अनूपपुर: अमरकंटक में कड़ाके की ठंड, ओस की बूंदों से जमी बर्फ की चादर
अनूपपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित मां नर्मदा की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक में ठंड का प्रकोप लगातार बना हुआ हैं। शनिवार की सुबह नर्मदा के दोनो तटो पर ओस की बूंदें जममने से सफेद चादर बिछी नजर आई है।
अमरकंटक में ठंड का तेज प्रभाव जारी है। सुबह होते ही पवित्र नगरी की धरती पर ओस की सफेद चादर बिछी हुई नजर आई। सुबह खुले मैदानों, नर्मदा तट और घास के क्षेत्रों में चारों ओर सफेदी छाई रही। इससे पूरा क्षेत्र बर्फ की चादर से ढका हुआ नजर आ रहा। इस दृश्य ने स्थानीय निवासियों और संत-महात्माओं का ध्यान खींचा।
5 डिग्री सेल्सियस पहुंचा न्यूनतम तापमान
संतों ने बताया कि दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरुआत में अमरकंटक में कड़ाके की ठंड पड़ती है, और तापमान शून्य से एक या दो डिग्री नीचे तक चला जाता है। आज न्यूनतम तापमान 05 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहा।
नर्मदा तट और मैदानी क्षेत्रों में जमी ओस की सफेद परत ने अमरकंटक की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा दिया है। नर्मदा के उत्तर एवं दक्षिण तटों पर दिसम्बर माह में यह तीसरी बार ओस की बूंदे जमने से बर्फ की सफेद चादर बिछी सी लग रहीं हैं। सुबह के समय घाटों , मैदानों और खुले क्षेत्रों में जमी बर्फ ने अमरकंटक की सुंदरता को और बढ़ा दिया है। इस मनोहारी दृश्य को देखकर पर्यटक एवं श्रद्धालुजन उत्साहित नजर आ रहे जिससे क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है ।
नप ने की अलाव की व्यवस्था
नगर परिषद के सीएमओ चैन सिंह परस्ते ने बताया कि शीतलहर को ध्यान में रखते हुए नगर के विभिन्न स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां-जहां तीर्थयात्री एवं नर्मदा परिक्रमावासी ठहरते हैं , उन सभी स्थानों पर विशेष रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है। विशेषकर बाजार क्षेत्र, मंदिर परिसर, माई बगिया, सोनमूड़ा, बस स्टैंड सहित अन्य प्रमुख स्थलों पर अलाव की लकड़ी उपलब्ध कराकर नियमित रूप से अलाव जलाए जा रहे हैं ताकि लोगों को ठंड से राहत मिल सके।
शासकीय उद्यानिकी के कर्मचारी कमलेश तिवारी ने बताया कि इस तरह ज्यादा ठंड या पाला का खतरा बना हुआ हैं। इससे पौधे नष्ट होने का भय होता है। नए और छोटे पौधे, छोटे वृक्षों को पाला मार जाता है जिससे वो पनप नहीं पाते और मेहनत बेकार चली जाती है लेकिन प्रयास पूरी रहती है कि पाला या ठंड से पौधे और छोटे वृक्षों को बचाया जा सके ।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला

