संस्कृत विश्वविद्यालय रीवा में संस्कृति अध्ययन को करें प्रोत्साहित : उप मुख्यमंत्री शुक्ल
- विद्वान एवं सेवानिवृत्त प्राध्यापकों ने संस्कृत विवि में स्वेच्छा से कार्य करने की दी सहमति
भोपाल, 21 सितंबर (हि.स.)। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा में संचालित संस्कृत विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययन को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए जन सहयोग से रहने व भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था भी कराई जाये। उन्होंने कहा कि प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए प्रवेश शुल्क में भी छूट दिलाई जाएगी। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने संस्कृत के विद्वानों व सेवानिवृत्त संस्कृत प्राध्यापकों से अपेक्षा की कि वह स्वेच्छा से विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य करें। विद्वानों ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की।
उप मुख्यमन्त्री शुक्ल शनिवार को रीवा के राजनिवास सर्किट हाउस में संस्कृत विश्विद्यालय के संचालन की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रवेशी छात्रों की संख्या कम है। छात्रों को व्याकरण, साहित्य, वेद एवं ज्योतिष के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इन संकायों में अभी प्राध्यापक नियुक्त नहीं हैं। रोस्टर बनाकर संस्कृत के विद्वान व पूर्व प्राध्यापक छात्रों को शिक्षित करें। शीघ्र ही सभी संकायों में शासन स्तर से शिक्षकों की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई जाएगी।
शुक्ल ने कहा कि महर्षि पाणिनि संस्थान अन्तर्गत रामानुज संस्कृत विश्वविद्यालय रीवा के लिए भवन, भूमि एवं अन्य व्यवस्थाओं सहित सुसज्जित करने के लिये 40 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है। अभी यह विश्वविद्यालय प्रारंभिक अवस्था में है। इसे पूर्णत: विकसित करने के सभी प्रयास प्राथमिकता से किए जाएंगे।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्मणबाग में वैष्णव संस्कृत विद्यालय का संचालन पुन: प्रारंभ कराया जाएगा। बैठक में संस्कृत के विद्वानों डॉ. अंजनी शास्त्री, डॉ सत्यजीत पाण्डेय, डॉ. आरएन तिवारी, डॉ. बलराम पाण्डेय, डॉ. सुरेन्द्र शास्त्री, डॉ. हरीश द्विवेदी एवं डॉ. दीनानाथ शास्त्री ने विश्वविद्यालय में स्वेच्छा से नि:शुल्क अध्यापन कार्य करने की सहमति व्यक्त की। अध्यक्ष नगर निगम व्यंकटेश पाण्डेय सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि संस्कृत के विद्वतजन उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर
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