नरसिंहपुरः खेत तालाब बना आय का जरिया, मछली पालन से हो रही एक लाख रुपये से अधिक की कमाई
- परंपरागत खेती से आगे बढ़कर खेत तालाब का निर्णय रहा सफल
नरसिहंपुर, 23 अप्रैल (हि.स.)। जिले के कई ऐसे किसान हैं, जिन्होंने राज्य शासन की खेत- तालाब योजना का लाभ लेकर अपने खेत में तालाब बना रहे हैं और अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। मनरेगा योजना से ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का जीवन बदल रहा है, जो जरूरत के समय रोजगार मिलने के साथ ही आजीविका के साधनों को भी मजबूत कर रहा है। ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में रोजगार के वैकल्पिक साधन भी निर्मित हो रहे हैं। ऐसे ही एक किसान है जिले की विकासखंड चीचली के अंतर्गत आने वाले ग्राम करपगांव के नितिन सोनी, जिन्होंने परंपरागत खेती से आगे बढ़कर अपने खेत में तालाब बनाने का निर्णय आज से तीन साल पहले लिया।
नितिन सोनी ने बुधवार को बताया कि उनके परिवार में खेती के अलावा कोई और दूसरा कमाई का साधन नहीं था। परिवार में उनकी पत्नी, दो बच्चे, माता और पिता हैं। पिता अन्य कार्य के अलावा खेती- किसानी में ध्यान देते हैं। परंपरागत खेती करते हुए फसल बेचने के बाद जो पैसा उनको मिलता था, उस पैसो से वे कृषि कार्य में लगने वाली लागत को निकालकर बमुश्किल से 70 हजार रुपये की ही बचत कर पाते थे।इतनी राशि से परिवार के भरण- पोषण के साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा देना भी चुनौती भरा था। उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से खेत- तालाब योजना के बारे में पता चला। इस संबंध में उन्होंने अपने पिता कालूराम सोनी से चर्चा की। इस योजना से उनके पिता संतुष्ट हुए और इस योजना का लाभ लेने के पंचायत के सचिव से मुलाकात की। सोनी को खेत- तालाब योजना की पूरी जानकारी दी।
सोनी बताते हैं कि खेत- तालाब के लिए उन्हें शासन से दो लाख 65 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई। उन्होंने अपने स्वयं के खेत में खेत- तालाब बनवाया और यहां मछली पालन प्रारंभ किया। मछली के बीज बालाघाट, इटारसी, भोपाल, जबलपुर आदि से लेकर आते हैं। मछली पालन करके उन्होंने साल भर में एक लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया। जितनी जमीन पर उन्होंने तालाब बनाया है उतनी भूमि पर परम्परागत खेती करते हुए कभी इतना लाभ नहीं मिला। इसमें मेहनत भी अधिक लगती थी। फसल उत्पादन में रासायनिक खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करने से सेहत पर भी असर पड़ता था। जबकि मछली पालन में कम लागत और मेहनत लगती है। खेत में बने तालाब के पानी का उपयोग अपनी फसलों में करते हैं। तालाब के समीप ही उन्होंने आम, आंवला, नीबू के पौधे लगाये हैं। वे बताते हैं कि भविष्य में मछली पालन को बढ़ावा देंगे। खेत तालाब निर्माण से जहां कम बारिश की स्थिति में फसल बचाने का साधन भी मिल गया और वहीं खेती में नमी भी बनी रहने के साथ भू जल स्तर में सुधार हुआ है। उनके इस प्रयास को देखकर अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं।
सोनी कहते हैं कि खेत- तालाब बन जाने से उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है और घर में पैसो की बचत भी होनी लगी है। उनका लिया यह निर्णय अब कारगर साबित हुआ है।
कलेक्टर ने किया खेत- तालाब का अवलोकन
कलेक्टर शीतला पटले व जिला पंचायत सीईओ दलीप कुमार ने बुधवार को करपगांव पहुंचकर कृषक नितिन सोनी द्वारा खेत में बनाये गये खेत- तालाब को देखा। कलेक्टर ने कृषक सोनी से खेत- तालाब की विस्तार से जानकारी ली और खेत- तालाब के कार्य की प्रशंसा की।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

