पंडित प्रदीप मिश्रा की जिम्मेदारी संभाली पुत्र राघव मिश्रा ने, शिव महापुराण से की शुरूआत

पंडित प्रदीप मिश्रा की जिम्मेदारी संभाली पुत्र राघव मिश्रा ने, शिव महापुराण से की शुरूआत
WhatsApp Channel Join Now
पंडित प्रदीप मिश्रा की जिम्मेदारी संभाली पुत्र राघव मिश्रा ने, शिव महापुराण से की शुरूआत


पंडित प्रदीप मिश्रा की जिम्मेदारी संभाली पुत्र राघव मिश्रा ने, शिव महापुराण से की शुरूआत


सीहोर, 30 अप्रैल (हि.स.)। भक्ति के बिना जीवन अधूरा है। लाखों योनियों में सबसे सुंदर शरीर मनुष्य का है। भगवान के आशीर्वाद के बिना मनुष्य जीवन प्राप्त नहीं होता। भगवान शिव का संपूर्ण चरित्र परोपकार की प्रेरणा देता है। भगवान शिव जैसा दयालु करुणा के सागर कोई और देवता नहीं है। यह विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में विश्व में कथावाचक के रूप में मशहूर पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने अपनी कथा की शुरुआत करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र कुबेरेश्वरधाम से की।

इस मौके पर व्यास पीठ का पूजन करने पहुंचे पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कई लोगों ने हमसे कहा कि आप अपने पुत्र को कथा करने के लिए बाहर भेज दो, वहां भेज दो, लेकिन 30 अप्रैल इतिहास में दर्ज हो गया है। हमने भी 1999 में भी कथा की थी। उन्होंने कहा कि राघव महाराज को आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद की अपेक्षा है। कथा के पहले दिन सुबह से ही कुबेरेश्वधाम पर विठलेस सेवा समिति की ओर से प्रबंधक समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा, आशीष वर्मा, यश अग्रवाल, मनोज दीक्षित मामा, आकाश शर्मा, रविन्द्र नायक, सौभाग्य मिश्रा, बंटी परिहार आदि ने यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी सहित ठंडाई का वितरण किया।

शिव महापुराण मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली

कथा के पहले दिन पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली है। क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। भगवान भोले नाथ की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है, लेकिन भगवान शिव की महिमा सुनने व उनमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है, लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। शिव महापुराण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आनंद देने वाली है। क्योंकि भगवान भूतों के अधीश्वर साक्षात परमात्मा हैं। जो समस्त जीवों को आत्म ज्ञान देकर ईश्वर से जुडऩे की कला सिखाते हैं।

पहले दिन चंचुला का शिव धाम प्रसंग

कथा के पहले दिन पूरे जोश और उत्साह के साथ श्रद्धालुओं के मध्य पहुंचे पंडित राघव मिश्रा का जोरदार स्वागत किया गया। उनके चेहरे की सुंदरता और तेज के आगे सब फीका नजर आ रहा था। श्रद्धालुओं की नजर उनकी मासूम चेहरे पर थी, लेकिन छोटे महाराज ने आते ही अपने भजन-कीर्तन और अपने पिता से मिले संस्कार से सभी का मनमोह लिया। उन्होंने कहा कि चंचुला नाम की स्त्री को जब संत का संग मिला वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। भगवान शिव भी सत्संग का महत्व मां पार्वती को बताते हुए कहते हैं कि उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परंतु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सत्संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की ओर इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ है, इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करा दे।

बुधवार को किया जाएगा सत्यम शिवम सुंदरम

विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि बुधवार को कथा का दूसरा दिन रहेगा। कथा में सत्यम शिवम सुंदरम आदि का वर्णन किया जाएगा। कथा के पहले ही दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से हाल खचाखच भर गया है, बाहर बैठने आदि की व्यवस्था की जाएगी। कथा के दौरान अग्रवाल महिला मंडल सहित अन्य ने पंडित राघव मिश्रा का स्वागत किया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story