चंदेरी में उन्नयन होने वाले अस्पताल को वर्तमान परिसर में ही बनाए जाने की मांग, अभिभाषक संघ ने सौंपा ज्ञापन
चंदेरी, अशोकनगर, 30 दिसंबर (हि.स.)। मप्र की एतिहासिक एवं कला नगरी चंदेरी में प्रस्तावित 30 से 50 बिस्तर वाले सिविल अस्पताल के उन्नयन को लेकर एक बार फिर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। चंदेरी अभिभाषक संघ ने मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान अनुभागीय अधिकारी (राजस्व) चंदेरी के समक्ष उपस्थित होकर कलेक्टर, जिला अशोकनगर के नाम ज्ञापन प्रस्तुत किया। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई कि उन्नयन होने वाले अस्पताल का निर्माण वन भूमि में न कराते हुए वर्तमान अस्पताल परिसर में ही कराया जाए, जिससे आम नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
अभिभाषक संघ ने अपने ज्ञापन में तथ्यात्मक बिंदुओं के माध्यम से बताया कि जब अस्पताल के मौजूदा परिसर में पर्याप्त भूमि उपलब्ध है और अन्य राजस्व भूमि भी मौजूद है, तो फिर वन भूमि में अस्पताल निर्माण का निर्णय जनभावना के विपरीत है। संघ का कहना है कि इस तरह का निर्णय न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अनुचित है, बल्कि इससे आमजन को भी अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
संघ ने यह भी उल्लेख किया कि चंदेरी नगर के मध्य स्थित वर्तमान अस्पताल परिसर में ही उन्नयन किए जाने से मरीजों, उनके परिजनों और चिकित्सा स्टाफ को सुविधा होगी। इसके विपरीत यदि अस्पताल को नगर से बाहर या वन भूमि क्षेत्र में बनाया जाता है तो इससे बुजुर्गों, महिलाओं और आपातकालीन मरीजों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इसे जनहित के साथ खिलवाड़ बताते हुए अभिभाषक संघ ने प्रशासन से जनभावना के अनुरूप निर्णय लेने की मांग की है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2019 में राज्य शासन के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में अशोकनगर, मुंगावली और चंदेरी के सिविल अस्पतालों के उन्नयन का स्पष्ट उल्लेख किया गया था। इस पत्र के तहत अशोकनगर और मुंगावली के अस्पतालों का उन्नयन कार्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन चंदेरी सिविल अस्पताल का उन्नयन अब तक शुरू नहीं हो पाया है। संघ का आरोप है कि राजनीतिक दबाव और अटकलों के चलते पिछले पांच वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बावजूद चंदेरी को उसके अधिकार से वंचित रखा गया है।
अभिभाषक संघ का यह भी कहना है कि वर्तमान अस्पताल परिसर में पर्याप्त जगह होने के बावजूद कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा राजनीतिक प्रपंच के तहत अस्पताल को नगर से बाहर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते प्रशासन ने जनहित में निर्णय नहीं लिया, तो वे वैधानिक कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होंगे।
इस अवसर पर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष अंशुल श्रीवास्तव ने कहा कि ज्ञापन में वन भूमि में अस्पताल न बनाए जाने के ठोस और तथ्यात्मक कारण प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन जनभावना को समझते हुए वर्तमान स्थल पर ही अस्पताल निर्माण का निर्णय लेगा। वहीं संघ के सचिव अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि अस्पताल को दूरस्थ स्थान पर बनाने का कोई औचित्य नहीं है। यह निर्णय जनता की भावनाओं के खिलाफ है और यदि जरूरत पड़ी तो संघ कानूनी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
ज्ञापन प्रस्तुत करने वालों में अध्यक्ष अंशुल श्रीवास्तव, सचिव अनिल कुमार तिवारी सहित आलोक चौरसिया, संजय मुद्गल, सिराज पठान, आदित्य चौरसिया, योगेंद्र जैन, शैलेंद्र सुमन, कृष्ण बल्लभ लोधी, अनीस उल्ला खान, इंद्र मोहन चौरसिया, सतीश श्रीवास्तव, राजकुमार चौबे, निर्मल विश्वकर्मा सहित अन्य अभिभाषक उपस्थित रहे। अभिभाषक संघ ने विश्वास जताया है कि प्रशासन जनहित में उचित निर्णय लेकर चंदेरी की जनता को राहत देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / Nirmal Kumar Vishwkarma

