इंदौर : फरार अक्षय बम को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, अभी भी गिरफ्तारी की लटकी तलवार
- हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अग्रिम जमानत पर आपत्ति, अगली सुनवाई 24 को
भोपाल/इंदौर, 17 मई (हि.स.) । इंदौर में लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस से भाजपा में आए अक्षय बम को हाई कोर्ट ने झटका दिया है। शुक्रवार को कोर्ट में अग्रिम जमानत को लेकर सुनवाई हुई। लेकिन अग्रिम जमानत को लेकर अक्षय को तत्काल राहत नहीं मिल पायी है। अब अगली सुनवाई 24 मई को होगी। ऐसे में उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडराता रहेगा। दरअसल, धारा 307 का मामला दर्ज होने के कारण अक्षय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निकल गया था। इसी के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। बता दें कि इससे पहले इंदौर सेशन कोर्ट से उनका अग्रिम जमानत आवेदन खारिज हो चुका है।
जानकारी के अनुसार 2007 के जमीन विवाद से जुड़े मामले के फरियादी युनूस पटेल के आवेदन पर धारा 307 का मुकदमा अक्षय बम पर पिछले महीने दर्ज किया गया है। 10 मई को ट्रायल कोर्ट में नहीं होने पर अक्षय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। इसी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अक्षय ने अग्रिम जमानत मांगी थी। सुनवाई के दौरान फरियादी युनूस ने हाई कोर्ट में अक्षय की अग्रिम जमानत पर आपत्ति ली। इसके बाद हाई कोर्ट ने लिखित आपत्ति दर्ज कराने के लिए फरियादी को सात दिन का समय दिया है। अगली सुनवाई 24 मई को होगी। वहीं, बता दें कि सुनवाई के दौरान केवल तारीख आगे बढ़ गई है लेकिन निचली अदालत से 10 मई को जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट अभी भी सक्रिय है। इसलिए अक्षय बम को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। फिलहाल, अक्षय बम अभी भी फरार हैं।
अब दो मामलों की सुनवाई 24 मई को
अक्षय बम कानूनी राहत के लिए ट्रायल कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर कर चुके हैं। वहां भी सुनवाई हुई है लेकिन अभी राहत नहीं मिली है। इसके अलावा अग्रिम जमानत के लिए भी ऊपरी अदालतों में प्रयास कर रहे हैं। अब दोनों ही मामलों में अलग-अलग अदालतों में सुनवाई 24 मई को होगी।
यह है मामला
गौरतलब है कि अक्षय कांति बम और उनके परिवार के कई प्राइवेट कॉलेज हैं, लेकिन उनका ज्यादा इन्वॉल्वमेंट जमीन से जुड़ो कारोबार में है। 78 करोड़ की प्रॉपर्टी में 80 प्रतिशत शेयर जमीनों का है। अक्षय के खिलाफ दर्ज तीन में से दो मुकदमे सीधे तौर पर जमीन पर कब्जे के विवाद के हैं। लोकसभा चुनाव में उतरते ही उनका 17 साल पुराना जमीन विवाद का केस फिर सुर्खियों में आ गया। अचानक अदालत में पक्षकार की ओर से आवेदन लगा दिए गए जिसके बाद सुनवाई हुई तो आरोप सही पाए गए। तुरंत धारा 307 यानी प्राण घातक हमले की गंभीर धारा बढ़ गई। इसमें 10 साल तक की सजा भी हो सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार / उमेद/नेहा
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