसित मध्यप्रदेश @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करना सरकार का संकल्प है और प्रदेश उसी दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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