केंद्र से जल संरक्षण व सिंचाई योजनाओं के लिए मिलेगा भरपूर सहयोग: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- मुख्यमंत्री ने नर्मदा नियंत्रण मंडल की गतिविधियों की समीक्षा में दिए निर्देश
भोपाल, 27 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रालय में नर्मदा घाटी विकास विभाग के अंतर्गत नर्मदा नियंत्रण मंडल की गतिविधियों की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नर्मदा जी के प्रमुख घाटों पर जल प्रवाह सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में सिंचाई के साधनों के विस्तार का कार्य निरंतर हो। केंद्र सरकार से ऐसे कार्यों के लिए पर्याप्त धन राशि भी प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, राज्य मंत्री द्वय वी. सोमन्ना और राजभूषण चौधरी से जल संरक्षण कार्यों के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा हुई है। मध्यप्रदेश के हितों के लिए केंद्र सरकार से विशेष सहयोग प्राप्त होगा। प्रदेश के दो बड़े नदी जोड़ो अभियान केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती काली सिंध परियोजना के क्रियान्वयन के विषयों पर भी निर्णायक बातचीत हुई है।
किसानों को मिले सस्ती बिजली
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि किसानों को सस्ते दाम पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए जल विद्युत के नए स्रोत विकसित किए जाएं। वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग भी किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि हमने नर्मदा से काफी कुछ लिया है। हम नर्मदा जी को कुछ देने का भी सोचें। सभी सार्वजनिक घाट स्वच्छ और सुंदर हों इसके लिए प्रशासनिक अमले और आमजन को सजग रहना है। जन श्रद्धा के विभिन्न स्थानों को विकसित किया जाए। आमजन की उपयोगिता के अनुरूप घाटों के अलावा नदी के पास स्थित विभिन्न सार्वजनिक स्थानों को भी सुविधायुक्त बनाया जाए। नर्मदा परिक्रमा करने वाले यात्रियों के लिए शेड आदि बनाए जाएं। जन अभियान परिषद और अन्य स्वैच्छिक संगठन परिक्रमावासियों के लिए अन्य सुविधाओं के विकास के लिए प्रयास करें। वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन विकास की दृष्टि से योजनाएं लागू करने को भी प्राथमिकता दें। इसी तरह ग्रामवासियों की सहूलियत को देखते हुए नर्मदा जी में छोटे माल वाहक जहाज़ के संचालन और मत्स्य पालन की संभावना पर भी कार्य किया जाए। नर्मदा घाटी से संबंधित जैव विविधता का शोध भी किया जाए। मोती की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इन सभी कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग हो। आवश्यकता अनुसार जल पुलिस की व्यवस्था भी होना चाहिए जो प्रमुख घाटों और नदी के किनारे स्थित स्थानीय निवासियों के हित में कार्य करे। ओंकारेश्वर की तरह अन्य स्थानों पर भी नवकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। सोलर फ्लोटिंग प्लांट लगाने के स्थान चिन्हित करने की कार्यवाही करें। इस संबंध में आगामी ग्लोबल समिट में इस क्षेत्र में इच्छुक निवेशकों को आमंत्रित किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि नर्मदा जी की डाउनस्ट्रीम स्थित तालाबों में पानी के अधिकतम उपयोग के प्रयास किए जाएं। यशवंत सागर सहित अन्य जलाशयों में जल उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाए, जिससे ग्रीष्मकाल में जल राशि के माध्यम से संकट की स्थिति को टालने में मदद मिलेगी। उन्होंने पम्प स्टोरेज प्रणाली से सस्ती बिजली का प्रयोग बढ़ाने, गांव के लोगों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी के उद्देश्य से वाटर एम्बुलेंस संचालन के लिए स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए।
बैठक में स्वीकृत परियोजनाओं के निकट भविष्य में लोकार्पण पर भी चर्चा हुई। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से क्रियान्वित योजनाओं की प्रगति की जानकारी दी गई। बैठक में बड़ादेव संयुक्त माइक्रो सिंचाई परियोजना, मां रेवा उद्वहन सिंचाई परियोजना, सोंडवा उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, निवाली उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, महेश्वर जानापाव उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, सेंधवा उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, धार उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं के संबंध में चर्चा हुई।
बैठक में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह बैठक से वर्चुअली जुड़े।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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