छतरपुर: विश्व हिंदी दिवस पर जाना शब्दों का मतलब बच्चों ने जाना क्या होता है मोपेड और तिलक का मतलब

छतरपुर: विश्व हिंदी दिवस पर जाना शब्दों का मतलब बच्चों ने जाना क्या होता है मोपेड और तिलक का मतलब
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छतरपुर: विश्व हिंदी दिवस पर जाना शब्दों का मतलब बच्चों ने जाना क्या होता है मोपेड और तिलक का मतलब


छतरपुर, 10 जनवरी (हि.स.)। मोपेड का मतलब ऐसी मोटर जिसमें पैडल हो, तिलक का मतलब तिल के बराबर - आदि विश्व हिंदी दिवस पर रामपुर हाईस्कूल में प्राचार्य लखन लाल असाटी ने विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हुए उनसे शब्दों के पीछे छुपी हुई रियलिटी को जानने का प्रयास किया।

इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक राजीव रमन पटेरिया, श्रीपाल अहिरवार, अभय कुमार जैन, कृष्ण कुमार तिवारी, शरद कुमार नामदेव, ज्योति व्यास, कुंवर सिंह केवट सहित विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे। छात्रा ज्योति श्रीवास ने घमंड, निष्ठा शब्दों का अर्थ जानना चाहा।

लखन लाल असाटी ने कहा कि दया का मतलब दूसरे को सुविधा उपलब्ध कराना है जैसे गाय को चारा, कृपा का मतलब है दूसरे की योग्यता बढ़ाने में सहयोग करना जैसे कुछ अंक से फेल छात्र को कृपांक देकर उसकी योग्यता बढ़ा देना, करुणा का आशय दूसरे की सुविधा और योग्यता दोनों बढ़ाने में मदद करना है जैसे मां-बाप बच्चों की मदद करते हैं। कुछ शब्द भाव से जुड़े हैं जैसे विश्वास का मतलब है दूसरा मेरी सुख समृद्धि के अर्थ में है अर्थात दूसरा मेरा भला चाहता है तब हमें उस पर विश्वास होता है, सम्मान का मतलब है दूसरे का सही-सही आकलन कर व्यवहार करना, नमस्ते करना, पैर पढऩा,गले लगाना यह सब सम्मान का एक्सप्रेशन मात्र है सम्मान का भाव तो अंदर ही होता है, स्नेह दूसरे से संबंधी होने का भाव है, ममता संबंधी के शरीर के पोषण की अभिस्वीकृति भाव है, वात्सल्य संबंधी की योग्यता बढ़ाने का भाव है,श्रेष्ठता का मतलब जीवन में जिसका जीना खुद,परिवार, समाज और प्रकृति के साथ सही-सही हो रहा है उसे हम श्रेष्ठ कहते हैं,श्रद्धा अपने से श्रेष्ठ के प्रति सम्मान का भाव है, गौरव उस व्यक्ति के प्रति सम्मान का भाव है जिसने अपनी श्रेष्ठता बढ़ाने के लिए प्रयास किया है, कृतज्ञता दूसरे के प्रति सम्मान का भाव है जिसने मेरी श्रेष्ठता बढ़ाने में मदद की है, प्रेम सभी को संबंधी के रूप में देखना है, अहंकार का आशय यह है कि दूसरा मेरे जैसा नहीं है, समृद्धि का आशय यह भाव है कि मेरे पास मेरी आवश्यकता से अधिक है, सुख से मतलब अंतरमन की व्यवस्था से है जिसमें कोई अंतर विरोध और अंतर द्वंद नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/सौरभ भटनागर/मुकेश

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