सीहोरः गैस सिलेंडर फटने से घर में लगी आग, गृहस्थी का सामान जलकर हुआ राख

सीहोरः गैस सिलेंडर फटने से घर में लगी आग, गृहस्थी का सामान जलकर हुआ राख
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सीहोरः गैस सिलेंडर फटने से घर में लगी आग, गृहस्थी का सामान जलकर हुआ राख


सीहोर, 24 मई (हि.स)। जिले के ग्राम खजुरिया कला में गुरुवार की रात एक घर में खाना बनाने के बाद भड़की आग से गैस सिलेंडर में विस्फोट हो गया, जिससे घर में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि गुबार 40 फीट ऊपर तक उठा। धमाके की आवाज भी करीब दो किमी दूर तक सुनाई दी। हादसे के समय तीन बच्चे घर में सो रहे थे। लपटों के बीच मां ने तीनों को बाहर निकाला। सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक घर का सारा गृहस्थी का सामान जलकर खाक हो गया।

घटना सीहोर जनपद पंचायत के ग्राम खजुरिया कलां की है। यहां रहने वाले धर्मेंद्र अहिरवार के घर में गुरुवार रात करीब 10 बजे के करीब सिलेंडर में विस्फोट होने के बाद आग लग गई। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस व फायर ब्रिगेड को दी। कुछ समय बाद पुलिस व फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन घर का सारा सामान जलकर खाक हो गया।

धर्मेंद्र अहिरवार की पत्नी मनीषा ने बताया कि गुरुवार रात को मेरे पति धर्मेंद्र काम से गांव के बाहर गए थे। रात करीब 10 बजे मैंने मिट्टी वाले चूल्हे पर खाना बनाया। लकड़ी की आग बुझा दी। खाना बनाने से गर्मी ज्यादा होने के कारण मैं बाहर आकर हवा लेने लगी। मेरे दोनों बेटे और बिटिया घर में सोए हुए थे। थोड़ी देर बाद मैंने घर की ओर देखा तो आग की लपटें निकल रही थी। मैंने मदद के लिए आवाज लगाई। कोई मदद के लिए आता इससे पहले मैं घर में घुसी तो देखा कि आग तेजी से फैल रही है। सिलेंडर के पाइप में आग लगी थी। मैं एक-एक कर तीनों बच्चों को उठाकर बाहर लाई। मनीषा अहिरवार ने बताया कि अब लगने से सब खाक हो गया। मैं हिम्मत नहीं दिखाती तो तीनों बच्चे घर में ही फंसे रह जाते।

धर्मेंद्र अहिरवार ने बताया कि लोगों से सूचना मिलने पर घर पहुंचा तो देखा कि सब खाक हो चुका था। गनीमत रही कि पत्नी व तीनों बच्चे कुशल हैं। मैं गर्मियों में आइसक्रीम बेचता हूं। बाकी समय में मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करता हूं। आग लगने के बाद पुलिस मौके पर आई थी। अब तक कोई अफसर नुकसान का जायजा लेने नहीं आया है। आग में करीब ढाई लाख का नुकसान हुआ है। जीवन यापन के लिए सरकार या प्रशासन से आर्थिक मदद मिल जाए तो बेहतर होगा। आज दोपहर में बच्चे भूखे थे तो पड़ोसी के यहां खाना खिलाया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद

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