मप्र विस चुनाव: दो सगे भाइयों की लड़ाई में तीसरे को मिलेगा फायदा
नर्मदापुरम, 02 नवंबर (हि.स.)। नर्मदापुरम में भाजपा कांग्रेस ने दो सगे भाईयों को आपस में लड़वा कर तीसरे को जीत का मौका दिया है। चौथेपन के अंतिम पड़ाव पर दो सगे भाई 74 वर्षीय बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा एवं 73 वर्षीय डॉ. सीताशरण शर्मा के बीच धर्म-कर्म की लड़ाई नहीं, बल्कि पद की लड़ाई से नर्मदापुरम का हर व्यक्ति झुलस रहा है कि अगर किसी एक का साथ पकड़ा या छोड़ा तो न जाने क्या परिणाम भुगतने पड़े, इसलिये जनमानस अपने आप को तन, मन से इन भाईयों के साथ बताने को विवश है, वहीं इस सच से जनता ने भी दूरी बना ली है परिणामस्वरूप जनता का मानस किसी तीसरे के पक्ष में चौकानेवाले निर्णय देने को तैयार लग रहा है।
मरूस्थलरूपी भाजपा में मृगमरीचिका की तरह सम्मान तलाश रहे पण्डित गिरिजाशंकर शर्मा एक चातक की तरह स्वातिबूंद को तरस गये और स्वयं भाजपा के कददावर नेता सरताजसिंह की तरह आभास किया कि भाजपा में रहते वे गुम गये है, तब अपनी पहचान बनाने के लिए 300 के लगभग वाहनों का कारवॉ नर्मदापुरम से राजधानी शक्तिप्रदर्शन के रूप में ले कांग्रेस मेंं शामिल हुए, पर इन तीन सौ वाहनों में तीन ऐसे भाजपाईयों के नाम सामने नहीं आ सके जो उनके साथ कॉग्रेस में शामिल हुए, हॉ उनका पुत्र वैभव शर्मा जरूर कॉगेस में प्रदेश सचिव बनकर सम्मानित हुए। कॉग्रेस से टिकिट मिलने पर पिता गिरिजाशंकर शर्मा व पु़त्र वैभव शर्मा अपने-अपने अनुयायियों सहित छोटे भाई के खिलाफ जंग की शुरूआत कर चुके है। ये दोनों पिता पुत्र भाजपा विधायक डॉ. सीताशरण शर्मा से आदर्श और उसूलों में उतने ही दूर हो गये, जितने दूर भाजपा में उनका सम्मान था। इस चुनाव में एक ओर पिता के साथ पुत्र है तो दूसरी ओर चाचा जिन्हें छोटे कक्काजी कहते है के साथ उनके भतीजे पियूष शर्मा कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे है, पर किसका निशाना किसकी ओर है यह जनता समझ नहीं पा रही है, इसलिये परिवार की लड़ाई में वे स्वयं को असंयमित एवं झुलसा पा रही है।
नर्मदापुरम से पूर्व हुशंगशाह की पहचान होशंगाबाद नगर में जब 1951-52 में मध्यप्रदेश की पहली विधानसभा के लिये चुनाव हुए थे उस समय ये दोनों प्रत्याशी 5 वर्ष की उम्र के बालक थे, तब इस परिवार के जनक नगर के लाड़ले कक्काजी कानूनविद पण्डित रामलाल शर्मा जी सहित 11 प्रत्याशी विधानसभा चुनाव मैदान में थे, तब कुल 52524 मतदाताओं में 21722 मतदाताओं ने दिनॉंक 27 मार्च 1952 को मतदान कर कॉग्रेस के नन्हेलाल भूरेलाल को 10896 मत देकर विधायक चुना और शर्मा जी 2601 मत पा सके। इसी क्रम में वर्ष 1957 की विधानसभा के लिये संपन्न हुए चुनावों में कुल 47175 मतदाताओं में से 20283 मतदाताओं ने 25 फरवरी 1957 को अपने मताधिकार का प्रयोग करके नन्हेलाल भूरेलाल विश्वकर्मा को विधायक चुना, जबकि रामलाल शर्मा जी 4893, जिनवर दास फौजदार 2848 नारायणप्रसाद जवाहरलाल 1046 मतदान प्राप्त कर सके। तब हमारे पूर्वजों ने पण्डित रामलाल शर्मा जी को दो बार विधायकी से वंचित किया, प्रतिफल में इस नगर ने उनके पुत्रों को 35 साल तक विधायक रखा, पर इस बार जनता कुछ ज्यादा ही सावधान रहकर चुप्पी साधे है जिसमें कॉग्रेस एवं भाजपा के प्रत्याशी सगे भाईयों के बीच पद की लड़ाई में अपना कर्तव्य पालन कर भ्रात धर्म की स्थापना करने को तत्पर होंगे जो इस परिवार द्वारा एक सौ साल से अधिक समय से प्रतिवर्ष रामलीला महोत्सव द्वारा चरित्र निर्माण की शिक्षा नगरजनों को दी है, उस शिक्षा की सार्थकता एवं विधानसभा के रहवासियों की बौद्धिकता का संदेश कहीं तीसरे को जिताकर तो नहीं देगा, जो विधानसभा परिणाम आने के दिन 3 दिसम्बर को पता चल सकेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/ आत्माराम यादव
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