सदैव लोक कल्याण के लिए सृजन केंद्रित रहा है भारतीय दृष्टिकोण : मंत्री परमार
- मानव कल्याण के भाव से आधुनिक तकनीक के अनुसंधान और नवसृजन की आवश्यकता : परमार
- दो दिवसीय डाटा इंजीनियरिंग एवं एप्लीकेशन पर आधारित 5वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (IDEA 2024) का शुभारंभ
भोपाल, 28 जून (हि.स.)। वर्तमान में विश्वमंच पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की चर्चा है, भारतीय दृष्टिकोण के अनुरूप आर्टिफिकल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक को समाज के अनुकुल रूप से अमल में लाने की आवश्यकता है। भारत का वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमेशा से वसुधैव कुटुंबकम् को आत्मसात करते हुए मानव कल्याण हितैषी सृजन केंद्रित रहा है। हमारे ऋषि मुनियों ने परम्पराओं एवं मान्यताओं में ज्ञान के रूप में विज्ञान को स्थापित किया, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर खरे उतरते है। समाज के प्रश्नों के समाधान के लिए नए संदर्भों के साथ भारतीय मान्यताओं एवं परंपराओं पर शोध एवं समग्र विचार मंथन करने की आवश्यकता है; इससे लोक कल्याण के भाव से आधुनिक तकनीक का अनुसंधान और नवसृजन होगा।
यह बात उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने शुक्रवार को भोपाल स्थित ओरिएंटल इंस्टीट्यूट में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं ओरिएंटल इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीयडाटा इंजीनियरिंग एवं एप्लीकेशन पर आधारित 5वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (IDEA 2024) के शुभारंभ अवसर पर कही। उन्होंने नवाचारों के सतत एवं समग्र प्रयासों के लिए संगोष्ठी एवं सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य ईमानदार, श्रेष्ठ और देशभक्त व्यक्तित्व निर्माण करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षा क्षेत्र में समस्त जगह कार्य कर रहे लोगों की तीव्रगामी सहभागिता आवश्यक है।
मंत्री परमार ने कहा कि संगोष्ठियों एवं सम्मेलन में समग्र विचार मंथन, विभिन्न चुनौतियों के प्रत्युत्तर रूपी निष्कर्ष प्रदान करेगा, इससे तकनीकी नवाचार समृद्ध और समाजोपयोगी होगा। इस तरह के सम्मेलन एवं संगोष्ठियों के आयोजन से विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने के लिए, युवा शोधार्थियों की प्रतुतियों को शामिल करके मशीन लर्निंग और डाटा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोध का दायरा भी बढ़ेगा। हम उद्योग जगत की आवश्यकता अनुरूप पाठ्यक्रमों में पुनर्विचार एवं आवश्यक परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, इससे समाज की आवश्यकता के अनुरूप रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का सृजन होगा। उन्होंने सभी से पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पित होने के लिए संस्थान परिसर में वृक्षारोपण के लिए विद्यावन बनाने को कहा। प्रकृति के संरक्षण के लिए विद्यार्थियों एवं सर्वजनों से वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी सहभागिता करने की अपील भी की।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल की प्रभारी कुलगुरू डॉ रूपम गुप्ता ने कहा कि यह सम्मेलन शोधार्थियों, प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों के लिए अवसरदायक मंच है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से डाटा को समाज के लिए लाभकारी बनाना हमारा उद्देश्य हैं। रिस्क मैनेजमेंट तकनीक एवं फ्रॉड डिटेक्शन जैसे फिल्टरेशन के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे समाज में भ्रम की स्थिति ना उत्पन्न हो।
दो दिवसीय सम्मेलन का 29 जून समापन होगा। सम्मेलन में भारत, ईरान, सऊदी अरब, ताइवान, बांग्लादेश, इथियोपिया, इंग्लैंड सहित 800 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए हैं, जिसमें 127 शोधपत्र मध्यप्रदेश से थे। इनमें से अति उच्च गुणवत्ता वाले मात्र 188 शोधपत्र चयनित किए गए हैं, इसमें मध्यप्रदेश के 55 शोधपत्र शामिल हैं। संगोष्ठी में मध्यप्रदेश सहित आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब आदि देश के विभिन्न प्रांतों से शोधपत्र प्राप्त हुए हैं। विश्व की बहु प्रतिष्ठित शोध प्रकाशन संस्था स्प्रिंगर में ये शोध पत्र प्रकाशित होंगे।
सम्मेलन के दौरान डाटा इंजीनियरिंग एवं एप्लीकेशन पर आधारित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (IDEA) के पांच वर्षों की विकास यात्रा की लघु फिल्म प्रदर्शित की गई एवं संस्थान के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी। ओरिएंटल इंस्टीट्यूट के चेयरमैन एवं चॉसलर प्रवीण ठकराल, प्रो-चॉसलर गौरव ठकराल सहित प्राध्यापक, शोधार्थी, प्रतिभागी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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