हीटवेव को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर चिकित्सकों के सामने आए ये खास सुझाव

हीटवेव को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर चिकित्सकों के सामने आए ये खास सुझाव
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हीटवेव को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर चिकित्सकों के सामने आए ये खास सुझाव


खुद बचें और अपने परिवार को भी बचाएं

भोपाल, 1 मई (हि.स.)। भारत के मौसम में सूर्य की गर्मी अपने चरमोत्कर्ष की ओर जाती दिखाई देती है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों का सबसे अधिक बीमार होने का खतरा बना रहता है। इसलिए यह जरूरी है कि जीवन में संतुलन बना रहे । कहीं ऐसा न हो कि बदलते और तेज हीटवेव के इस मौसम में काम करने लायक भी न रह जाएं। इसलिए जरूरी है कि हीटवेब से आप भी बचें और अपने परिवार को भी बचाएं।

दरअसल, इस संबंध में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने पहले ही बता दिया है कि आगामी जून तक गर्मी अपने चरम पर रहेगी। ऐसे में हीटवेव दौरान स्वस्थ रहने के लिए छोटे बच्चों, बुजुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत है। इस हीट एक्सॉशन की वजह से मितली, उल्टी और यहां तक कि बेहोशी भी हो सकती है। उचित सावधानी के बिना, अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक और इससे भी बदतर, मृत्यु हो सकती है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप, गर्मी की लहरें अधिक लंबी, और अधिक गंभीर होती जा रही हैं।जिसके लिए हमें सबसे पहले मानसिक रूप से तैयार रहना है, साथ ही इससे निपटने के लिए अपनी जरूरी तैयारी करके रखनी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में गर्मी से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। गर्मी से बचने के लिए अकेले रहने वाले बुजुर्ग या बीमार लोगों की देखभाल करना, अपने घरों को ठंडा रखने, दिन के दौरान पर्दे और शटर या सनशेड का उपयोग करने और रात में खिड़कियां खोलने जैसे निर्देश दिए गए हैं। वहीं, यह भी कहा गया है कि लोगों को दिन के दौरान निचली मंजिलों पर रहने की कोशिश करनी चाहिए और शरीर को ठंडा करने के लिए पंखे और गीले कपड़ों का उपयोग करना चाहिए।

इस संबंध में प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. जुही गुप्ता का कहना है कि हीट स्ट्रोक के संकेतों को कैसे पहचानें और यदि आवश्यक हो तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए। सबसे पहले हमें यह जानना आवश्यक है। वास्तव में जब लू चलती है तब तापमान लगातार कई दिनों तक सामान्य से अधिक रहता है। नमी के कारण अधिक गर्मी महसूस हो सकती है। वास्तव में हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर अत्यधिक उच्च तापमान के संपर्क में आता है और शरीर का मुख्य तापमान 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) और उससे अधिक तक बढ़ जाता है। निर्जलीकरण तुरंत होता है, इसके बाद अन्य लक्षण जैसे थकावट, मतली , उल्टी, सिरदर्द, भटकाव, भ्रम, चेतना की हानि और कभी-कभी कोमा भी हो जाता है। यह मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। हीट स्ट्रोक का तुरंत इलाज न होने पर यह जानलेवा भी हो सकता है।

डॉ. जुही कहती हैं कि गर्म हवा के वायुमंडल में फंसने के कारण गर्मी की लहरें उत्पन्न होती हैं और यह एक प्राकृतिक मौसम घटना है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी की लहरों की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि हो रही है, जो गर्मी को लंबे समय तक रोके रखती है और यही बहुत अधिक गर्मी हर किसी के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। शिशु, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग विशेष रूप से गर्मी के तनाव के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए ही सबसे पहले इन पर ही इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इनका कहना है कि बहुत अधिक गर्मी के दौरान बच्चों में निर्जलीकरण खतरनाक या घातक भी हो सकता है। बच्चों के शरीर को वयस्कों की तुलना में तापमान को नियंत्रित करने में अधिक परेशानी होती है, और वे गर्मी से खुद को बचाने के लिए एक तरह से अपने परिवार के सदस्यों या जो उनकी देख रेख कर रहा है उस पर ही निर्भर रहते हैं। इसी तरह से गर्भवती महिलाओं को भी अधिक खतरा होता है। बहुत अधिक गर्मी और निर्जलीकरण से शिशु का वजन कम होने, समय से पहले जन्म होने और यहां तक कि मृत शिशु के जन्म का भी खतरा बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाएं स्वयं नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती हैं और जल्दी प्रसव पीड़ा में जा सकती हैं, साथ ही गर्भकालीन मधुमेह और उच्च रक्तचाप भी विकसित हो सकती हैं। अत: सावधानी रखना ही वह उपाय है, जिससे कि इस तरह की गर्भवती महिलाएं अपना और अपने गर्भस्थ शिशु की देखभाल कर सकती हैं।

हीट वेव से बचने के उपायों के विषय में बातचीत के दौरान डॉ. विनीत चतुर्वेदी का कहना है कि घर पर एक आपातकालीन किट रखनी चाहिए, जिसमें ओरल रिहाइड्रेशन नमक (ओआरएस) के पैकेट, एक थर्मामीटर, पानी की बोतलें, ठंडा करने के लिए गीला करने के लिए तौलिये या कपड़े, एक हैंडहेल्ड पंखा या बैटरी वाला मिस्टर और गर्मी के तनाव के लक्षणों की पहचान करने और उनका इलाज करने के लिए एक चेकलिस्ट हो। हसके साथ ही निकटतम स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता या एम्बुलेंस/परिवहन सेवाओं के लिए संपर्क जानकारी नोट करके पहले से ही रखें, जिसके बारे में घर के सभी सदस्यों को भी जानकारी रहे कि फलां स्थान नंबर नोट करके रखा गया है, ताकि यदि घर पर कोई नहीं भी है तब भी जो हीटवेव की चपेट में आ गया है वह स्वयं भी फोन कर तत्काल स्वास्थ्य राहत अपने घर पर बुलवा सके ।

डॉ. विनीत का कहना यह भी है कि अधिक गर्मी से बचने के अहम उपायों में यह भी है कि अपने घर को ठंडा रखें। दिन के सबसे गर्म समय के दौरान अपने घर के खुले हिस्सों को भी पर्दे से बंद कर देना चाहिए और रात के समय घर को ठंडा करने के लिए खिड़कियां खोल देनी चाहिए, साथ ही आवश्यकतानुसार कूलर, पंखे और एसी का उपयोग जो भी आपके सामर्थ्य में है, उपयोग जरूर करें।

उन्होंने हीटवेव से बचने के लिए मुख्य उपायों में यह भी बताया है कि दिन के सबसे गर्म समय में बाहर न जाएँ। दिन में पहले या बाद में जब ठंडक हो तो अपनी गतिविधियों को व्यवस्थित करने का प्रयास करें। कहने का तात्पर्य यह है कि आप यदि ऑफिस में हैं तो कार्यालय में ही रहें और यदि घर अथवा किसी अन्य स्थान पर हैं तो कोशिश करें जब तक वातावरण में लू कम न हो जाए, सूर्य की तपिश कम न हो जाए, बाहर न निकलें। फिर भी यदि निकलना आवश्यक है तो सिर पर साफी या गमछा बांधकर, अपने साथ पानी रखते हुए बाहर जाएं। सिर पर सीधी सूर्य की किरणों से बचकर और बीच-बीच में दो घूंट पानी पीते रहते हुए आप अपने को बहुत हद तक हीटवेव के संकट में अपने को बचा लेते हैं।

साथ ही डॉ. विनीत का सुझाव है कि जब बाहर हों, तो सनस्क्रीन पहनें और छाया में रहने का प्रयास भी करें या सुरक्षा के लिए टोपी और छतरी का उपयोग करें। लू लगने पर कई तरह के लक्षण दिखाई देते है जैसे चक्कर, घबराहट, तेज सिरदर्द और सीने में दर्द हो, तो तुरंत किसी पास के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इस तरह के लक्षण लू लगने के संकेत हो सकते हैं।गर्मी से बचाव के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई टिप्स को फॉलो करें। ऐसा करने से आप धूप और लू से बच जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/मुकेश

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