मन को आनंद देने वाली शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ: स्वामी ऋतेश्वर
- विन्ध्य में शिक्षा की अलख जगा रहा है अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यलाय: राज्यपाल
भोपाल, 24 दिसंबर (हि.स.)। वृंदावन के आनंद पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ऋतेश्वर ने विद्यार्थियों को प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा कि मन को आनंद देने वाली शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ है। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और सनातन धर्म का मेल कराकर नई तरह की शिक्षा देने के लिए शीघ्र ही सनातन विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। स्वामी ऋतेश्वर रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
रविवार को विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह उल्लासपूर्वक मनाया गया। समारोह में राज्यपाल तथा कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने विद्यार्थियों को पदक तथा उपाधि प्रदान की। समारोह का आयोजन पंडित शंभुनाथ शुक्ल सभागार में किया गया। समारोह से पूर्व राज्यपाल तथा अन्य अतिथियों के साथ विश्वविद्यालय के आचार्यों ने शोभा यात्रा निकाली। समारोह में विश्वविद्यालय की पत्रिका दीक्षा पर्व, पुस्तिका विन्ध्य भारती और दीक्षांत प्रोफाइल का विमोचन किया गया।
समारोह में कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने कहा कि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय विन्ध्य में शिक्षा की अलख जगा रहा है। शिक्षा विकास का आधार है। शिक्षा ही हमें कर्तव्यों का भान कराकर श्रेष्ठ नागरिक बनाती है। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा देने के साथ-साथ रोजगार मूलक पाठक्रम भी संचालित करे, जिससे युवाओं को रोजगार का अवसर मिल सके।
युवा समाज और देश के विकास में योगदान दें: राज्यपाल
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं को नई शिक्षा नीति तथा रोजगार के अवसर देने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश हर क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। सभी युवा समाज और देश के विकास में सहभागी बनें। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित होना चाहिए। बिजली और पानी की बचत करके भी हम देश के विकास में योगदान दे सकते हैं। सभी विद्यार्थियों को मैं उज्ज्वल भविष्य और अच्छी सफलता की शुभकामना देता हूं। विद्यार्थी बड़ी से बड़ी सफलता पाने के बाद भी माता-पिता की सेवा करना न भूलें।
युवा अपना भविष्य बनाने के साथ समाज और देश के प्रति कर्तव्य भी निभाएं: शुक्ल
समारोह में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि शिक्षा विकास का आधार है। युवा अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के साथ जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें। अपना भविष्य संवारने के साथ समाज और देश के प्रति अपना कर्तव्य भी निभाएं। संस्कार के बिना शिक्षा सुगंधहीन पुष्प की तरह होती है। शिक्षा तथा ऊंची सफलता प्राप्त करने के साथ हम संवेदनशील बनें। जब विद्यार्थी, शिक्षक, राजनेता, डॉक्टर, इंजीनियर और हर क्षेत्र के प्रमुख लोग देश तथा गरीबों के प्रति संवेदनशील होंगे तभी देश विश्वगुरू बनने के लिए मजबूती से आगे बढ़ेगा। सत्ता के शीर्ष में बैठे हुए व्यक्ति की संवेदनशीलता से ही विकसित भारत संकल्प यात्रा जैसे कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। जिनसे गरीबों तथा विकास के दौड़ में पीछे छूट गए व्यक्तियों का कल्याण हो रहा है।
समारोह में सांसद जनार्दन मिश्र ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं है। शिक्षा जीवन भर प्राप्त होती है। विद्यार्थियों को आज शपथ दीक्षांत समारोह में दिलाई गई है, उसका पालन करते हुए देश के विकास में योगदान दें। जरूरतमंद को शिक्षा में सहयोग देकर भी युवा अपना कर्तव्य निभाएं।
समारोह में कुलपति राजकुमार आचार्य ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रमुख गतिविधियों की भी जानकारी दी। समारोह में कला, विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस, व्यावसायिक अर्थशास्त्र, विधि सहित विभिन्न विषयों के उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को उपाधि तथा पदक प्रदान किए गए। समारोह के अंत में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य ने अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समारोह में विधायकगण सिद्धार्थ तिवारी व नरेन्द्र प्रजापति, प्रभारी कलेक्टर डॉ सौरभ सोनवणे, नगर निगम आयुक्त संस्कृति जैन, विश्वविद्यालय के आचार्यगण तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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