ग्वालियरः नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौते से 8189 प्रकरणों का निराकरण
- 31 करोड़ 76 लाख से अधिक राशि के अवार्ड पारित, 10945 व्यक्ति हुए लाभान्वित
ग्वालियर, 14 दिसंबर (हि.स.)। कार्यपालक अध्यक्ष राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के दिशा-निर्देशानुसार मौजूदा साल की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत शनिवार को आयोजित हुई। जिला न्यायालय, कुटुबं न्यायालय,श्रम न्यायालय, रेलवे न्यायालय व जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन हुआ। साथ ही सिविल न्यायालय डबरा व भितरवार में आयोजित इस लोक अदालत के लिए गठित 71 खंडपीठों ने 8 हजार 189 मामलों में राजीनामा कराकर आपसी समझौते के आधार पर निराकरण कराया गया और 31 करोड 76 लाख 75 हजार रुपये से ज्यादा राशि के अवार्ड पारित किए गए। नेशनल लोक अदालत से जिले में 10 हजार 945 व्यक्तियों को लाभांवित कराया गया।
नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ के पश्चात प्रधान जिला न्यायाधीश पीसी गुप्ता ने नवनियुक्त पैरालीगल वालेंटियर्स (अधिकार मित्रों) को संबोधित करते हुये नेशनल लोक अदालत व समाज के आम व्यक्तियों तक शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में उनकी भूमिका के संबध में मार्गदर्शन भी प्रदान किया। सिविल जज उपमा भार्गव के न्यायालय से 20 साल से चल रहा सिविल विवाद समझौते में निराकृत कराया गया।
जिला विधिक सहायता अधिकारी दीपक शर्मा ने बताया कि निराकृत किए गए मामलों में न्यायालयों में लंबित 1707 मामलों में लगभग 23 करोड 95 लाख 04 हजार 32 की राशि के अवॉर्ड पारित हुए। इसके अलावा बैंक, नगरपालिका, विद्युत के 6 हजार 475 पूर्ववाद प्रकरणों में 7 करोड 81 लाख 71 हजार से अधिक की राशि लोक अदालत के माध्यम से वसूल की गई। निराकृत प्रकरणों में मोटर दुर्घटना के 242, चैक बाउंस के 337 , आपराधिक 624 , वैवाहिक 58, सिविल 150 , विद्युत के 188 प्रकरण,श्रम विभाग के 06 प्रकरण सम्मिलित रहे। इस बार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र प्रसाद शर्मा (प्रधान न्यायाधीश संवर्ग) द्वारा भी 22 मामले निराकृत किये गये। जिनमें 74 लाख 70 हजार 130 के अवार्ड पारित हुए।
नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों का निराकरण कराने वाले पक्षकारों को वन विभाग के सौजन्य से न्याय वृक्ष के रूप में लगभग 500 छायादार,फूल एवं फलदार पौधे भी वितरित कराये गए।
20 साल बाद सुलझा पारिवारिक संपत्ति विवाद, तीसरी पीढ़ी को मिला न्याय
ग्वालियर जिला न्यायालय में एक पारिवारिक संपत्ति विवाद 20 साल बाद समझौते में निराकृत हुआ। जिसमें पारिवारिक संपत्ति में दावा करने वाले पक्षकारों को बीस वर्ष तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद भी हक नहीं मिला और मामले में उनकी तीसरी पीढ़ी वारिस के रूप में पक्षकार बन गयी। उक्त मामला नेशनल लोक अदालत में व्यवहार न्यायाधीश उपमा भार्गव की खंडपीठ में आपसी सुलह से प्रेम व सौहार्द पूर्ण तरीके से निराकरण हो गया। 19 नवंबर वर्ष 2004 को संस्थित किये गये उक्त पारिवारिक विवाद कुसुमलता बनाम दीपिका का निदान दिसंबर 2024 में प्रधान जिला न्यायाधीश पीसी गुप्ता के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत में किया गया।उक्त मामले में मूल पक्षकारों की मृत्यु हो गयी थी तथा उनकी दूसरी पीढ़ी भी निराकरण पर नहीं पहुंची थी। किन्तु नेशनल लोक अदालत में मामला निराकृत होने से यह स्पष्ट हो गया है कि न्यायालय में कानूनी लड़ाई के समाधान के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली एक बेहतर विकल्प है।
हाईकोर्ट की नेशनल लोक अदालत ने 452 प्रकरणों का निराकरण
उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में शनिवार को आयोजित हुई नेशनल लोक अदालत में तीन न्यायपीठों द्वारा आपसी सहमति के आधार पर कुल 452 प्रकरणों का निराकरण किया गया। साथ ही मोटर दुर्घटना क्लेम अपील प्रकरणों में पीडित पक्षकारों को चार करोड पचास लाख एक हजार रुपये का अतिरिक्त क्षतिधन दिलाया गया।
मुख्य न्यायाधिपति एवं मुख्य संरक्षक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशन तथा प्रशासनिक न्यायाधिपति उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधिपति आनंद पाठक के मार्गदर्शन शनिवार को उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर में नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई। इस नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायाधिपति श्री आनंद पाठक व सीनियर एडवोकेट श्री एन.के. गुप्ता, न्यायाधिपति जीएस अहलूवालिया व सीनियर एडवोकेट एम.पी.एस. रघुवंशी एवं न्यायाधिपति रूपेश चंद्र वार्ष्णेय व एडवोकेट पी सी. चांदिल की खण्डपीठों के द्वारा आपसी सहमति के आधार पर प्रकरणों का निराकरण कराया गया।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर
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