गाय के दूध से बुद्धि तेज और सेवा करने से दिव्य होती है: मां कनकेश्वरी
ग्वालियर, 20 नवंबर (हि.स.)। जीवन में सात्विकता और गायों की सेवा जरूरी है। गाय का दूध पीने से बुद्धि तेज होती है और गाय की सेवा करने से बुद्धि दिव्य हो जाती है। यही वजह से कि श्रीकृष्ण ने महज सात वर्ष की अवस्था में गोवर्धन उठा लिया। यह विचार महामंडलेश्वर मां कनकेश्वरी देवी ने महलगांव करौलीमाता कुंवर महाराज मंदिर प्रागंण में आयोजित देवी भागवत कथा के चतुर्थ दिवस गोपाष्टमी के अवसर पर सोमवार को व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सत्य को प्रस्तुत करने का तरीका भी सही होना चाहिए। कई लोगों के विचारों में तो सात्विकता होती है, लेकिन वाणी में सात्विका नहीं होती और वह बड़ी शान से कहते हैं कि हम तो सच बोलते हैं लेकिन लोगों को कड़वा लगता है। सत्य के साथ वाणी में मिठास जरूरी है। जीवन में सर्वआनंद प्राप्त करने के लिए गायों की सेवा करें और गाय द्वारा प्राप्त दृव्यों का सेवन करें। इससे बुद्धि तेज होगी और गौसेवा से बुद्धि दिव्य हो जाएगी।
बंधन में सुख नहीं होता: देवी कनकेश्वरी ने कहा कि बंधन में सुख नहीं है। सोने के पिंजरे में भी यदि सभी सुविधाएं मिल जाए तो भी पंक्षी मुक्ति के लिए छठपटाता है। इसी तरह ज्ञानी संसार की बंधनों में सुख खोजने की बजाया मुक्ति का मार्ग खोजते हैं। जब तक बंधन और मुक्ति के स्वरूप को नहीं जानोगे तब तक मुक्ति संभव नहीं हैं। गुरुकृपा से भक्ति का जरा भी स्वाद आ गया तो फिर वह मुक्ति नहीं भक्ति चाहता है। उन्होंने बताया कि घर की नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने के लिए घर मेें हर रोज भजन करना चाहिए। हर छोटे बड़े व्यक्ति के आत्मसम्मान का ख्याल करना चाहिए। अपने आसपास के लोगों को प्रसन्न रखना चाहिए। मृत्यु के समय इन सब के आशीर्वाद से व्यक्ति वासना से विमुक्त हो जाता है और मुक्तिमार्ग प्रबल होता है।
हर रूप की उपासना का अलग फल: उन्होंने बताया कि मां शक्ति अनंत उर्जा का स्त्रोत है। उसे अलग-अलग रूप की उपासना से अलग-अलग फल प्राप्त होता है। अपने भीतर की शक्तियों को परखें और जो कमी है उसे जाग्रत करेें। आपके भीतर यदि तेज की कमी है तो गायत्री की उपासना करें। निर्णय लेने की क्षमता यदि कमजोर है तो मां शारदे की आराधना करें। दृव्यशक्ति का आभाव है तो मां लक्ष्मी की उपासना करें, लेकिन लक्ष्मी की आराधना बिना नारायण की कृपा के संभव नहीं हैं। मां दुर्गा की उपासना से प्रतिकार शक्ति बढ़ती है। जिसमें आनंद का आभाव है, वह अंबिका रूपी राधारानी की उपासना करें क्योंकि वो तो भगवान को भी आनंद प्रदान करती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/शरद/मुकेश
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